पीएम मोदी के बयान पर सीएम बघेल का पलटवार रायपुर:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लोकसभा में धन्यवाद प्रस्ताव पर जवाब दे रहे थे. उन्होंने राहुल गांधी का नाम लिए बिना कहा कि "उनको सत्ता में वापसी की गलतफहमी है. सत्ता में वापसी की बात बहलाने जैसी. पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि भ्रष्टाचार से देश को आजादी मिल रही है. आज तेज विकास सरकार की पहचान है. भारत में दो-तीन दशक अस्थिरता के रहे. आज स्थिर सरकार है. एक निर्णायक सरकार, पूर्ण बहुमत सरकार राष्ट्रहित में फैसले लेने वाली सरकार है."
पीएम मोदी ने कहा कि "हम देश के समय की मांग के अनुसार कार्य करते रहेंगे. भारत ने दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीनेशन अभियान चलाया. करोड़ों भारतीय लोगों को मुफ्त टीके लगाए". प्रधानमंत्री ने कहा कि ईडी ने सभी विपक्षियों को एक साथ ला दिया है. ईडी को धन्यवाद देना चाहिए क्योंकि चुनाव के नतीजे भी इन्हें इकट्ठा नहीं कर सके थे.
पीएम मोदी के बयान पर सीएम बघेल का काउंटर अटैक: लोकसभा में पीएम मोदी के बयान पर सीएम बघेल ने काउंटर अटैक किया है. उन्होंने कहा," देश में प्रगति किससे है? किसानों की आय दोगुनी होने का वादा किया गया था. खर्च दोगुना हो गया, क्या विकास का पैमाना केवल अडानी का विकास है". इस मौके पर उन्होंने राहुल गांधी के बयान को दोहराते हुए केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. इसके साथ ही विकास की परिभाषा बताई.
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सीएम ने बताई विकास की परिभाषा:दरअसल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अमलीडीह स्थित आर्च डायलिसिस के स्वर्ण जयंती पर आयोजित समारोह में पहुंचे थे. इस मौके पर पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि "मंगलवार को राहुल ने कहा कि 609 नंबर से बढ़कर 2 नंबर पर आये थे और एक पेपर प्रकाशित हुआ तो घटकर सीधे 23वें नंबर पर पहुंच गये. विकास की परिभाषा बताते हुए कहा कि ऐसा विकास होना चाहिए जिसमें देश के किसान, मजदूर, युवा, महिलाएं, आदिवासी, अनुसूचित जाति का विकास हो. केवल मुट्ठी भर लोगों का विकास नहीं चाहिए. ये लोकतांत्रिक देश है. इसमें सबका हिस्सा है और सबके पास विकास की किरणें पहुंचनी चाहिए."
झीरम हमले की जांच पर दिया बयान रमन के कार्यकाल में चिटफंड कंपनियों का बोलबाला: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने चिटफंड कंपनियों के खिलाफ हो रही कार्रवाई को लेकर कहा कि "बीजेपी का चरित्र सामने आ रहा है. रमन सिंह के शासन काल मे चिटफंड कंपनियों का बोलबाला था.कांग्रेस सरकार बनने के बाद केंद्र सरकार को पत्र लिखकर कड़े कानून बनाने की हमने मांग की, लेकिन केंद्र सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया. झीरम जांच में भी इसी तरह की बात सामने आई. कोर्ट में जाकर जांच को रोकने का काम किया गया"