रायपुर:एक ओर बढ़ते कोरोना संक्रमण से आम जन जीवन प्रभावित हो रहा है. वहीं अब पोस्ट कोविड बीमारी लोगों को घेर रही है. कोरोना वायरस से ठीक हुए मरीजों का इम्यून सिस्टम कमजोर होने के कारण अब अन्य बीमारियां भी हो रही हैं. छत्तीसगढ़ में ब्लैक फंगस से भी लोग संक्रमित हुए हैं. ऐसे में अब व्हाइट फंगस बीमारी ने देश में दस्तक दे दी है. व्हाइट फंगस की जानकारी लोगों को नहीं है. ऐसे में उनकी चिंता बढ़ गई है. ETV भारत ने लोगों की चिंता को देखते हुए व्हाइट फंगस से जुड़ी जानकारी जुटाई है. इसके लिए हमने डॉक्टर भीमराव अंबेडकर अस्पताल के नेत्र रोग विशेषज्ञ संतोष सिंह पटेल से बातचीत की है. डॉक्टर ने हमे बताया कि व्हाइट फंगस बीमारी क्या है. इससे कैसे बचाव किया जा सकता है.
सवाल: कई राज्यों में व्हाइट फंगस के मरीज मिले हैं, यह बीमारी कितनी खतरनाक है?
जवाब:वाइट फंगस एक तरह का फंगस है जो मुह में और स्किन में सफेद रंग का पैच बनाता है. इसे कैंडिड फंगस भी कहते हैं. यह पहले भी लोगों को होता था. जो पेशेंट कैसर से या एचआईवी से ग्रसित हैं उन्हें भी यह होता है. सही समय पर इसका इलाज होने से यह ठीक हो सकता है. यह जानलेवा नहीं होता है.
सवाल:व्हाइट फंगस ब्लैक फंगस से कैसे अलग है ?
जवाब: ब्लैक फंगस जिसे म्यूकरमाइकोसिस कहा जाता है. ज्यादा नुकसान पहुंचाने वाली बीमारी है. ये मानव शरीर को ज्यादा तेजी से प्रभावित करती है. नाक से शुरू होकर ये संक्रमण बहुत तेजी से मुंह, आंख और दिमाग के सेल्स को डैमेज कर देता है. इससे जान भी जा सकती है. वहीं व्हाइट फंगस इसके मुकाबले कम खतरनाक है.
सवाल:व्हाइट फंगस के शुरुआती लक्षण क्या हैं?
जवाब: व्हाइट फंगस के संक्रमण में दांत या तलवे पर व्हाइट लेयर दिखाई देता है. जबकि ब्लैक फंगस सबसे पहले नाक को संक्रमित करता है. जागरूक रहने की जरूरत है. इसके लक्षण जैसे आंखों में लालिमा, आखों के नीचे सूजन हैं. ऐसा होने पर मरीज को तत्काल डॉक्टर से मिलना चाहिए.
सवाल:व्हाइट फंगस से किन लोगों को ज्यादा खतरा है ?