रायपुर: दक्षिण महाराष्ट्र के कर्नाटक से सटे सोलापुर के आगे लगे क्षेत्र में पंढरपुर नगर में श्री विट्ठल जी महाराज की पूजा की जाती है. यह पूजा यात्रा पिछले 800 सालों से भी अधिक समय से की जा रही है. पंढरपुर की यात्रा काफी विशेष मानी गई है. इस यात्रा में शामिल होने वाले को वारकरी कहते हैं. यही वारकरी संप्रदाय कहलाते हैं. इस वारी में दो प्रमुख पालकिया निकाली जाती है. एक संत तुकाराम जी की और दूसरी संत श्री ज्ञानेश्वर जी की. इन पालकियों को श्रद्धा से निकाला जाता है. पंढरपुर की यात्रा आषाढ़ शुक्ल पक्ष एकादशी के कुछ दिनों पहले ही शुरू की जाती है. पुणे के पास आनंदी क्षेत्र में बहुत सारे भक्त एक साथ इस यात्रा के लिए निकलते हैं.
Pandharpur Yatra 2023: स्वाति और विशाखा नक्षत्र में मनाई जाएगी पंढरपुर यात्रा - Visakha Nakshatra
Pandharpur Yatra 2023: स्वाति और विशाखा नक्षत्र में पंढरपुर यात्रा मनाया जाएगा. इस दिन भगवान विट्ठल महाराज की पूजा होती है. इस यात्रा में भारी संख्या में भक्त शामिल होते हैं. भगवान विट्ठल विष्णु भगवान के स्वरूप है.
संपूर्ण महाराष्ट्र कर्नाटक क्षेत्र में पंढरपुर की यात्रा बहुत विशेष मानी जाती है. भगवान श्री विट्ठल महाराज को श्री हरि विष्णु भगवान का अवतार माना जाता है. यह पंढरपुर यात्रा वर्ष में लगभग 4 बार उत्साह के साथ मनाई जाती है. इस यात्रा को वारी देना भी कहते हैं. यह यात्रा मुख्य रूप से पैदल ही की जाती है. सभी भक्त इस यात्रा को भक्ति के माहौल में पूर्ण करते हैं. -पंडित विनीत शर्मा
इस योग में मनेगा पंढरपुर यात्रा पर्व:बता दें कि पूरे महाराष्ट्र और कर्नाटक में पंढरपुर यात्रा धूमधाम से निकाली जाती है. स्वाति और विशाखा नक्षत्र, सिद्ध और स्थिर योग, विषकुंभ करण, तुला राशि गुरुवार के दिन यह पर्व मनाया जाएगा. यह सामूहिकता समन्वय और एक अनुशासन में होकर यात्रा करने का महान संदेश देता है. इस यात्रा में भारी संख्या में विट्ठल भक्त शामिल होते हैं. महाराष्ट्र में इस यात्रा में भाग लेने वाले प्रत्येक व्यक्ति को बड़ा गर्व महसूस होता है.