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छत्तीसगढ़: कोरोना मरीज से ज्यादा चार्ज वसूलने पर निरस्त हो सकती है अस्पताल को मिली इलाज की अनुमति

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Published : Sep 22, 2020, 10:00 PM IST

प्रदेश में कोरोना मरीजों से निजी अस्पतालों में अधिक शुल्क लेने की शिकायत मिलने पर अस्पताल में इलाज की अनुमति निरस्त हो सकती है. इसके लिए जिले के सभी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों को निर्देश जारी कर दिया गया है. यदि अस्पताल प्रबंधन शासन के निर्धारित फीस से अधिक फीस लेने पर कार्रवाई की जाएगी.

Private Hospital for Corona Treatment in chhattisgarh
अस्पतालों में निर्धारित फीस पर इलाज करना अनिवार्य

रायपुर: निजी अस्पातालों को कोरोना मरीजों के इलाज के दौरान अधिक चार्ज लेना अब महंगा पड़ सकता है. यदि शासन के निर्धारित राशि से अधिक चार्ज लेने की शिकायत प्राप्त होगी, तो उस अस्पताल में इलाज की अनुमति निरस्त की जा सकती है. स्वास्थ्य सेवा के संचालक नीरज बंसोड़ ने इस संबंध में सभी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों को निर्देश जारी किया है.

जारी निर्देश में कहा गया है कि निर्धारित फीस से अधिक लेने की शिकायत प्राप्त होने पर एपिडेमिक डिसीज एक्ट 1897 छत्तीसगढ़ पब्लिक एक्ट 1949 और छत्तीसगढ़ एपिडेमिक डिसीज कोविड 19 रेगुलेशन एक्ट 2020 के तहत कार्रवाई करें. इसकी जानकारी जिला कलेक्टर को दी जाए और उनके निर्देशानुसार आवश्यकता पड़ने पर उस अस्पताल को कोविड 19 के इलाज के लिए दी की गई अनुमति निरस्त की जाए.

तीन श्रेणियों के आधार पर बांटा गया अस्पतालों को

बता दें, राज्य शासन ने 5 सितंबर को आदेश जारी कर निजी अस्पतालों में कोविड-19 के मरीजों के इलाज के लिए चार्ज निर्धारित किया है. निजी अस्पतालों में उपलब्ध सुपरस्पेशियालिटी सुविधाओं के आधार पर इन्हें तीन श्रेणियों में बांटा गया है. ए-श्रेणी में रायपुर, दुर्ग, राजनांदगांव, बिलासपुर, कोरबा और रायगढ़ जिले के अस्पतालों को रखा गया है. बी-श्रेणी में सरगुजा, महासमुंद, धमतरी, कांकेर, जांजगीर-चांपा, बलौदाबाजार-भाटापारा, कबीरधाम और बस्तर जिले के अस्पतालों को रखा गया है. बाकी जिलों के अस्पताल सी-श्रेणी में शामिल है. निजी अस्पतालों में कोविड-19 के इलाज में होने वाला व्यय मरीज को स्वयं वहन करना होगा.

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इलाज के लिए रोजाना 17 हजार रूपये निर्धारित

ए-श्रेणी वाले जिलों के एन ए बी एच मान्यता प्राप्त निजी अस्पतालों में मॉडरेट स्थिति वाले मरीजों के इलाज के लिए प्रतिदिन 6200 रूपये का शुल्क निर्धारित किया गया है. इसमें सर्पोर्टिव केयर आइसोलेशन बेड के साथ ऑक्सीजन और PPE किट की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी. गंभीर स्थिति वाले मरीजों के इलाज के लिए रोजाना 12 हजार रूपये का शुल्क निर्धारित किया गया है. इसमें वेंटिलेटर केयर के बिना आईसीयू और पीपीई किट शामिल है. अति गंभीर मरीजों के इलाज के लिए 17 हजार रूपये प्रतिदिन की दर निर्धारित की गई है. इसमें वेंटिलेटर केयर के साथ आईसीयू और पीपीई किट भी शामिल है. वहीं एन ए बी एच से गैर मान्यता प्राप्त निजी अस्पतालों के लिए मॉडरेट, गंभीर और अति गंभीर मरीजों के इलाज के लिए प्रतिदिन 6200 रूपये, 10 हजार रूपये और 14 हजार रूपये का शुल्क निर्धारित किया गया है.

दवाईयों की कीमत बाजार मूल्य के अनुसार

बी-श्रेणी में शामिल जिलों के सुपरस्पेशियालिटी सुविधा वाले अस्पताल तीनों स्थिति (मॉडरेट, गंभीर और अति गंभीर) के मरीजों के इलाज के लिए ए-श्रेणी के लिए निर्धारित दर का 80 प्रतिशत और सी-श्रेणी वाले जिलों के अस्पताल 60 प्रतिशत फीस ले सकेंगे. सभी अस्पताल डायग्नोसिस के लिए आयुष्मान भारत और डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना के अंतर्गत आई पी डी मरीजों के लिए निर्धारित शुल्क ही लेंगे, जहां ये योजनाएं लागू नहीं है. वहां सीजीएचएस दरों के अनुसार शुल्क लिया जाएगा. सभी अस्पतालों में दवाईयों की कीमत वास्तविक बाजार मूल्य के अनुसार ही लिए जाएंगे.

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