रायपुर: छत्तीसगढ़ में इस साल धान की बंपर पैदावार होने की संभावना है. सरकार का दावा है कि धान के समर्थन मूल्य और राजीव गांधी न्याय योजना के तहत दिए जाने वाली राशि मिलाकर किसानों को 2500 रुपए प्रति क्विंटल भुगतान किया जा रहा है. इस वजह से ज्यादातर किसानों ने इस बार अपने खेतों में धान की बुआई की है.
कृषि मंत्री ने भी इस बात की उम्मीद जताई है. कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे का यह भी कहना था कि धान खरीदी के लिए जिन किसानों ने पिछले साल पंजीकृत करा लिया है, उन्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि उन्हें इस साल पंजीयन कराना नहीं पड़ेगा. सरकार ने साल 2020-21 में धान खरीदी का अनुमानित लक्ष्य लगभग 95 लाख मीट्रिक टन रखा है.
इस साल हो सकती है धान की बंपर पैदावार सरकार के सामने चुनौतियां
ज्यादा धान पैदा होने के बाद सरकार को खरीदी भी ज्यादा करनी होगी. इतना ही नहीं उसके संग्रहण का इंतजाम भी करना होगा. इसके साथ ही 2500 रुपये प्रति क्विंटल के भुगतान भी किसानों को करना होगा. सरकार के सामने ये बड़ी चुनौती है.
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव का कहना है कि छत्तीसगढ़ धान का कटोरा है, किसान हमारे अन्नदाता हैं. भूपेश सरकार ने वादे तो किए, लेकिन उन्हें पूरा नहीं किया. आज भी उन किसानों के द्वारा बेचा गया धान खुले आसमान के नीचे रखने के कारण बर्बाद हो जाता है. इसके लिए प्रदेश की भूपेश सरकार जिम्मेदार है. धान के भंडारण की व्यवस्था सरकार के पास नहीं है. भाजपा ने कांग्रेस सरकार से मांग की है कि जल्द से जल्द धान भंडारण की व्यवस्था की जाए, जिससे आने वाले समय में धान की बर्बादी ना हो.
इसके अलावा धान खरीदी के लिए बारदाना भी एक समस्या बन सकता है, क्योंकि हर साल यह बात सामने आती है कि बारदाने की कमी के चलते भी धान खरीदी बुरी तरह प्रभावित होती है. जिसका खामियाजा कहीं न कहीं किसानों को उठाना पड़ता है.
भंडारण की व्यवस्था का दावा
खाद्य मंत्री अमरजीत भगत का कहना है कि सरकार ने धान संग्रहण केंद्रों में भंडारण की व्यवस्था की है. कई जगह पर पक्के चबूतरे बनाए गए हैं, सेट लगाया जा रहा है और सरकार आने वाले समय में धान संग्रहण की उचित व्यवस्था करने की तैयारी में जुटी हुई है. अमरजीत भगत का दावा है कि आने वाले समय में धान खुले आसमान के नीचे नहीं रखा जाएगा. इस पर कार्ययोजना बनाकर काम किया जा रहा है.
कर्ज लेकर राशि का भुगतान
पिछले साल केंद्र सरकार ने कहा था कि छत्तीसगढ़ सरकार धान का समर्थन मूल्य 2500 रुपए देगी, तो केंद्र सरकार उनका धान सेंट्रल पूल में नहीं लेगी. इसके बाद राज्य सरकार ने किसानों से केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित समर्थन मूल्य 1815 और 1835 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर धान खरीदा. इस खरीदी के बाद अंतर की राशि 668 और 665 रुपए बाद में देने नई योजना बनाई गई. इस अंतर की राशि का भुगतान राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत चार किस्तों में किए जाने का निर्णय लिया गया. इन चार किस्तों में सरकार 19 लाख किसानों के खातों में 5700 करोड़ रुपए की राशि जमा कराएगी. जिसमें से 2 किस्तें किसानों को दे दी गई है, वहीं तीसरी किस्त का भुगतान 1 नवंबर को राज्य स्थापना दिवस के दिन किया जाएगा. इस राशि के भुगतान के लिए राज्य सरकार को करोड़ों रुपए का कर्ज लेना पड़ा है.
बीजेपी ने लगाए आरोप
भाजपा का आरोप है कि कांग्रेस सरकार प्रदेश को कर्ज में डुबो रही है. पूर्व कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल का कहना है कि 2 सालों में ही राज्य सरकार के हाथ-पैर फूल गए हैं. हमारी सरकार ने 10 सालों से भी ज्यादा समय तक किसानों का धान खरीदा, लेकिन आज कांग्रेस सरकार किसानों का रकबा कम करने की बात कर रही है. प्रदेश में 39 लाख किसान हैं. उसमें से 14-16 लाख किसानों का धान खरीदते हैं, बाकी किसानों का धान नहीं खरीदते. अगर सभी किसान धान बेचना शुरू कर दें तो सरकार की योजना फेल हो जाएगी.
धान खरीदी शुरू करने की मांग
पूर्व कृषि मंत्री और नेता प्रतिपक्ष ने दीपावली के पहले धान खरीदी शुरू करने की मांग की है. नेता प्रतिपक्ष ने भी राज्य सरकार पर धान खरीदी को लेकर जमकर हमला बोला है. उनका कहना है कि जब केंद्र सरकार 60 लाख मीट्रिक टन चावल केंद्रीय पूल में लेने जा रही है, तो ऐसे में राज्य सरकार को प्रति एकड़ कम से कम 20 क्विंटल धान की खरीदी करनी चाहिए.
छत्तीसगढ़ में धान की पैदावार और उसकी खरीदी की प्रक्रिया
- सरकारी आंकड़ों के अनुसार राज्य में 37.46 लाख किसान हैं, जिसमें से 76 फीसदी किसान लघु एवं सीमांत श्रेणी में आते हैं. राज्य में सर्वाधिक धान की खेती होती है. यहां 23 हजार से अधिक वैरायटी की धान उगाई जाती है. छोटे-बड़े करीब 20 लाख से अधिक किसान धान की खेती करते हैं और यही वजह है कि राज्य को देश का धान का कटोरा कहा जाता है.
- सरकार के द्वारा धान खरीदी प्रदेश की विभिन्न सोसायटियों के माध्यम से की जाती है. इसके बाद धान को सोसाइटी अपने विभिन्न भंडारण केंद्रों में रखती है, जहां से कस्टम मिलिंग के लिए धान का उठाव होता है.
- एक जानकारी के मुताबिक हर लगभग साल 17 लाख के आसपास किसान धान बेचते थे. लेकिन साल 2019-20 में 19 लाख से अधिक किसानों ने धान बेचा है. राज्य में धान का कुल रकबा 44 लाख हेक्टेयर है. जिसमें लगभग 84 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी की गई. ये खरीदी प्रदेश की 2048 केंद्रों के माध्यम से की गई.
- साल 2019-20 प्रदेश में 54 नए खरीदी केंद्र बनाए गए, जबकि 48 मंडियों एवं 67 उप मंडियों के प्रांगण का उपयोग भी खरीदी के लिए किया गया. सेंट्रल पूल में धान देने के बावजूद यहां के पूरे धान की खपत नहीं हो पाई है. इनमें से पीडीएस में 25.40 लाख टन, एफसीआई को 24 लाख टन ओर राज्य के पास 7.11 लाख टन धान रखा गया है.
साल 2020-21 में धान खरीदी का अनुमानित लक्ष्य लगभग 95 लाख मीट्रिक टन रखा गया है. वहीं इस साल 60 लाख मीट्रिक टन सेंट्रल पूल में चावल लेने का फैसला केंद्र सरकार के द्वारा लिया गया है, जो कहीं न कहीं राज्य सरकार को राहत पहुंचाने वाली खबर है.