नई दिल्ली/रायपुर: लोकसभा चुनाव-2019 के लिए मतदान की शुरुआत होने में अब महज कुछ घंटे बाकी हैं. 11 अप्रैल से 19 मई तक सात चरणों के मतदान के बाद 23 मई को नतीजे आएंगे. इसके पहले ईनाडु टीम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से खास बातचीत की है. पढ़िए बातचीत के अहम हिस्से. हमारे सवाल और पीएम मोदी के जवाब.
1. पिछले पांच साल में आप अपनी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि क्या मानते हैं?
PM मोदी का जवाब-आम तौर पर हमारे यहां सरकारें एक या दो महत्वपूर्ण चीजों के आस-पास एक वातावरण (aura) बनाते हैं. अगर आप पुरानी मनमोहन सिंह जी की सरकार की बात करेंगे तो कांग्रेस के मुंह से मनरेगा-मनरेगा ही निकलेगा. और कुछ नहीं निकलेगा. ये पहले परंपरा थी. लेकिन, चूंकि मेरा गुजरात का अनुभव था, लंबे अरसे तक मुख्यमंत्री रहा, और इसलिए मैं बहुत ही डायमेंशनल, बहुत ही मल्टी लेयर पर काम करने... एक साथ अनेक निर्णय करने का मेरा स्वभाव रहा है.मेरा मत है कि देश... राजनीति तो एकाध चीजों से चल जाती है..., लेकिन देश अगर चलाना है तो सभी मुद्दों को अडजस्ट करना चाहिए, नए तरीके से ऐड्रेस करना चाहिए, और टाइम बाउंड डिलिवरी की दिशा में जाना चाहिए. अगर इन सारी चीजों को देखेंगे तो, शायद ही कोई विभाग ऐसा होगा, जहां मैंने ढेर सारे निर्णय न किए हों. नए इनिशिएटिव न लिए हों.और इसलिए, कोई भी व्यक्ति, इस सरकार के कार्यकाल को दो, पांच, 25 चीजों में बांध ही नहीं सकता. हर चीज अपने आप में बड़ी है. हर चीज परिवर्तन लाने वाली है. मेरा मंत्र रहा है रिफॉर्म, परफॉर्म, ट्रांस्फॉर्म. इसलिए इन तीनों को लेकर हम आगे बढ़े हैं
2. पिछले पांच सालों में आपके लिए सबसे संतोष का मुद्दा क्या है?
PM मोदी का जवाब-देखिए पहली बात... जहां तक सरकार का सवाल है, अब उसको देखना है तो हम 2014 के पहले की स्थिति देखेंगे. 2014 की सबसे बड़ी बात ये थी कि, देश में सिवाय निराशा कुछ सुनने को नहीं मिलता था.
क्या होगा, कैसे होगा, क्या हो गया. भ्रष्टाचार की हेडलाइन हुआ करती थी. पॉलिसी पैरालिसिस की चर्चा होती थी. आज आशा, आस्था और विश्वास... हिंदुस्तान के किसी भी कोने में जाइए, देखिए. ये जो बदलाव आया है, ये बहुत बड़ा बदलाव है, जो किसी को भी संतोष देता है
3. किन वजहों से लगता है कि बीजेपी को इस बार अपने दम पर 272 प्लस और NDA को 335 प्लस सीटें मिलेंगी? अब स्थिति 2014 से थोड़ी सी अलग है. विपक्षी पार्टियां एक-दूसरे से गठजोड़ कर रही हैं. क्या नहीं लग रहा कि 2014 से स्थिति भिन्न है? महागठबंधन के बारे में क्या कहेंगे?
PM मोदी का जवाब-देखिए, 2014 में मैं एक दम से नया था, देश के लिए भी. अब देश ने मेरे पांच साल के काम को देखा है. मेरी प्राथमिकताएं देखी हैं. मेरे जीवन को देखा है, सरकार के कामकाज को देखा है. इसलिए देश भली-भांति परिचित है.दूसरा, 30 साल की अस्थिरता... ये देश ने देखी है. उसके बाद... स्थिरता क्या होती है, इसका क्या असर होता है, ये भी देश के ध्यान में आया है, कि भारत जैसे देश को स्थिर सरकार चाहिए, मजबूत सरकार चाहिए. ये सामान्य नागरिक को भी लगता है.जो भी सफलताएं मिलती हैं, निर्णय हो सकते हैं, इसका कारण है स्थिरता. हमने एक ऐसा मॉडल दिया है., जिसमें भारतीय जनता पार्टी के पास पूर्ण बहुमत होने के बावजूद भी, क्षेत्रीय आकांक्षाओं को हमने अकॉमोडेट किया है. सभी दलों को जोड़ा है. जोड़ कर एक सच्चे अर्थ में एक मजबूत सरकार दी है. मैं समझता हूं कि लोग हमारे इस कार्य के आधार पर वोट करेंगे.पहले तो लोगों ने पुरानी सरकार के प्रति जो नफरत थी, और मेरा जो गुजरात का कार्यकाल था, उसी की तुलना थी. एक ओर भारत था, एक ओर गुजरात था. अब लोगों को लगता है कि ये तो पूर्वोत्तर में भी इतना काम कर रहा है, तमिलनाडु में इतना काम कर रहा है, आंध्र में कर रहा है, तेलंगाना में कर रहा है... तो, लोगों को लगता है कि ये देश को गति देने का काम हुआ है.इसलिए मुझे साफ लगता है कि भारतीय जनता पार्टी पहले से अधिक सीटों से जीतेगी. हमारे NDA पार्टनर भी पहले से अधिक सीटों से जीतेंगे
4. महागठबंधन... सपा-बसपा के जोड़ को कैसे देखते हैं. उनका अर्थमैटिक... उनको कुछ फायदा मिलता देख रहे हैं?
PM मोदी का जवाब-देखिए, राजनीति अर्थमैटिक से नहीं चलती है. परिणाम अर्थमैटिक होता है... आपने देखा होगा, अभी हम उत्तर प्रदेश में विधानसभा का चुनाव लड़े. कांग्रेस-सपा मिलकर लड़ रहे थे. उस समय भी यही सवाल लोग पूछते थे कि अर्थमैटिक तो उनके साथ है, लेकिन परिणाम दूसरा आया.जनता को 'टेकेन फॉर ग्रांटेड' मानने की जो पुरानी परंपरा थी... नेता वहां है तो उसका ब्लॉक उसके साथ होगा, यहां है तो ये ब्लॉक उसके साथ होगा... आज ये स्थिति नहीं है.देश युवा मतदाताओं से भरा हुआ है. फर्स्ट टाइम वोटर्स से भरा हुआ है. वे अपने लिए जिंदगी जीना चाहते हैं. अपने सपनों को पूरा करना चाहते हैं. वे देखना चाहते हैं कि इतना बड़ा देश कौन चलागा.तीसरा... मान लीजिए वहां एक गठबंधन है, लेकिन उससे पूरे भारत का चित्र तो बना नहीं पा रहा है, न ममता जी हिंदुस्तान का चित्र बना पाएंगी, न अखिलेश जी और मायावती जी बना पाएंगी, और न ही बाबू बना पाएंगे. ये तो बिखरे हुए लोग हैं. देश को अभी से शक हो रहा है. ये तो अभी भी एक दूसरे के खिलाफ लड़ रहे हैं, वो कैसे साथ आ सकते हैं?
5.बीजेपी सरकार के खिलाफ विपक्ष 'बेरोजगारी और खेती की समस्याओं' को बड़ा हथियार बता रहा है. इसका कितना असर देखते हैं? अगर असर नहीं देखते हैं तो क्यों?
PM मोदी का जवाब-पहली बात है कि एक हमारा देश, कोई भी कुछ भी झूठ बोले, गुमराह करता रहे, वह स्वीकार कर लेंगे, वो समय अब नहीं रहा. पहले इने-गिने नेता हुआ करते थे. पहले इने-गिने अखबार हुआ करते थे.आज सूचनाओं के माध्यम बहुत हैं. लोगों के पास सत्य बहुत तेजी से पहुंचता है, लोग भी जज कर सकते हैं, भई ये तीन लोगों ने तीन बातें कही हैं, मतलब ये होगा. इसलिए इन चीजों को पहले के बराबर आकलन करेंगे तो हम गलत हो जाएंगे. तो आकलन के लिए ये आधार नहीं हो सकता कि विपक्ष क्या बोलता है.दूसरी बात... ग्राउंड रिएलिटी क्या है? कोई भी आदमी सोचता है... पहले से अगर रोड ज्यादा बन रहे हैं, तो बिना रोजगार तो बन नहीं सकते. अगर पहले से दोगुनी रेलवे पटरियां बिछ रही हैं, तो लोगों को रोजगार मिलता ही होगा.पहले से ज्यादा रेलवे इलेक्ट्रफिकेशन हो रहा है, तो रोजगार मिलता ही होगा. इतना FDI (फॉरेन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट) ! हाइएस्ट FDI है. तो निवेश होता है तो कोई न कोई काम मिलता ही मिलता है.हमारे देश में करीब छह लाख नए प्रोफेश्नल्स इन पांच साल में जुड़े हैं. कोई भी डॉक्टर हैं, वकील हैं, इंजिनीयर हैं, चार्टड एकाउंटेंट हैं, एमबीए हैं. इन्होंने अपने कोई न कोई कारोबार शुरू किए हैं. कारोबार शुरू करते हैं, तो एक-दो लोगों को तो काम में लेते हैं लोग. आप कोई भी ऐसा काम देख लिजिए.फिर, हमारी एक योजना है, मुद्रा योजना. मुद्रा योजना में करीब 17 करोड़ लोन्स दिए गए हैं. इसमें 4.25 करोड़ फर्स्ट टाइमर है. अगर ये फर्स्ट टाइमर है, तो उसने नया कारोबार शुरू किया है. उसने किसी एक को काम दिया है.
अगर ये सारी चीजें हम गिनें, तो मैं समझता हूं कि इनका (विपक्षी पार्टियां) झूठ बिल्कुल ही बेनकाब हो जाएगा.6. किसानों की नाराजगी... न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP)...
उसी प्रकार से किसान... हमने वादा किया था. 2007 में स्वामीनाथन कमीशन की रिपोर्ट आई. कांग्रेस ने 2004 और 2009 में वादे किए थे, कि वे किसानों को डायरेक्ट बेनिफिट पैसे देंगे. एक भी निभाया नहीं.स्वामीनाथन कमिशन को पटरी पर डाल दिया था. हमने आकर उसे निकाला, स्टडी किया, और हमने लागत का डेढ़ गुना मूल्य देने का तय किया. इतना ही नहीं, पहले की तुलना में सबसे ज्यादा हम खरीदी कर रहे हैं.मैं महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री से बात कर रहा था. वे बता रहे थे कि जब शरद पवार कृषि मंत्री थे, और वहां उनकी सरकार (कांग्रेस-NCP की) थी. तब वहां 400-500 करोड़ रुपये खरीदी करते थे. आज ये 7000 करोड़ रुपये की खरीदी कर रहे हैं. किसान के लिए क्या कुछ नहीं कर रहे हैं...फिर हम कृषि को आधुनिक बनाने के लिए प्रयास कर रहे हैं... आज तो हमने घोषणा पत्र में कह दिया... हम किसान के लिए पेंशन स्कीम लाएंगे... किसान अगर एक साल के लिए पांच लाख रुपये तक का लोन है, तो उसका ब्याज माफ कर देंगे. ये अपने आप में बहुत बड़े फैसले हैं.हमने सॉयल हेल्थ कार्ड की योजना शुरू कि, ताकि कृषि हमारी आधुनिक हो, वैज्ञानिक हो. हमने e-NAM योजना बनाई जिससे किसान को समुचित बाजार मिले. वो हिंदुस्तान भर के किसी भी कोने में क्या चल रहा है, ये देख सकता है, e-NAM से जुड़ कर.
7. इतना सब करने के बाद भी महाराष्ट्र में किसानों ने लॉन्ग मार्च किया. तमिलनाडु के किसानों ने दिल्ली आकर संसद के सामने भी आंदोलन किया, इसका क्या कारण मानते हैं?
PM मोदी का जवाब-आंदोलन हुआ था ये सही है, लेकिन आंदोलन लंबा चला नहीं. जैसे ही सत्य उनके पास पहुंचा, तो उनका विश्वास बढ़ गया
8. आंदोलन मवेशियों को लेकर भी था. किसानों के लिए पशु एक समस्या हो गए थे.
PM मोदी का जवाब-इसलिए, हमारी सरकार ने इस बार घोषणा पत्र में कहा है कि हम जो किसानों की आय दोगुनी करने की बात कह रहे हैं, इसमें खेती है. अन्नदाता ऊर्जा दाता बने. सोलर पंप का उपयोग करे, जिससे लागत कम हो.
हनी को साइड में खेती में करता रहे... मधुमक्खी को... ताकि हनी को बड़ा बाजार मिले. पॉल्ट्री फार्म वालों को, फिशरिज वालों को मदद मिले. पशुपालन को भी मदद मिले. इन सारी चीजों का हम एप्रोच लेकर चले हैं. इसके कारण आज दूध के उत्पादन में देश में सबसे बड़ी क्रांति हुई है, क्वांटम बढ़ा है.
9. नानाजी देशमुख ने चित्रकूट में जैविक खेती को काफी प्रोमोट किया. इसे कितना प्रासंगिक मानते हैं?
PM मोदी का जवाब- मैं आज भी मानता हूं कि ऑर्गेनिक फार्मिंग का ग्लोबल मार्केट है. सिक्किम हमारे देश का पहला राज्य बना है. हम हिमालयन स्टेट और नॉर्थ इस्ट को प्राथमिकता दे रहे हैं, जिससे वे ऑर्गेनिक खेती की नेशनल कैपिटल बने.
आज हेल्थ कॉन्सियस सोसायटी होने के कारण ऑर्गेनिक फार्मिंग की बहुत मांग है. इसके लिए जरूरी प्रबंध पिछले कई साल से शुरू किए गए हैं. उसका लाभ मिलेगा.
10. ये आर्थिक रूप से कितना संभव लगता है?
PM मोदी का जवाब- हमारे हिमाचल के जो राज्यपाल हैं, वे एक प्रयोग करते हैं- जीरो बजट फार्मिंग. हमारे महाराष्ट्र के किसान हैं, जिसे हमने पद्म श्री दिया है...यही तरीके हैं, ये नेचुरल फार्मिंग है, ऑर्गेनिक फार्मिंग है इसी के कारण संभव हुआ है.
11. कांग्रेस ने काफी समय के बाद नोटबंदी को दोबारा मुद्दा बनाया है. मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर घोटाले का आरोप लगाया है. आपको क्या लगता है, अब काफी समय हो चुका है, इसका अंतिम परिणाम क्या है?
PM मोदी का जवाब- पहली बात है कि हमारे देश में नोटबंदी की बात पहले भी उठी थी. इंदिरा जी के जमाने में भी उठी थी. तब यशवंत राव चौहान वित्त मंत्री हुआ करते थे. उन्होंने प्रस्ताव रखा था... तब सौ रुपये सबसे बड़ी रकम होती थी.उन्होंने कहा था कि ये बंद करना जरूरी है. तब इंदिरा जी डर गई थीं. उन्होंने कहा था कि आर्थिक रूप से बराबर बैठता है, लेकिन राजनीतिक रूप से ये बड़ा मिसएडवेंचर हो जाएगा. हम कभी चुनाव नहीं जीत सकते. उस जमाने में वे नहीं कर पाए. अगर वे उस समय कर लेते तो शायद ये बीमारी उतनी नहीं फैलती. हमारे आते समय बीमारी बहुत फैल गई. कोई चारा नहीं था...क्योंकि अगर पैरलल अर्थव्यव्स्था चलती है, तो... धीरे-धीरे फॉर्मल इकॉनमी कम होती जाएगी, और पैरलल इकॉनमी बढ़ती जाएगी. तब तो देश चल ही नहीं सकता...अच्छा... उसी समय आपने देखा होगा, कि पहले जब मनमोहन सिंह जी की सरकार के बाद हम आए तो किसी अफसर के गद्दे के नीचे से पैसे निकल रहे हैं, किसी की अलमारी, किसी के गैरेज में बोरे में पैसे पड़े हैं. ये सारी खबरें आती थी. ये सारा चिंता का विषय था.इसलिए हमने निर्णय किया. निर्णय का बहुत फायदा हुआ. लाखों-करोड़ों रुपये जो अघोषित थे... करना पड़ा. 3.50 लाख करीब फर्जी कंपनियां (shell companies) थी... एक कमरे में 400-400 कंपनियां चलती थीं. हवाला कारोबार चलता था. सारा बाहर आया, बंद कर दिए गए.आयकर रिटर्न भरने वालों की संख्या 70 साल में जितनी हुई थी, पांच साल में दोगुनी हो गई. ये अपने आप में बहुत बड़ी शक्ति है. उसी प्रकार से आपने देखा होगा... बाद में UPI डिजीटल लेन-देन... जब मैं आया तो हमारे देश में प्रतिदिन शायद लगभग तीन लाख डिजीटल ट्रांजैक्शन होते थे. आज हर महीने 80 करोड़ लेन-देन होते हैं. ये अपने आप में कितनी बड़ी छलांग है.ये नोटबंदी के कारण एक के बाद एक चीजें हुई हैं. देश ईमानदारी की ओर चला है, सबको लग रहा है. और जो अभी भी सुधरने के लिए तैयार नहीं है, उनका कल भोपाल से खबरें आ रही हैं कि क्या हो रहा है... भ्रष्टनाथ !
12. कुछ लोग कह रहे हैं कि पूरी नकदी बैंकों में वापस आ गई. काले धन पर कोई असर नहीं पड़ा?
PM मोदी का जवाब- इन्फॉर्मल को फॉर्मल करना... ये हम सफलतापूर्वक कर पाए.
13. इकॉनमिक ऑफेंडर्स के मामले में कहा जाता है, हालांकि, उनकी संपत्ति तो जब्त कर ली गई है. जैसे विजय माल्या के मामले में 9 हजार करोड़ हैं, आपने 13 हजार करोड़ कर लिए. नीरव मोदी हैं, मेहुल चोकसी हैं, इन लोगों को भारत वापस लाने की जो उम्मीद थी मोदी सरकार से, वह पूरी नहीं हो सकी है.
PM मोदी का जवाब- मैं समझता हूं कि, मीडिया के मित्रों से मेरी अपेक्षा है कि जब कांग्रेस ये बोलती है, तो आप ये निकालिए, कि पिछले 70 साल में, कांग्रेस के राज में, देश में से ऐसे कितने सारे लोग भाग गए. अब वे कहां हैं, उनका क्या हुआ. ये भी तो निकालना चाहिए. दूसरा, भाग गए उनके लिए तो कांग्रेस गीत गा रही है, और आप भी झंडा लेकर घूम रहे हैं. लेकिन ये भी बताऊं कि ये ही सरकार है, मिशेल को ले आई, सक्सेना को ले आई, तलवार को ले आई. इसको हम याद क्यों नहीं करते हैं.इसका मतलब है कि सरकार का इरादा स्पष्ट है. हम कानूनी सारे शस्त्रों का उपयोग करके भगोड़ों को लाएंगे. कानून भी हमने कठोर किए. पैसे भी जब्त किए, परिवार के लोगों का हिसाब-किताब किया, और कानूनी लड़ाई भी हम जीतते चले जा रहे हैं, आप देखते होंगे, एक के बाद एक खबर आ रही है.
14. विविधता (pluralism) और सौहार्द भारतीय संस्कृति की मूल भावना में से रहे हैं. लेकिन पिछले 5 साल में अल्पसंख्यक समाज में असुरक्षा की भावना भी है. आप इस बात से सहमत हैं? अगर ऐसा है तो क्यों ?
PM मोदी का जवाब- एक निश्चित वर्ग है जो बुरे इरादों और स्वार्थ के लिए निरेटिव तैयार करता है. उसके कारण उन्हें राजनीतिक लाभ हो या न हो. लेकिन देश में जो सरकार के द्वारा अच्छी चीजें होती हैं वो दब (over shadow) जाती हैं. इसलिए ये झूठ चलाया जा रहा है. ये किसी न किसी चीज से जुड़ा हुआ होता है.दिल्ली में जब चुनाव हो रहा था तो चर्च पर हमले की खबरें इतनी चलाई गईं, बाद में कुछ नहीं निकला. इसलिए ये सच्चाई नहीं है. दूसरा... अगर आप दंगों की बात करें तो सबसे ज्यादा दंगे कांग्रेस के कार्यकाल में हुए. सबसे ज्यादा माइनॉरिटी सरदारों को मार दिया गया... आज तो सबसे अनुकूल वातावरण है... एक विश्वास भाषा (20.40) के साथ देश आगे बढ़ रहा है. सऊदी अरब में किसी ने लेख लिखा था. उसमें लिखा गया है कि साथ मिलकर कैसे जीना चाहिए ये हिंदुस्तान से सीखना चाहिए.