रायपुर: राजधानी रायपुर सहित पूरे देश में सड़क हादसों की संख्या बढ़ती जा रही है. सड़क हादसों को नियंत्रित करने के लिए कई तरह के उपाय और जागरूता अभियान भी चलाया जाता है. हर साल पूरे देश में यातायात सड़क सुरक्षा भी मनाया जाता है, जिसमें लोगों को यातायात के प्रति ज्यादा से ज्यादा जागरूक किया जाता है. बावजूद इसके वाहन चालकों में यातायात को लेकर जागरूकता नहीं होने से हादसों में इजाफा देखने को मिल रहा है. यातायात विभाग ने समय-समय पर लोगों को यातायात नियमों की जानकारी भी दी जाती है, लेकिन लोग इन नियमों को दरकिनार कर देते हैं, जिससे वे हादसे के शिकार हो रहे हैं.
सिर में चोट लगने से मौत के चांसेस बढ़े
ETV भारत ने हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. सुरेंद्र शुक्ला ने बताया कि सड़क हादसों में अधिकांश लोगों के सिर पर चोट लगने से मौत हो जाती है. डॉ. शुक्ला बताते हैं कि शरीर का महत्वपूर्ण अंग सिर होता है. सर्वाइकल स्पाइन और लंबर स्पाइन इस में चोट लगने से इलाज के दौरान भी व्यक्ति को कई तरह की दिक्कतें आती है. कभी-कभी वाइटल ऑर्गन में चोट लगने से व्यक्ति कोमा में भी चला जाता है. डॉक्टर यह भी बताते हैं कि व्यक्ति के हाथ और पैर की हड्डी टूटने पर उसका भी इलाज हो सकता है और वह ठीक भी हो जाता है लेकिन सिर में चोट लगने से मौत के चांसेस बढ़ जाते हैं.
पढ़ें-SPECIAL: श्रम मंत्री डहरिया के बयान पर हंगामा, रेप केस को लेकर छत्तीसगढ़ में सियासत तेज
राजधानी में 9 ब्लैक स्पॉट
रायपुर में 9 ब्लैक स्पॉट ऐसे हैं जहां पर सड़क हादसे की संख्या बढ़ी है. ये स्पॉट नेशनल हाईवे 53 में पिंटू ढाबा, सिरीखेड़ी जिंदल इस्पात, रिंग रोड 3, राजू ढाबा, मंदिर हसौद चौक और अन्य दुर्घटना जन्य क्षेत्र तेलीबांधा थाना तिराहा और रिंग रोड जंक्शन वीआईपी तिराहा जोरा लाभांडी सर्विस रोड शामिल है. सितंबर महीने में PWD, पुलिस विभाग, आरटीओ, नगर निगम और एनएचएआई (NHAI) ने ऐसे ब्लैक स्पॉट का सर्वे किया है, जहां पाया गया है कि साइड रोड और निर्माण में कमी हैं, जिसकी रिपोर्ट पुलिस मुख्यालय को सौंपी गई है.
कई कारण से होते है रोड एक्सीडेंट
सड़क हादसों के पीछे केवल लापरवाही पूर्वक वाहन चलाना ही नहीं बल्कि सड़क हादसों के लिए कई तरह के कारण जिम्मेदार हैं. वाहन चालक कई बार नशे की हालत में वाहन चलाते हैं. साथ ही रॉन्ग साइड से ओवरटेक करना और ओव्हर स्पीड गाड़ी चलाने से सड़क हादसे के शिकार होते हैं और अपनी जान भी गंवा देते हैं. लोगों का मानना है कि गाड़ी की स्पीड को कंट्रोल करते हुए यातायात नियमों का पालन करने के साथ ही दो पहिया वाहन चालक हेलमेट का इस्तेमाल करते हैं तो सड़क हादसों में कमी लाई जा सकती है. कुछ महीने पहले ही रायपुर के पास बस एक्सीडेंट में लगभग 12 मजदूरों की जान चली गई थी.
पढ़ें- SPECIAL: 15 अक्टूबर तक आ सकता है कोरोना का पीक, ये है स्वास्थ्य विभाग की तैयारी