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'व्‍हाइट फंगस' क्या है? विशेषज्ञ से जानें इसके कारण, लक्षण और इलाज

ETV भारत लगातार लोगों को बीमारियों के प्रति सचेत करता आया है. कोरोना, ब्लैक फंगस और अन्य कई बीमारियों की जानकारी हमेशा ईटीवी भारत ने लोगों तक पहुंचाई है. ब्लैक फंगस के बाद अब व्हाइट फंगस बीमारी के केस देश में आ रहे हैं. आखिर व्हाइट फंगस क्या है. कैसे इससे बचा जा सकता है. इसे लेकर ईटीवी भारत ने नेत्र रोग विशेषज्ञ संतोष सिंह पटेल से खास बातचीत की है.

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व्हाइट फंगस की अहम जानकारी

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Published : May 23, 2021, 2:41 PM IST

Updated : May 23, 2021, 3:50 PM IST

रायपुर:एक ओर बढ़ते कोरोना संक्रमण से आम जन जीवन प्रभावित हो रहा है. वहीं अब पोस्ट कोविड बीमारी लोगों को घेर रही है. कोरोना वायरस से ठीक हुए मरीजों का इम्यून सिस्टम कमजोर होने के कारण अब अन्य बीमारियां भी हो रही हैं. छत्तीसगढ़ में ब्लैक फंगस से भी लोग संक्रमित हुए हैं. ऐसे में अब व्हाइट फंगस बीमारी ने देश में दस्तक दे दी है. व्हाइट फंगस की जानकारी लोगों को नहीं है. ऐसे में उनकी चिंता बढ़ गई है. ETV भारत ने लोगों की चिंता को देखते हुए व्हाइट फंगस से जुड़ी जानकारी जुटाई है. इसके लिए हमने डॉक्टर भीमराव अंबेडकर अस्पताल के नेत्र रोग विशेषज्ञ संतोष सिंह पटेल से बातचीत की है. डॉक्टर ने हमे बताया कि व्हाइट फंगस बीमारी क्या है. इससे कैसे बचाव किया जा सकता है.

नेत्र रोग विशेषज्ञ संतोष सिंह पटेल से खास बातचीत

सवाल: कई राज्यों में व्हाइट फंगस के मरीज मिले हैं, यह बीमारी कितनी खतरनाक है?

जवाब:वाइट फंगस एक तरह का फंगस है जो मुह में और स्किन में सफेद रंग का पैच बनाता है. इसे कैंडिड फंगस भी कहते हैं. यह पहले भी लोगों को होता था. जो पेशेंट कैसर से या एचआईवी से ग्रसित हैं उन्हें भी यह होता है. सही समय पर इसका इलाज होने से यह ठीक हो सकता है. यह जानलेवा नहीं होता है.

सवाल:व्हाइट फंगस ब्लैक फंगस से कैसे अलग है ?

जवाब: ब्लैक फंगस जिसे म्यूकरमाइकोसिस कहा जाता है. ज्यादा नुकसान पहुंचाने वाली बीमारी है. ये मानव शरीर को ज्यादा तेजी से प्रभावित करती है. नाक से शुरू होकर ये संक्रमण बहुत तेजी से मुंह, आंख और दिमाग के सेल्स को डैमेज कर देता है. इससे जान भी जा सकती है. वहीं व्हाइट फंगस इसके मुकाबले कम खतरनाक है.

सवाल:व्हाइट फंगस के शुरुआती लक्षण क्या हैं?
जवाब: व्हाइट फंगस के संक्रमण में दांत या तलवे पर व्हाइट लेयर दिखाई देता है. जबकि ब्लैक फंगस सबसे पहले नाक को संक्रमित करता है. जागरूक रहने की जरूरत है. इसके लक्षण जैसे आंखों में लालिमा, आखों के नीचे सूजन हैं. ऐसा होने पर मरीज को तत्काल डॉक्टर से मिलना चाहिए.

सवाल:व्हाइट फंगस से किन लोगों को ज्यादा खतरा है ?

जवाब: व्हाइट फंगस से उन लोगों को ज्यादा खतरा है जो कोरोना संक्रमण से ठीक हुए हैं. कोरोना मरीजों में ज्यादा खतरा उनका है जो हाई डायबिटीज से ग्रस्त हैं. जिन्हें बहुत ज्यादा स्टेरॉयड दिया गया हो या किसी अन्य गंभीर बीमारी से ग्रस्त हैं. उन्हें व्हाइट फंगस का ज्यादा खतरा है. जिन्हें माइल्ड सिमटम था उन्हें इस व्हाइट फंगस की बीमारी होने का खतरा कम है.

सवाल: कोरोना मरीजों को व्हाइट फंगस से बचने के लिए क्या करना चाहिए?
जवाब: हम सभी को समाज में जागरुकता लानी होगी. क्योंकि एक बार ये फैल गई तो बहुत ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. सलाह दी जाती है कि कोविड से ठीक होने के बाद ब्लड शुगर जरूर चेक कराएं. क्योंकि कोविड से पीड़ित नए डायबिटीक मरीज सामने आ रहे हैं.

सवाल: ब्लैक फंगस और व्हाइट दोनों बीमारी का एक ही इलाज है, या अलग-अलग इलाज है?

जवाब:दोनों का इलाज अलग-अलग है. दोनों का संक्रमण पैटर्न भी अलग है.

सवाल: क्या यह संक्रमित बीमारी है, एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को हो सकता है.

जवाब: नहीं दोनों बीमारी कोरोना की तरह फैलने वाली बीमारी नहीं है. ये एक दूसरे के संपंर्क में आने से नहीं फैलता है.

सवाल:इससे बचाव के लिए लोगों को क्या संदेश देंगे?

जवाब: कोरोना के कोई भी लक्षण नजर आए तो तुरंत जांच करानी चाहिए. इससे सिर्फ सामान्य दवाओं से इलाज हो सकता है. हम आईसीयू, वेंटिलेटर से बच सकते हैं इससे फंगस इनफेक्शन का खतरा टल जाता है. किसी अन्य बीमारी का इलाज चल रहा है तो शुगर कंट्रोल में रखें. कोरोना का इलाज खुद से न करें. नाक में लक्षण दिखते ही चेक कराएं. कोरोना से ठीक होने के बाद ENT डॉक्टर से लगातार चेक कराते रहें.

Last Updated : May 23, 2021, 3:50 PM IST

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