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छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस पर साहित्यकारों की राय

छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस के मौके हर साल छत्तीसगढ़ी भाषा के क्षेत्र में विशेष योगदान देने वाले वरिष्ठ साहित्यकारों का सम्मान किया जाता है, लेकिन आज भी छत्तीसगढ़ भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं किया गया है. जिसे लेकर आज भी साहित्यकारों के मन में एक टीस है.Opinion of litterateurs on Chhattisgarhi Rajbhasa Diwas

छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस पर साहित्यकारों की राय
छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस पर साहित्यकारों की राय

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Published : Nov 28, 2022, 7:45 PM IST

Updated : Nov 28, 2022, 8:07 PM IST

रायपुर :छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग को बजे 15 साल हो गए है. लेकिन अभी छत्तीसगढ़ी भाषा को पाठ्यक्रम में जगह नहीं मिल पाई. यहां तक की सरकारी कामकाज में भी छत्तीसगढ़ी भाषा का प्रयोग ना के बराबर ही होता है.छत्तीसगढ़ी भाषा की स्थिति को लेकर वरिष्ठ साहित्यकारों का क्या कहना है इसे लेकर ईटीवी भारत ने मुख्यमंत्री से सम्मानित साहित्यकारों से बातचीत की.Opinion of litterateurs on Chhattisgarhi Rajbhasa Diwas



भाषा को उचित स्थान मिले : छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण आंदोलन करता और वरिष्ठ साहित्यकार जागेश्वर प्रसाद (Senior writer Jageshwar Prasad) ने कहा " मुख्यमंत्री निवास में साहित्यकारों का सम्मान किया गया है. इसे मैं केवल प्रतीकात्मक मानता हूं, यह सम्मान तब माना जाएगा जब छत्तीसगढ़ी में पाठ्यक्रम हो और सभी साहित्यकार इनके योगदान से छत्तीसगढ़ राज्य और राज्य भाषा बनी है उन सभी को उचित मान सम्मान मिलना चाहिए. हम एकाएक छत्तीसगढ़ी में सारी पढ़ाई करने की बात नहीं कर रहे हैं. शुरुआत पहली कक्षा से की जाए और धीरे-धीरे इसे आगे बढ़ाया जाए, मुख्यमंत्री ने संबंध में विचार करने की बात कही है.''


भाषा का प्रचार प्रसार करना शासन की जिम्मेदारी :जागेश्वर प्रसाद ने कहा कि छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस ( Chhattisgarhi Rajbhasa Diwas) के मौके पर पूरे छत्तीसगढ़ में बड़े कार्यक्रम आयोजित होना चाहिए शासन के साथ समाज की भी जिम्मेदारी है की छत्तीसगढ़ी भाषा का अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार हो,, राजभाषा आयोग बने 15 साल हो गए हैं लेकिन छत्तीसगढ़ी भाषा का स्वरूप कैसा होना चाहिए कैसी लिखावट होनी चाहिए, उसके लिए एक रूपता होनी चाहिए, लेकिन इस संबंध में आज तक एक भी कार्यशाला नहीं हुई. इन सभी चीजों के बिना छत्तीसगढ़ी भाषा में निखार नहीं आ पाएगा इसलिए कार्यशाला की आवश्यकता बेहद अधिक है,,


मानकीकरण में आ रही है परेशानी :वरिष्ठ साहित्यकार बुधराम यादव कहा कहना है " जहा भाषा की बात आती है वहा मानकीकरण, व्याकरण की बात आती है, हम दावा करते हैं छत्तीसगढ़ी भाषा का व्याकरण तो बना है. जहां भाषा के मानकीकरण की बात आती है. कई भाषाओं के शब्दों को लेकर, उसे अपने में समा कर उनका विलिनीकरण करके चलते हैं. तब भाषा में समृद्धि आती है. इसलिए मानकीकरण में जो जटिलता आ रही है . कई शब्द ऐसे हैं जिन्हें छत्तीसगढ़ भाषा मे समाने में हम परहेज कर रहे हैं. शासन के जो लोग इन सभी चीजों में काम कर रहे हैं. उन्हें इन सब बातों पर ध्यान देने की भी आवश्यकता है.तभी छत्तीसगढ़ी भाषा समृद्ध होगी और छत्तीसगढ़ी भाषा को नए शब्द मिलेंगे"

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पढ़ने और लिखने में हो भाषा का इस्तेमाल :वरिष्ठ साहित्यकार तेजपाल सोनी ने बताया कि "छत्तीसगढ़ी भाषा को पढ़ाई लिखाई में शामिल करना बेहद आवश्यक, छत्तीसगढ़ी भाषा को लेकर बच्चों में प्रखर बुद्धि तब आएगी जब उनके पाठ्यक्रम में छत्तीसगढ़ी भाषा को शामिल किया जाएगा, छत्तीसगढ़ी बोलने और लिखने में बहुत अंतर है उसके लिए जान देना बहुत आवश्यक है, स्कूलों में छत्तीसगढ़ी भाषा को शामिल करना शासन का दायित्व है और इसे पाठ्यक्रम में भी लागू किया जाना चाहिए."

Last Updated : Nov 28, 2022, 8:07 PM IST

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