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वेस्ट पैरा से आर्ट बनाकर सैकड़ों युवाओं को चूड़ामणी दे रहे रोजगार - चूड़ामणी सूर्यवंशी

छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले के रहने वाले चूड़ामणी सूर्यवंशी ने पैरा की कला से हजारों बच्चों को रोजगार देने का काम किया है. आज छत्तीसगढ़ का पैरा आर्ट्स छत्तीसगढ़ में ही नहीं बल्कि देश विदेश में भी मशहूर है. पैरा आर्टिस्ट चूड़ामणी सूर्यवंशी ने 5 हजार से ज्यादा बच्चों को पैरा आर्ट सिखा कर रोजगार दिया है.

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पैरा आर्ट

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Published : Jun 5, 2022, 2:27 PM IST

Updated : Jun 5, 2022, 2:35 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है. प्रदेश में धान की कई किस्में पाई जाती है. यहां की फसलों को देश भर में पहचान मिली हुई है. धान से चावल निकालने के बाद जो बचता है उसे छत्तीसगढ़ में पैरा या पराली कहा जाता है. पैरा और पराली को अक्सर या तो जला दिया जाता है या गाय भैंस के खाने के लिए दे दिया जाता है. लेकिन छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले के रहने वाले चूड़ामणी सूर्यवंशी ने पैरा की कला से हजारों बच्चों को रोजगार देने का काम किया है. आज छत्तीसगढ़ का पैरा आर्ट्स छत्तीसगढ़ में ही नहीं बल्कि देश विदेश में भी मशहूर है. पैरा आर्टिस्ट चूड़ामणी सूर्यवंशी ने 5 हजार से ज्यादा बच्चों को पैरा आर्ट सिखा कर रोजगार दिया है. ईटीवी भारत ने चूड़ामणी से खास बातचीत की. आइए जानते उन्होंने क्या कहा...

ईटीवी भारत ने पैरा आर्टिस्ट चूड़ामणी से खास बातचीत की

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किस तरह पैरा आर्ट में बढ़ी रुचि:पैरा आर्टिस्ट चूड़ामणी सूर्यवंशी ने बताया " बचपन से ही ड्राइंग स्केच का मुझे शौक था. 2011 में छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प विकास बोर्ड की ट्रेनिंग प्रोग्राम में मुझे पैरा आर्ट सीखने का अवसर मिला. जब महारत हासिल हुई तो खुद रायपुर के पंडी हॉट 2012 में मैंने दूसरों को प्रशिक्षण देना शुरू किया. "



सैकड़ों ने पैरा आर्ट को बनाया रोजगार का साधन:पैरा आर्टिस्ट चूड़ामणी सूर्यवंशी ने बताया "पैरा से युवा बच्चों को जोड़ने संस्कृति विभाग की मदद से अंबिकापुर, जगदलपुर, कोरबा, बिलासपुर, मुंगेली के साथ-साथ दिल्ली, चंडीगढ़, नागपुर, मुंबई जैसे महानगरों में भी जाकर मैंने प्रशिक्षण दिया है. अब तक 5 हजार से ज्यादा बच्चों को पूरे देश में पैरा आर्ट में मैंने प्रशिक्षण दिया है. इसमें से सैकड़ों इसे रोजगार का साधन बना कर जीवन यापन कर रहे हैं."

पैरा आर्ट



पैरा आर्ट आज सिर्फ छत्तीसगढ़ में ही नहीं बल्कि देश विदेश में मशहूर:पैरा आर्टिस्ट चूड़ामणी सूर्यवंशी ने बताया "पैरा आर्ट आज सिर्फ छत्तीसगढ़ में ही नहीं बल्कि देश विदेश में भी काफी ज्यादा मशहूर है. पैरा से स्केच बनाकर पूरा पेंटिंग बनाने में 100 से 200 का खर्चा आता है और आराम से कोई भी आर्टिस्ट पेंटिंग को हजार रुपए में बेच सकता है. पैरा के साथ-साथ महिलाओं को जोड़कर हमने ज्वेलरी और राखी बनाकर कला में नवाचार भी आया है. इससे महिलाओं को रोजगार का भी नया साधन मिला है."



कैसे तैयार होता है पैरा आर्ट

• सबसे पहले पैरा की कटिंग की जाती है.

• पैरा में किसी कलर का इस्तेमाल नहीं होता बल्कि तीन तरह के कलर के पैरा पाए जाते हैं.

• सफेद, पीला और भूरा पैरा पाया जाता है, जिससे पेंटिंग तैयार की जाती है.

• सबसे पहले पैरों को ब्लेड की सहायता से सपाट किया जाता है.

• पेपर में स्केच तैयार किया जाता है.

• तैयारी स्केच पर पैरा को चिपकाया जाता है.

• काले कलर के कार्डबोर्ड या काले रंग के कपड़े को बैकग्राउंड पर रखा जाता है.

• ब्लैक बैकग्राउंड पर स्केच तैयार कर पैरा चिपकाया जाता है, इससे स्केच अच्छे से उभर कर नजर आता है.

Last Updated : Jun 5, 2022, 2:35 PM IST

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