रायपुर: एक बार फिर से राज्यपाल और छत्तीसगढ़ सरकार के बीच टकराव जैसे हालात दिख रहे हैं. दरअसल, राज्यपाल अनुसुइया उइके ने कृषि मंडी संशोधन विधेयक पर अब तक हस्ताक्षर नहीं किए हैं. यह विधेयक भूपेश सरकार की ओर से विधानसभा के विशेष सत्र में पारित किया गया था.राज्यपाल और राज्य सरकार के बीच टकराव के हालात को लेकर राजनीतिक दलों के भले ही अलग-अलग तर्क होंगे. लेकिन संविधान विशेषज्ञों ने इस विषय पर चिंता जताई है.
राजभवन के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इस विधेयक को लेकर राज्यपाल विधि विशेषज्ञों से राय भी ले रही हैं. वहीं इस तरह की समस्याओं से निपटने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल 28 नवंबर को कैबिनेट की बैठक भी बुला रहे हैं. इससे पहले विधानसभा के विशेष सत्र को लेकर भी राज्यपाल और राज्य सरकार के बीच टकराव के हालात बने थे. 27 और 28 अक्टूबर को विधानसभा में विशेष सत्र बुलाने को लेकर भी राजभवन फाइल भेजी गई थी, लेकिन राजभवन की तरफ से फाइल को लौटा दिया गया था. राजभवन की तरफ से यह कहा गया था कि ऐसी कौन सी परिस्थिति है कि विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जाए?. काफी विवाद के बाद राज्यपाल ने विशेष सत्र बुलाने को लेकर मंजूरी दे दी थी.
संविधान विशेषज्ञों ने भी जताई चिंता
संविधान विशेषज्ञ और वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी रहे डॉ. सुशील त्रिवेदी ने बताया कि अभी लगातार ऐसे हालात देखने को मिल रहे हैं जो राज्य के हित के लिए सही नहीं है. छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद से छत्तीसगढ़ में राज्यपाल और सरकार के बीच कभी भी विवाद के हालात नहीं बने हैं. राज्यपाल को यह देखना होता है कि राज्य में संविधान के अनुरूप काम हो रहा है या नहीं, संविधान के अनुरूप विधानसभा सत्र बुलाने का अधिकार राजभवन को दिया गया है, वो औपचारिक है.
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क्या कहता है नियम?
डॉक्टर सुशील त्रिवेदी ने बताया कि संवैधानिक नियमों के तहत राज्यपाल, पारित विधेयक को एक बार राज्य सरकार को वापस भेज सकती है. इसके बाद यदि यह राज्य सरकार विधेयक उसे फिर से भेजे तो, राज्यपाल को विधेयक को मंजूर करना अनिवार्य हो जाता है. इसके अलावा राज्यपाल विधेयक को राष्ट्रपति को भेज कर उनका भी मत मिलने का इंतजार करेंगे.
राज्यपाल को जानने का अधिकार
इस मसले को लेकर भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व कृषि मंत्री चंद्रशेखर साहू ने बताया कि राज्यपाल संवैधानिक पद है. इसे लेकर टिप्पणी करना सही नहीं है. उन्होंने बताया कि राज्य सरकार जिस तरफ से मंडी टैक्स में संशोधन करके नया कानून लाया जा रहा हैं, उसमें अनाज और रॉ मटेरियल दोनों में टैक्सेशन है, जो कि गलत है. राज्य सरकार मंडी की आय की चिंता कर रही है, लेकिन किसानों की आय के चिंता नहीं कर रही है. अगर इस बात की जानकारी राजभवन की ओर से ली जा रही है तो इसमें कुछ गलत नहीं है.
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देश के तमाम गैर भाजपा शासित राज्यों में टकराव के हालात
गैर भाजपा शासित राज्यों में राज्यपाल और राज्य सरकारों के बीच टकराव की स्थिति नजर आ रही है. इनमें पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और केरल का नाम प्रमुख है. पश्चिम बंगाल में राज्यपाल जगदीप धनखड़ और राज्य सरकार के बीच आए दिन किसी न किसी मुद्दे पर विवाद की स्थिति बनी रहती है. इसी तरह महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली सरकार और भगत सिंह कोश्यारी के बीच टकराव की बात सामने आती रही है. केरल में भी संशोधित नागरिकता कानून को लेकर राज्यपाल और केरल सरकार के बीच टकराव चरम पर पहुंच गया था.