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नदिया किनारे, किसके सहारे : खारून को बचाने की उम्मीद जिंदा है

खारून को बचाने का दावा करने वाले तमाम दावे कैसे फेल हुए हैं, आइए दिखाते हैं हम आपको हकीकत. कहीं गंदे नाले तो कहीं मैदान में तब्दील हो चुकी खारून अपनी दशा पर आंसू बहा रही है.

नदिया किनारे, किसके सहारे

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Published : Jun 29, 2019, 11:07 PM IST

रायपुर: नदिया किनारे, किसके सहारे में बात खारून को सहेजने की. 'जल है तो कल है, जल ही जीवन है' इस तरह के स्लोगन तमाम सरकारी विभागों में बडे बड़े वाल पेंटिंग में देखने को मिलते हैं लेकिन हकीकत इससे एकदम उलट है. जब तक हम नदियों का संरक्षण नहीं कर पाएंगे तब तक हमारे दावे खोखले ही रहेंगे. खारून को बचाने का दावा करने वाले तमाम दावे कैसे फेल हुए हैं, आइए दिखाते हैं हम आपको हकीकत. कहीं गंदे नाले तो कहीं मैदान में तब्दील हो चुकी खारून अपनी दशा पर आंसू बहा रही है.

खारून को बचाने की उम्मीद जिंदा है

वहीं खारून नदी को प्रदूषण से बचाने के लिए तरह तरह के प्लान तो जरूर बनाए जा रहे हैं, जैसे नदियों में हर साल होने वाले मूर्तियों के विसर्जन से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए विसर्जन कुंड तो जरूर बनाया जा रहा है लेकिन पहले जगह के चयन और यहां तक पहुंच वाले रास्तों को लेकर हो रहे विवाद और अन्य वजहों से यह कुंड 5 साल बाद भी पूरा नहीं हो पाया है.

एनजीटी द्वारा जारी की गई प्रदूषित नदियों की रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ की खारून नदी भी शामिल है. प्रशासन ने खारुन को गंदगी से मुक्त करने के लिए तीन जगहों पर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) लगाने की योजना बनाई है, लेकिन अभी तक वह धरातल पर नहीं उतर पाई है.

वहीं पिछली सरकार ने महादेवघाट में पानी की उपलब्धता को लेकर स्टापडैम बनाने के साथ ही इसे पर्यटक स्थल के रूप में डेव्लप करने के लिए लक्ष्मण झूला का निर्माण करवा दिया.
दरअसल महादेवघाट में भोलेनाथ का ऐतिहासिक श्रीहटकेश्वरनाथ महादेव जी का ऐतिहासिक मंदिर है. यहां हर साल सावन, महाशिवरात्रि और कार्तिक पूर्णिमा में बड़ा मेला लगता है. जहां न केवल रायपुर बल्कि दूर-दराज से बड़ी संख्या में भक्त पहुंचते हैं.

क्या कह रहे हैं मंत्री-

  • प्रदेश के जलसंसाधन मंत्री रविंद्र चौबे ने नदियों को लेकर ईटीवी भारत के विशेष अभियान पर कहा है कि सरकार प्लानिंग कर रही है.
  • मंत्री ने कहा कि दो अलग- अलग बाते हैं छत्तीसगढ़ में पिछला सूखा होने के कारण कई नदियां सूख गई थी. केवल शिवनाथ नदी में ही पानी की पर्याप्त मात्रा देखने को मिली थी. खारून और महानदी में केवल एमआरपी डालने के बाद ही नदी के रूप मे बनती है. इसके चलते ही खारून में बारिश के दिनों में पानी रहता है.
  • मंत्री ने कहा कि खारून के लिए एरिगेशन और अर्बन डेवल्पमेंट ने ज्वाइंट तरीके से प्लान कर रही है. 5 नदियों को इंटरलिंक करने का भी प्रस्ताव है. यहां की विभिन्न नदियों को बहाव कैसे रहे पानी की उपलब्धता कैसे रहे और पानी की उपलब्धता कैसे बारहों महीने रहे यह हमारी प्राथमिकता है.
  • मंत्री ने कहा कि रायपुर में खारून वैसे ही बिलासपुर में अरपा भैंसाझार के लिए भी प्लान बना रहे हैं. नदियों को पुनर्जीवित करने के लिए हमारा प्रयास आप देखेंगे जरूर सार्थक होगा.

पानी के बेस्ट मैनेजमेंट की जरूरत-

  • वहीं पानी को लेकर महत्व को लेकर लंबे समय से काम कर रहे वाटर रिसोर्स डिपार्टमेंट के पूर्व एक्जीक्यूटिव इंजीनियर एस.के. राठौर वाटर मैनेजमेंट को लेकर वे कहते हैं कि इस मामले में हमारे घर की महिलाएं कहीं ज्यादा अच्छा मैनेजमेंट करती हैं. उन्होंने क्या टिप्स दिए सुनिए.
  • 1 घंटे के पानी को 11 घंटे तक यूज करती हैं. जिन नदियों में सालभर सूखे के हालात रहते हैं बारिश के दिनों में बाढ़ के चलते करोड़ों लीटर पानी बहकर निकल जाता है जबकि नदी का पानी समुद्र में मिलने के पहले तक पानी पीने के लिए उपयोगी होती है. इस पानी को डायवर्ट कर गांवों में बड़े बड़े तालाबों में डायवर्ट कर उपयोग में लाया जा सकता है.

ईमानदारी से काम करने की जरूरत
इस तरह से खारून नदी को विभागों के तालमेल न होने और अंधाधुंध शहरीकरण का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. बारिश के दिनों में बाढ़ के हालात में बहने वाली नदी मैनेजमेंट न होने के कारण कुछ ही महीनों में सूख जाती है. इसके लिए जरूरत है तो बेहतर कार्ययोजना बनाकर इस पर ईमानदारी से काम करने की.

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