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SPECIAL: बस संचालक और सरकार की आपसी खींचतान के बीच पिस रहे यात्री - बसों का संचालन

प्रदेश में पिछले 5 महीनों से बसों का संचालन बंद होने से यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. यात्रियों को कई गुना ज्यादा किराया देकर टैक्सी से सफर करना पड़ रहा है. साथ ही बस ड्राइवरों और कंडक्टरों के सामने भी अपना परिवार पालने की चुनौती खड़ी हो गई है.

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बेबस हुए यात्री

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Published : Aug 26, 2020, 10:11 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ में पिछले 5 महीने से यात्री बसों का संचालन बंद पड़ा है. बसों का संचालन नहीं होने से यात्रियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. इसके साथ ही बस चलाने वाले ड्राइवर और कंडक्टर की हालत भी धीरे-धीरे खराब होते जा रही है. बस मालिकों की 8 सूत्रीय मांग शासन ने अब तक पूरी नहीं की है. जिसके कारण बस मालिक और सरकार की आपसी खींचातानी में यात्री पिस रहे हैं.

बस संचालक और सरकार की आपसी खींचतान के बीच पिस रहे यात्री

छत्तीसगढ़ में अंतरजिला और अंतरराज्यीय बसों का संचालन बंद है. बस के संचालकों ने अब हड़ताल करने का मन बना लिया है. इसके लिए छत्तीसगढ़ यातायात महासंघ ने हर जिले के बस स्टैंड में 28 अगस्त से हड़ताल करने का फैसाल किया है. बस संचालक और सरकार की इस खींचातान के बीच यात्रियों के साथ बस चलाने वाले ड्राइवर और कंडक्टर भी परेशान हैं.

बस डिपो में खड़ी बसें

महंगी पड़ रही टैक्सी

ETV भारत ने राजधानी के पंडरी बस स्टैंड में कुछ यात्रियों से बात की. यात्रियों का कहना है कि बसों का संचालन नहीं होने से उन्हें ज्यादा किराया देकर प्राइवेट टैक्सी करके अपने घर जाना पड़ रहा है. अगर रायपुर से जगदलपुर की बात की जाए तो बस का किराया 300 रुपये होता है. लेकिन प्राइवेट टैक्सी करके जगदलपुर जाने में करीब 3 हजार रुपये लग रहे हैं. ऐसे ही रायपुर से अंबिकापुर तक बस का किराया 500 रुपये के आसपास है. लेकिन टैक्सी का किराया करीब 15 हजार रुपए है. बसों का संचालन बंद होने से प्रदेश भर के करीब 1 लाख ड्राइवर, कंडक्टर, हेल्पर और क्लीनर की रोजी-रोटी पर सीधा असर पड़ा है. बस चलाने वाले इन ड्राइवरों का कहना है कि बस संचालक या फिर सरकार इन्हें प्रति महीना 5 हजार रुपये का भत्ता भी नहीं दे सकी.

परेशान यात्री

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बस संचालकों की मांगें

  • सितंबर 2020 से मार्च 2020 तक टैक्स में छूट दी जाए.
  • डीजल के वैट टैक्स में 50 प्रतिशत तक की कटौती की जाए.
  • फार्म एम की साल में 2 महीने की बाध्यता खत्म की जाए.
  • डीजल की बढ़ती कीमत के साथ यात्री किराये में वृद्धि की स्थाई नीति बनाई जाए.
  • टोल टैक्स में छूट दी जाए.
  • स्लीपर कोच पर लगने वाले डबल टैक्स को खत्म किया जाए.
  • वीलबेस के आधार पर बैठक क्षमता को निर्धारित करना खत्म किया जाए.
  • भौतिक परीक्षण के आधार पर वाहन पंजीकृत किया जाए.

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