रायपुर: पूरा विश्व इन दिनों कोरोना महामारी से लड़ रहा है. हर क्षेत्र कोरोना संकट से प्रभावित हुआ है. प्राइवेट सेक्टर, सार्वजनिक क्षेत्र, लगभग हर क्षेत्र को इस महामारी ने प्रभावित किया है. लेकिन सबसे ज्यादा प्रभावित अगर कोई क्षेत्र हुआ है तो वह है एजुकेशन सेक्टर. जुलाई का महीना बीतने को है लेकिन अब तक ना स्कूल खुल पाए हैं और ना ही कॉलेज. हालांकि इनके खोलने को लेकर सरकार विचार जरूर कर रही है, लेकिन अब तक कोई फैसला नहीं लिया जा सका है.
स्कूल-कॉलेज खुलने पर संशय बरकरार
हर साल 15 जून के बाद से ही स्कूल खोल दिए जाते थे. लेकिन इस बार मार्च से बंद स्कूल-कॉलेज अब तक नहीं खुले हैं. हालांकि चर्चा जरूर है कि 15 अगस्त के बाद स्कूल खोले जा सकते हैं. लेकिन ना तो सरकार इसे लेकर तैयार है और ना ही परिजन इसके लिए तैयार नजर आ रहे हैं.
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'स्कूल खुलना मतलब महामारी को बढ़ावा देना'
ETV भारत की टीम ने छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में कुछ पैरेंट्स से स्कूल खोलने को लेकर बात की. रायपुर के दिनेश शर्मा ने बताया कि अभी स्कूल खोलने का मतलब महामारी को बढ़ावा देना होगा. क्योंकि छोटे-छोटे बच्चे अपनी सुरक्षा नहीं कर सकते है. इन्हें ना तो सोशल डिस्टेंसिंग पता है और ना ही उन्हें क्वॉरेंटाइन का मतलब पता है. और ना ही उन्हें अकेले रखा जा सकता है. स्कूल खुलने के बाद यदि एक बच्चा भी संक्रमित हुआ तो इससे कई और बच्चे संक्रमित हो जाएंगे. ऐसे में सरकार को अब स्कूल खोलने के बारे में नहीं सोचना चाहिए. वहीं उन्होंने कहा कि इस समय चल रहे ऑनलाइन क्लास को भी बंद करना चाहिए क्योंकि इससे बच्चों पर विपरीत प्रभाव पड़ने लगा है.
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