रायपुरः 'ॐ' (OM) इस शब्द में कई शक्तियां (Powers) समाहित है. इस शब्द को सिद्ध अक्षरी शब्द भी कहा जाता है. कहते हैं कि यदि कोई व्यक्ति इस शब्द को लगातार उच्चारण (Pronunciation) करे तो कई रोगों से न सिर्फ मुक्त हो सकता है बल्कि उसमें कुछ नयापन भी आ जाता है. जिसे शब्दों में वर्णन करना शायद मुमकिन नहीं.
रायपुर के पुरातत्वविद डॉक्टर हेमू यदु (Archaeologist Dr Hemu Yadu) ने ॐ की वास्तविक आकृति (Real figure) ढूंढ निकाली है. अब तक लोग ॐ के साथ नमः शिवाय (Namah shivay) का उच्चारण करते हैं. ऐसे में उनका मानना है कि ॐ नमः शिवाय के साथ ही नमः शिवाय का भी उच्चारण करना है. ऐसा नहीं करने पर शिव मंत्र की सिद्धि (Siddhi) में बाधा आती है. पुरातत्वविद हेमू का कहना है कि ॐ में एकादश अक्षरी सिद्ध यंत्र (Ekadash akshar siddhi yantra) होता है.
'ॐ' में दो बार आता है नमः शिवाय
इसके साथ ही हेमू बताते हैं कि ॐ एक ऐसी सांकेतिक लिपि है, जिसमें 2 बार नमः शिवाय नमः शिवाय का उच्चारण होता है और ओम नमः शिवाय शिवाय लिपि में प्रकट होकर इश्क सिद्ध यंत्र को उद्घाटित करता है. सांकेतिक लिपि को बीज मंत्र के रूप में उच्चारण के अनुरूप सिद्ध यंत्र की आकृति का आविष्कार हुआ है. जिसमें मूल बीज मंत्र ॐ नमः शिवाय नमः शिवाय एकादश अक्षरी निहित है. ऐसे में ॐ के साथ अलग से देवनागरी में नमः शिवाय लिखने की आवश्यकता नहीं है.