रायपुर: आज 14 फरवरी है. वो मनहूस दिन जब देश की 40 मांओं की कोख सूनी हो गई थी. वो काला दिन जब आतंकवादियों ने मासूमों से उनका पिता और पत्नियों से उनका सुहाग छीन लिया. पिछले साल इसी दिन हुए हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे और पुलवामा की जमीन वीरों के रक्त से नहा गई थी.
पुलवामा हमले की पहली बरसी: खोकर अपने 40 जवान, रो पड़ा था हिन्दुस्तान - पुलवामा हमले री पहली बरसी
आज पुलवामा आतंकी हमले को एक साल पूरा हो गया. आज ही वो दिन था जब कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के जवानों के काफिले से एक गाड़ी टकराई और भयंकर धमाके के बाद सड़क पर जवानों के क्षत-विक्षत शव नजर आने लगे थे.
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों ने विस्फोटकों से लदे वाहन से सीआरपीएफ जवानों की बस को टक्कर मार दी थी. हमने अपने 40 वीरों को खोया था. पूरा देश इस घटना पर रोया था और लोगों का गुस्सा फूट पड़ा था. एक साल बीत जाने के बाद भी जख्म हरा सा लगता है. इस हमले में कई जवान घायल हुए थे. देश का हर शख्स आतंकवादियों को करारा जवाब देने की मांग कर रहा था.
कश्मीर में जवानों पर हुआ ये तीन दशक का सबसे बड़ा हमला था. इस आतंकी हमले के बाद देश में हर किसी की आंखें नम थीं तो दिलों में गुस्सा में था. इस हमले में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान, जम्मू कश्मीर, झारखंड, ओडिशा, केरल, पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु, कर्नाटक, बिहार के बेटों ने देश पर अपनी जान न्योछावर कर दी थी.