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'वक्ता मंच' की ऑनलाइन काव्य गोष्ठी, कोरोना पर पढ़ी गई कविताएं

रायपुर में सामाजिक और साहित्यिक संस्था वक्ता मंच ने रविवार को ऑनलाइन काव्य गोष्ठी का आयोजन किया.

Online poetry seminar
ऑनलाइन काव्य गोष्ठी

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Published : May 25, 2020, 11:24 AM IST

रायपुर: प्रदेश की प्रतिष्ठित सामाजिक और साहित्यिक संस्था वक्ता मंच ने रविवार को ऑनलाइन काव्य गोष्ठी का आयोजन किया. इसमें राजधानी के 6 कवियों ने अपनी शानदार प्रस्तुति से समां बांध दिया. वक्ता मंच के अध्यक्ष ने बताया कि संस्था की ओर से आयोजित यह पहली ऑनलाइन काव्य गोष्ठी थी. इसकी शुरुआत अंतर्राष्ट्रीय कवयित्री उर्मिला देवी ने मां भारती की वंदना के साथ की. इसके बाद उन्होंने यह रचना सुनाई-

घर में नहीं अन्न का एक भी दाना
बाहर जाये पर, डराए कोरोना
चूल्हे में ईंधन और डालती रही
मजबूर मां पत्थर उबालती रही

काव्य गोष्ठी में वरिष्ठ कवि सुनील पांडे की कविताओं ने पूरी संवेदनाओं के साथ वर्तमान परिस्थितियों को बयां किया-

भाईचारा अपना उच्च कोटि पर है
देशभक्ति अपनी कसौटी पर है
डॉक्टर अस्पताल में ढाल बने हैं
पुलिसवाले सड़क पे मिसाल बने हैं
जहां से चल कर आया वायरस वहां जश्न चल रहा है
यहां जिंदगी और मौत का प्रश्न चल रहा है
फड़फड़ा रही दुनिया कोरोना के उफान में
फंस गई है तितली जैसे किसी तूफान में

युवा कवि कमलेश वर्मा ने कोरोना का एक उज्ज्वल पक्ष सामने रखते हुए अपनी कविता प्रस्तुत की-

लॉकडाउन से भले ही, प्रभावित हो रहा जनजीवन
पर प्रकृति में दिख रहा, कई अनुपम परिवर्तन
नदियां हो गईं स्वच्छ, जलधारा मनभावन
मन को मधुरिम भा रहा, पंछियों का गूंजन

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वरिष्ठ कवि डॉ. कमल वर्मा की इन पंक्तियों ने सबको प्रेरित किया-

देशभक्ति 'मेरा जुनून'
तांटक छंद की रचना,
कैसे उतारूं ऋण तेरे मैं,दिली सलामी देता हूंं,
बलिहारी हे भारत मां मैं, तुझे जवानी देता हूंं
हरेक बूंद अपने लहू का, अर्पण मैं कर जाऊंंगा,
इस मिट्टी से बना हुआ तन,तुझे वार यह जाऊंगा

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डॉ. सीमा श्रीवास्तव की इन पंक्तियों ने तालियां बटोरीं

समाज को दिशाएं दो
मन्त्र दो ऋचाएं दो
संस्कृति अक्षुण्य रहे
ऐसे संस्कार दो,
सत्य की छांव रहे
न्याय की पतवार दो
जीवन को आशाएं दो
मंन्त्र दो ऋचाएं दो

गोष्ठी का समापन करते हुए पूर्णेश डडसेना ने शिक्षकों के मन की व्यथा को कविता के माध्यम से रखा

शिक्षा की बगिया में,
उथल-पुथल है मची हुई
कोई नित नए नियम लाता है
कोई आदेशों की धौंस दिखाता है
हम शिक्षकों की व्यथा
क्यों कोई ना समझ पाता है.

इस काव्य गोष्ठी का प्रभावी संचालन राजेश पराते ने किया और इसका तकनीकी संयोजन शुभम साहू ने किया. आमंत्रित कवियों के प्रति आभार व्यक्त किए जाने के साथ यह आयोजन सम्पन्न हुआ. ऑनलाइन कवि सम्मेलन की लिंक से जुड़कर बहुत से साहित्य प्रेमियों ने कविताओं का आनंद लिया.

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