रायपुर: छत्तीसगढ़ में धान खरीदी की शुरुआत 1 दिसंबर से हुई है. समस्याओं और राजनीति के बीच शुरू हुई धान खरीदी एक महीने बाद भी उसी स्थिति में है. आज बुधवार को सीएम हाउस में मंत्री परिषद के सदस्यों के साथ हुई आपात बैठक के बाद कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने ये साफ कर दिया है कि केंद्र की वजह से प्रदेश में धान खरीदी प्रभावित हो सकती है. कृषि मंत्री ने जानकारी दी है कि राज्य सरकार ने 90 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी का लक्ष्य रखा गया है और अभी तक 45 लाख मीट्रिक टन से अधीक खरीदी हो चुकी है, लेकिन केंद्र से एफसीआई में चावल जमा करने की अनुमति अबतक नहीं मिली है. रविंद्र चौबे ने इससे धान का उठाव प्रभावित होने की बात कही है.
सीएम और पूर्व सीएम में ट्वीटर वार
इधर, राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के बीच धान खरीदी को लेकर ट्वीटर पर वार शुरू हो गया है. सबसे पहले पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने ट्वीट किया कि 'ये सरकार देश की पहली ऐसी सरकार है, जो किसानों का न तो धान खरीद पा रही है, न ही पूरे पैसे दे पा रही है. छत्तीसगढ़ 'गढ़ने का वादा करने वालों ने पूरा प्रदेश गड़बड़ा दिया.
रमन सिंह ने लगाए बड़े आरोप
रमन सिंह के ट्वीट पर सीएम भूपेश बघेल ने तुरंत पलटवार करते हुए किसानों को आश्वासन दिया है कि छत्तीसगढ़ के सभी किसानों से पूरा धान खरीदा जाएगा और पूरा पैसा भी मिलेगा. इसके बाद मुख्यमंत्री बघेल ने केंद्र पर जमकर निशाना साधा और एक-एक करके धान खरीदी में आ रही समस्याओं को लेकर केंद्र को जिम्मेदार ठहराया. मुख्यमंत्री ने कहा कि 'सबसे पहले तो केंद्र सरकार को बारदाना देना था, लेकिन केंद्र ने दिया नहीं. इसके अलावा केंद्र सरकार ने GST सहित राज्य का बकाया पैसा भी नहीं दिया'. वहीं सीएम ने रमन सिंह पर तंज कसते हुए कहा कि केंद्र में सरकार चला रही भाजपा के उपाध्यक्ष किसानों के लिए घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं.
धान खरीदी केंद्रों में अव्यवस्थाओं का अंबार
इन सबके बीच भेल ही प्रदेश सरकार धान खरीदी को लेकर लाख दावे किए हों, लेकिन जमीनी हकीकत की बात की जाए तो तस्वीरें कुछ और ही बयां करती है. आए दिन अलग-अलग जिलों से धान खरीदी केंद्रों में अव्यवस्थाओं का अंबार देखने को मिल रहा है. कहीं बारदाने की कमी से किसान परेशान हैं तो कहीं किसानों की जगह बिचौलियों और व्यापारियों से धान खरीदी करने की शिकायत मिल रही है.
कस्टम मिलिंग नहीं होने से टकराव की स्थिती
बहरहाल, राज्य सरकार के मंत्री एक-दूसरे पर आरोपी लगाते नहीं थक रहे हैं. केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच बारदाने की कमी, एफसीआई में चावल रखने की अनुमति नहीं देने और धान की कस्टम मिलिंग नहीं करने की वजह से टकराव की स्थिती बनी हुई है.