रायपुर / हैदराबाद : फुलेरा दूज का महत्व पूरे भारत में है.लेकिन उत्तर भारत में ये दिन बेहद खास है.कृष्ण और राधा से ये दिन जुड़ा होने के कारण बृज, मथुरा और वृंदावन में इस दिन की छटा देखते ही बनती है.भगवान श्रीकृष्ण के धाम फुलेरा दूज के अवसर पर जगमग करते हैं.ऐसा माना जाता है कि इस दिन से होली की तैयारियां शुरु हो जाती है. इस खास दिन से जुड़ी कई कहानियां भी है. यही वजह है कि श्रीकृष्ण के मंदिरों में भक्तों की भीड़ टूट पड़ती है. फुलेरा दूज, हिंदू कैलेंडर में फागुन के महीने में शुक्ल पक्ष द्वितीया को मनाने की परंपरा है. फुलेरा दूज, वसंत पंचमी और होली के त्योहार के बीच में आता है.
क्या है फुलेरा दूज से जुड़ी किवदंति : ऐसा माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण लंबे समय तक मथुरा छोड़कर अपने कार्यों में व्यस्त रहे थे. श्रीकृष्ण व्यस्तता के कारण राधा रानी से कई महीनों तक नहीं मिले.राधा रानी के नेत्र श्रीकृष्ण दर्शन को व्याकुल हो गए. इसका सीधा असर प्रकृति पर पड़ने लगा.पेड़ पौधे पत्ते सब सूखने लगे. जानवरों के खाने के लिए दाना पानी कम पड़ने लगा.इसकी जानकारी जब श्रीकृष्ण को हुई तो वो उन्हें इस बात का बोध हुआ कि ये सब राधा रानी के दुख का असर है. इसलिए वो राधा रानी से मिलने के लिए मथुरा पहुंचे.