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यात्रा करते समय रहे सावधान, सिर्फ 10 फीसदी बसों में मौजूद है मेडिकल किट

रायपुर की सिर्फ 10 फीसदी बसों में मेडिकल किट की सुविधा उपलब्ध है. RTO ने भले ही सभी बसों में मेडिकल किट रखने के नियम बनाए हो, लेकिन बसें पुरानी होने के साथ-साथ मेडिकल किट भी बसों से गायब हो रहे है.

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सिर्फ 10 फीसदी बसों में मेडिकल किट की सुविधा

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Published : Jan 22, 2021, 6:00 PM IST

रायपुर: लंबी दूरी से लेकर शहर में एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए सबसे सरल सुविधा बस से होती है. करोड़ों लोग रोजाना पूरे देश में बसों से यात्रा करते हैं. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर की बात की जाए तो रायपुर में पंडरी बस स्टैंड बनाया गया है जहां से पूरे प्रदेश के लिए रोजाना सैकड़ों बसें आती और जाती है. यात्री निश्चिंत होकर इन बसों में रोजाना यात्रा करते हैं. सुरक्षा की दृष्टि से बात की जाए तो बसों में सुरक्षा के नाम पर कोई सुविधा नजर नहीं आती. आरटीओ ने पूरे बसों में मेडिकल किट रखने के नियम बनाए हैं, लेकिन बसें पुरानी होने पर मेडिकल किट भी बसों से गायब हो रहे है.

सिर्फ 10 फीसदी बसों में मेडिकल किट की सुविधा

बसों से मेडिकल किट नदारद

बसों में मेडिकल किट की सुविधा काफी कम

ETV भारत ने रायपुर बस स्टैंड का सर्वे किया और बसों में मेडिकल किट का जायजा लिया. जिसमें यह पाया गया कि 50 प्रतिशत बसों में मेडिकल किट की सुविधा ही नहीं है. कुछ बसें ऐसी हैं जिसमें मेडिकल किट का डब्बा तो लगाया गया है, लेकिन उसमें से मेडिकल किट नदारद है.सिर्फ 10% बसें ही ऐसी है, जिसमें मेडिकल किट की सुविधा मौजूद है. ऐसे में बस में यात्रा करना किसी भी यात्री के लिए जोखिम भरा हो जाता है.

चर्चा में बस ड्राइवर ने बताया कि बसों में मेडिकल किट की सुविधा है. हर महीने मेडिकल किट को बदला जाता है और मेडिकल किट में मलहम, रुई, सारी चीजें रखी जाती है. चोट लगने पर यात्रियों को यह लगाया जाता हैं.

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प्राथमिक चिकित्सा किट में बैंडेज, डेटॉल, पट्टी, मलहम, रुई होना चाहिए. लेकिन बसों में मौजदू मेडिकल किट में रुई के अलावा और कुछ भी नजर नहीं आया.

राजधानी से 95 प्रतिशत बसों का संचालन

पंडरी बस स्टैंड

रायपुर से इंटर डिस्ट्रिक्ट और इंटर स्टेट के लिए लगभग 95% बसों का संचालन होता है. यात्रियों की भीड़ भी राजधानी में बस स्टैंड पर अब पहले से ज्यादा हो गई है. यात्री विजय ने बताया कि उन्हें नहीं पता कि बस में मेडिकल किट होती है या नहीं होती है, लेकिन जब उन्हें एक बार बस में चढ़ते समय चोट लगी तो उन्होंने बस ड्राइवर से मेडिकल किट के लिए पूछा, लेकिन बस ड्राइवर ने मना कर दिया. इसके बाद उन्होंने बाहर से पट्टी की. वहीं शिव ने बताया कि वह बस में यात्रा करते रहते हैं भिलाई अप डाउन उनका आए दिन होता रहता है लेकिन उन्हें कभी मेडिकल किट की जरूरत नहीं पड़ी.

बसों की सवारी मजेदार और आरामदायक तो है लेकिन इसके साथ इसमें खतरा भी काफी है. ऐसे में मेडिकल किट ना होना एक बड़ी लापरवाही को दर्शाता है.

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