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Paush Purnima 2023 साल की पहली पूर्णिमा पर ऐसे बरसेगी मां लक्ष्मी की कृपा

भारत में हर महीने की पूर्णिमा को एक त्यौहार के साथ मनाया जाता है. Paush Purnima 2023 आज साल 2023 की पहली पूर्णिमा है.2023 First full moon of year पौष माह की शुक्लपक्ष के पन्द्रहवें दिन की तिथि को पूर्णिमा के तौर पर मनाया जाता है. पौष पूर्णिमा के दिन वाराणसी के दशाश्वमेध घाट और प्रयाग के त्रिवेणी संगम Holy bath in Triveni Sangam of Prayag में पवित्र स्नान अत्यधिक शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि पौष पूर्णिमा के शुभ दिन पर पवित्र डुबकी आत्मा को जन्म और मृत्यु के निरंतर चक्र से मुक्त करती है.

Paush Purnima 2023
पौष पूर्णिमा 2023

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Published : Jan 6, 2023, 8:32 AM IST

रायपुर:पौष पूर्णिमा के दिन दान करना फलदायी होता है. चावल का दान करें. इससे कुंडली में चंद्र ग्रह की स्थिति मजबूत होती है. पौष पूर्णिमा के दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए, यदि नदी स्नान संभव न हो तो नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर और हाथ में कुश लेकर स्नान करें और सात्विक भोजन करें. सामर्थ्यनुसार दान-दक्षिणा करनी चाहिए साथ ही इस दिन घर आए व्यक्ति को खाली हाथ नहीं लौटाना चाहिए. पूर्णिमा के दिन घर की साफ-सफाई करें क्योंकि जिस घर पर गंदगी होती है, वहां मां लक्ष्मी का वास नहीं होता.Paush Purnima 2023

सर्वार्थ सिद्धि योग और भद्रा - साल 2023 की पौष पूर्णिमा सवार्थ सिद्धि योग में है. इस योग में किए जाने वाला शुभ कार्य पूर्ण और सफल होता है ऐसा माना जाता है.Importance of worship in Paush Purnima इस तिथि में सर्वार्थ सिद्धि योग 07 जनवरी को रात्रि 12 बजकर 14 मिनट से सुबह 07 बजकर 15 मिनट तक है. इसके अलावा पौष पूर्णिमा के दिन सुबह 08 बजकर 11 मिनट तक ब्रह्म योग बना हुआ है और उसके बाद से इंद्र योग रहेगा. 06 जनवरी को पौष पूर्णिमा के दिन भद्रा का साया है. पौष पूर्णिमा की सुबह 07 बजकर 15 मिनट से भद्रा लग रही है, जो दोपहर तीन बजकर 24 मिनट तक रहेगी. भद्रा में कोई शुभ कार्य नहीं करते हैं.2023 First full moon of year

Paush purnima vrat 2023 : पौष पूर्णिमा में स्नान का महत्व और पूजन विधि

पौष पूर्णिमा हिंदू कैलेंडर में एक महत्वपूर्ण दिन है. यह एक महीने की लंबी तपस्या अवधि की शुरुआत का प्रतीक है जो माघ महीने के दौरान मनाया जाता है.चंद्र कैलेंडर में उत्तर भारत में माघ मास पौष पूर्णिमा के अगले दिन से शुरू होता है.

माघ महीने के दौरान लोग पूरे महीने गंगा या यमुना में सुबह स्नान करते हैं. उत्तर में कठिन सर्दियों का मौसम तपस्या की अवधि को और अधिक कठिन बना देता है. दैनिक स्नान पौष पूर्णिमा से शुरू होकर माघ पूर्णिमा पर खत्म होता है, ऐसा माना जाता है कि इस दौरान किए गए सभी दान कार्य आसानी से फलित होते हैं. इसलिए लोग अपनी क्षमता के अनुसार जरूरतमंदों को दान देते हैं.

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छत्तीसगढ़ में छेरछेरा पर्व: पौष पूर्णिमा के दौरान शाकंभरी जयंती भी मनाई जाती है. इस्कॉन और वैष्णव संप्रदाय के अनुयायी इस दिन पुष्यभिषेक यात्रा शुरू करते हैं. छत्तीसगढ़ के ग्रामीण इलाकों में रहने वाली जनजातियां पौष पूर्णिमा के दिन छेरछेरा पर्व मनाती हैं.

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