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पंजाब में केंद्र के कृषि बिल के विरोध में प्रस्ताव, क्या छत्तीसगढ़ बनेगा अगला राज्य?

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Published : Oct 20, 2020, 2:28 PM IST

Updated : Oct 20, 2020, 4:36 PM IST

केंद्र के कृषि बिलों के विरोध में कांग्रेसशासित प्रदेश एक-एक कर आगे आ रहे हैं. पंजाब में केंद्रीय कृषि बिल को निष्प्रभावी बनाने तीन विधेयक पेश किए गए हैं. इधर छत्तीसगढ़ में भी कृषि बिल को लेकर राजभवन और सरकार के बीच टकराव की स्थिति बन गई हैं.

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कृषि बिल का विरोध

हैदराबाद: पंजाब में केंद्र के कृषि बिल को निष्प्रभावी करने के लिए तीन विधेयक पेश हुए हैं. छत्तीसगढ़ सरकार भी कृषि बिल का विरोध कर रही है. केंद्रीय कृषि कानूनों को रोकने छत्तीसगढ़ विधानसभा के विशेष सत्र की बैठक इसी महीने 27 और 28 तारीख को हो सकती है. इस दो दिवसीय विशेष सत्र को लेकर राजभवन और सरकार के बीच टकराव की स्थिति बनती नजर आ रही है.

सरकार भले ही गिर जाए लेकिन किसानों के साथ हैं: अमरिंदर सिंह

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मंगलवार को विधानसभा में केंद्र सरकार के कृषि बिलों के खिलाफ विधेयक पेश किए. अमरिंदर सिंह ने यह भी कहा कि उनकी सरकार अगर गिरती है तो गिर जाए, उन्हें इसका डर नहीं है लेकिन वह किसानों के साथ हैं.

पंजाब सरकार ने ये 3 बिल पेश किए

  • फार्मर्स प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) स्पेशल प्रोविजंस एंड पंजाब अमेंडमेंट बिल
  • द एसेंशियल कमोडिटीज (स्पेशल प्रोविजंस एंड पंजाब अमेंडमेंट) बिल
  • द फार्मर्स (एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विसेज (स्पेशल प्रोविजंस एंड पंजाब अमेंडमेंट बिल)

अमरिंदर सिंह ने कहा कि केंद्र का कृषि बिल किसानों और भूमिहीन श्रमिकों के हितों के खिलाफ है. उन्होंने इस दौरान तीन विधेयक, किसानों को उत्पादन सुविधा अधिनियम में संशोधन, आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन, किसानों के समझौते और कृषि सेवा अधिनियम में संशोधन बिल विधानसभा में पेश किए.

पढ़ें: पंजाब : कृषि कानूनों के खिलाफ कैप्टन के साथ आए सिद्धू

समर्थन मूल्य की गारंटी

केंद्र के तीन कृषि कानूनों के प्रभाव को राज्य में रोकने के लिए पंजाब सरकार ने जो तीन बिल पेश किए हैं. उनमें किसानों की आशंकाओं को दूर करने की कोशिश की गई है. मंडियों के बाहर खरीद करने वालों को कोई टैक्स अदा न करने के प्रावधान को रोकने के लिए पंजाब सरकार ने अपने कानून में कहा है कि पंजाब राज्य में कहीं भी गेहूं और धान न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम पर नहीं खरीदा जा सकेगा, अगर कोई कंपनी कॉरपोरेट व्यापारी आदि ऐसा करते हैं तो उन्हें 3 साल का सजा और जुर्माने का प्रावधान किया गया है.

इसके अलावा केंद्रीय कानून में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग एक्ट में किसानों और कंपनियों के बीच विवाद होने पर केवल एसडीएम तक ही केस लड़े जाने का प्रावधान किया हुआ है, जबकि इसके प्रभाव को कम करने के लिए राज्य सरकार ने अपने एक्ट में प्रावधान किया है कि सिविल कोर्ट में किसान जा सकेंगे. आवश्यक कानून जिसमें केंद्रीय कानून में कहा गया है कि खरीदी जाने वाली फसल के बारे में कोई भी लिमिट नहीं होगी और न ही यह कहां भंडारण की गई है, इसके बारे में बताने की जरूरत है. इस प्रभाव को कम करने के लिए पंजाब सरकार ने अपने बिल में कहा है कि खरीदी जाने वाली फसल की सीमा राज्य सरकार द्वारा तय की जाएगी और इसे कहां स्टोर किया गया है यह भी बताना होगा.

केंद्र सरकार के कृषि बिलों को लेकर पंजाब में किसान लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. कांग्रेस सांसद राहुल गांधी भी राज्य में किसानों का समर्थन करने पहुंचे थे और ट्रैक्टर यात्रा की थी.

पढ़ें: राजभवन और सरकार के बीच बढ़ा टकराव: विशेष सत्र बुलाए जाने राज्यपाल ने मांगा जवाब

छत्तीसगढ़ में राजभवन और राज्य सरकार के बीच बढ़ा टकराव

इधर छत्तीसगढ़ में भी कृषि कानूनों को लेकर सरकार विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की तैयारी में थी. इसके लिए सरकार ने राज्यपाल की मंजूरी के लिए प्रस्ताव भी भेजा लेकिन राजभवन ने फाइल लौटाकर ये पूछा है कि, 58 दिन पहले ही जब सत्र आहूत किया गया था, तो ऐसी कौन सी परिस्थिति आ गई है कि विशेष सत्र बुलाए जाने की जरूरत पड़ रही है? विशेष सत्र बुलाए जाने से संबंधित फाइल सरकार को लौटाने के बाद राजभवन और सरकार के बीच टकराव और तेज हो गए हैं.

Last Updated : Oct 20, 2020, 4:36 PM IST

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