रायपुर:राजधानी रायपुर के सिलतरा से अगवा किए गए कारोबारी प्रवीण सोमानी को पुलिस ने 13 दिनों बाद बुधवार को अपहरणकर्ताओं के चंगुल से सुरक्षित रिहा करा लिया है. साथ ही पुलिस ने दो आरोपियों को भी गिरफ्तार किया है. कारोबारी को उनके परिवार को सौंप दिया गया है. पुलिस बाकी आरोपियों की तलाश में जुट गई है.
कारोबारी प्रवीण सोमानी के किडनैपिंग मामला पुलिस ने देर रात प्रेस कॉन्फ्रेन्स कर बताया कि ' ये किडनैपिंग बेहद प्रोफेशनल ढंग से की गई थी. किडनैपिंग करने वाला गैंग देश के कई राज्यों में सक्रिय है. जिसकी वजह से उन्हें पकड़ने में बहुत मुश्किल हो रही थी.
नौ राज्यों में पुलिस ने भेजी टीम
पुलिस ने उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, ओडिशा, हरियाणा, दिल्ली, हरियाणा, आंध्र प्रदेश और गुजरात में लगातार सर्च कर रही थी. जिसका नेतृत्व रायपुर SSP आरिफ शेख कर रहे थे. SSP शेख ने पूरे ऑपरेशन को अपनी अगुवाई में पूरा किया है. इस दौरान वे खुद पटना गए थे.
किडनैपर्स ने बनाया था फुल प्रूफ प्लान
SSP आरिफ शेख ने मामले का खुलासा करते हुए बताया कि किडनैपरों का गैंग साल में एक किडनैपिंग को अंजाम देता है. उन्होंने बताया कि 'सबसे पहले साल 2013 में सुहैल हिंगोरा को किडनैप किया था. जिसके बाद पश्चिम बंगाल में भी एक किडनैपिंग की थी'. उन्होंने बताया कि किडनैपर कारोबारी को अगवा करने के लिए इंटरनेट से उसके बारे में पूरी जानकारी हासिल की और चार महीने तक उसका पीछा किया. साथ ही किडनैपिंग के लिए पूरी तैयारी करने के साथ ही रिहर्सल की और फिर किडनैपिंग को अंजाम दिया.
मोबाइल ट्रैक करना था मुश्किल
उन्होंने बताया कि 'किडनैपर सूरत जेल में बंद थे. इस दौरान उन्होंने किडनैपिंग का पूरा प्लान बनाया था. जिसके बाद धीरे-धीरे सभी आरोपी जेल से छूटे. गुजरात के मिथुन ने पूरे गैंग को इकट्ठा किया. उन्होंने बताया कि गैंग किडनैपिंग के पहले सभी को स्पेशिलाइज करता है और सभी को उनका काम बाट देता है. जिसके मुताबिक वे काम करते थे. SSP ने बताया कि किडनैपरों ने घटना को अंजाम देने के बाद कई बार अपना सिम कार्ड बदले, जिसकी वजह से उन्हें ट्रैक कर पाना मुश्किल हो रहा था.