रायपुर: कोरोना महामारी की वजह से सभी सेक्टर के लोग दिक्कतों का सामना कर रहे हैं. इसके चलते अदालतों के कामकाज भी प्रभावित हुए हैं. अदालतों में सामान्य दिनों की तरह कामकाज नहीं होने से पेंडिंग केसों का बोझ लगातार बढ़ रहा है, वहीं वकीलों के मुंशी, छोटे वकील, स्टांप बेचने वाले वेंडर की रोजी-रोटी पर भी असर पड़ रहा है. वकील कहते हैं कि आगे अदालतों पर कामकाज का बोझ बढ़ना तय है.
प्रदेश में ज्यादातर अदालतों में सामान्य दिनों में काफी भीड़ होती है, जबकि ज्यादातर शहरों में कोर्ट परिसर इतने बड़े नहीं हैं, जितने लोग रोजमर्रा में वहां पहुंचते हैं. ऐसे में इन जगहों पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराना कठिन होगा. हालांकि कोर्ट में काम शुरू हुए हैं. फिलहाल कोर्ट में उस तरह की भीड़ नहीं होती है जैसी कि हुआ करती थी. इसके अलावा अदालतों में बेहद जरूरी मामलों की ही सुनवाई हो रही है.
यातायात व्यवस्था ठप
लॉकडाउन के चलते यातायात व्यवस्था पूरी तरह से ठप है, ऐसे में दूरस्थ इलाकों से लोगों का कोर्ट पहुंचना आसान नहीं होगा, इसलिए भी मामलों की सुनवाई आगे बढ़ने की संभावना है, हालांकि हाईकोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए भी काम हो रहा है, लेकिन प्रदेश में बहुत सी ऐसी जगहें हैं, जहां से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग करना संभव नहीं हो पाता.
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पूर्व एडवोकेट जनरल ने जताई चिंता
ETV भारत से बातचीत करते हुए छत्तीसगढ़ के पूर्व एडवोकेट जनरल और वरिष्ठ अधिवक्ता जुगल किशोर गिल्डा ने कहा कि इस महामारी के चलते अदालतों के कामकाज पर असर पड़ा है. जिससे इस पर निर्भर कई वकील और अन्य लोग भी आर्थिक रूप से प्रभावित होंगे. उन्होंने छत्तीसगढ़ बार काउंसिल से भी मांग की है कि ऐसी विपरीत परिस्थिति में जूनियर वकील, मुंशी, वेंडर जैसे लोगों की मदद की जाए और उन्हें आर्थिक रूप से भी सपोर्ट किया जाए. उन्होंने अपने पत्र में कुछ राज्यों का हवाला भी दिया है, जहां इस तरह के कदम उठाए जा रहे हैं.