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Published : Sep 19, 2019, 9:48 PM IST

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महामाया मंदिर में ज्योति कलश के लिए करवा सकेंगे ऑनलाइन बुकिंग

प्रसिद्ध महामाया मंदिर समिति ने इस साल से ज्योति कलश जलाने के लिए ऑनलाइन बुकिंग की सुविधा शुरू कर दी है.

ज्योति कलश के लिए ऑनलाइन बुकिंग शुरू

रायपुर: राजधानी के प्रसिद्ध महामाया मंदिर में नवरात्रि का पर्व बड़े ही धूमधाम से आयोजित किया जाता है. इस दौरान श्रद्धालु अपनी मनोकामनाओं के लिए ज्योति कलश जलाते हैं, जिसके लिए महीनों पहले से ऑफलाइन बुकिंग कराते हैं, लेकिन मंदिर समिति ने इस साल से ऑनलाइन बुकिंग की सेवा भी शुरू कर दी है.

प्रसिद्ध महामाया मंदिर में ऑनलाइन बुकिंग शुरू

हर साल महामाया मंदिर में लगभग 10,000 से 11,000 तक दीए जलाए जाते हैं, जिसकी बुकिंग सिर्फ रायपुर शहर के लोग ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों के लोगों के साथ विदेशी भी कराते हैं.

यहां पर हर साल ज्योति कलश जलाने के लिए बुकिंग ऑफलाइन की जाती थी, जिससे काफी लोगों को परेशानियों का सामना भी करना पड़ता था, पर इस साल से ज्योति कलश जलाने की बुकिंग ऑनलाइन भी शुरू कर दी गई है. लोग शहर में हो या फिर कोई दूसरे राज्य, यहां तक कि विदेशों में रहने वाले लोग अपने नाम से ज्योति कलश जलाने के लिए आसानी से मोबाइल के माध्यम से घर बैठे बुकिंग कर सकते हैं.

ज्योति कलश बढ़ाने शुरू किया ऑनलाइन बुकिंग
मंदिर समिति का कहना है कि 'सैकड़ों लोग ऑफलाइन बुकिंग होने से अपने नाम से ज्योति कलश जलाते हैं. पर इस साल से ऑनलाइन बुकिंग होने के कारण अपने नाम के ज्योति कलश आसानी से बुकिंग कर सकते हैं'. मंदिर समिति का मानना है, कि 'ऑनलाइन बुकिंग होने के कारण इस साल काफी मात्रा में ज्योति कलश के लिए बुकिंग हो सकती है, जिसके लिए मंदिर समिति ने काफी तैयारी की है.

नवरात्रि का पर्व देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. नवरात्रि के पर्व में घर की महिलाएं 9 दिन तक उपवास रख कर माता की पूजा अर्चना करती हैं और आखिरी दिन कन्या भोज करा कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त कर अपना उपवास तोड़ती हैं. राजधानी रायपुर में नवरात्रि का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है और इसकी तैयारी लगभग एक महीने पहले से शुरू कर दी जाती है.

पढ़ें- सर्वधर्म मंदिर तोड़ने के फैसले का विरोध, लोगों ने कहा- जान देकर करेंगे मंदिर की रक्षा

हैहय वंश ने की थी इस मंदिर की स्थापना
राजधानी रायपुर के कालीबाड़ी क्षेत्र में स्थित महामाया मंदिर की स्थापना लगभग 1000 से 1200 वर्ष पहले की जा चुकी है. राजा हैहय ने इस मंदिर में मूर्ति की स्थापना की थी. कहां जाता है कि राजधानी रायपुर से लगकर खारुन नदी बहती है, जहां से माता की मूर्ति को लाकर यहां स्थापित किया गया है. यहां के लोग कहते हैं कि जब यहां पर सूर्य उदय होता है तो सूर्य की किरणें पहले माता भगवती के पैरों को छुट्टी है और जब सूर्यास्त होता है तो सूर्य की आखिरी किरणें महामाया के चरणों में पड़ती हैं.

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