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Ponds in Raipur:कभी रायपुर में हुआ करते थे हजारों तालाब, घटकर संख्या हुई 200, ये है वजह

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Published : Apr 1, 2023, 2:27 PM IST

रायपुर में कभी हजारों तालाब हुआ करते थे. लेकिन औद्योगिकीरण के कारण तालाबों की संख्या काफी कम हो गई है. अब रायपुर में महज 200 तालाब बचे हैं. कई तालाबों को पाटकर मैदान, इमारत, स्कूल, कॉलेज बना दिया गया.

Raipur Ponds
रायपुर के तालाब

इतिहासकार किशोर कुमार अग्रवाल

रायपुर:छत्तीसगढ़ में कई ऐसी नदियां है, जो हमेशा जलमग्न नहीं रहती. अक्सर बारिश के मौसम में ही यहां की नदियों में पानी भरा हुआ होता है. यही कारण है कि पहले के लोग पानी इकट्ठा करने के लिए तालाबों की खुदाई करते थे. बताया जाता है कि कभी रायपुर में 3 हजार के आसपास तालाब हुआ करते थे. कैप्टन ब्लंट ने साल 1995 में अपनी यात्रा के विवरण के दौरान हजारों तालाबों का उल्लेख भी किया था. लेकिन अब तालाबाों की संख्या घटकर 200 के आसपास ही रह गई है.

औद्योगीकरण के कारण घटी तालाबों की संख्या:समय के साथ-साथ औद्योगिकीकरण बढ़ा. बढ़ते औद्योगिकीकरण और मॉडर्न तकनीक के कारण घर-घर नलों का कनेक्शन लगा दिया गया. बोर की खुदाई कर दी गई. तालाबों का प्रचलन कम हो गया. वर्तमान में रायपुर में इतने कम तालाब बचे हैं कि उंगलियों पर गिन सकते हैं. तालाबों की संख्या 200 के आसपास बची है. आधे से अधिक तालाबों को पाटकर बिल्डिंग बना दिए गए. कई जगह कॉलेज और स्कूल बना दिए गए. रायपुर का सबसे बड़ा राजबंधा तालाब पाट कर राजबंधा मैदान बना दिया गया. मैदान बनने के कुछ साल बाद उसके ऊपर डेंटल कॉलेज बना दिया गया. कुछ जगहों पर कॉर्पोरेट बिल्डिंग बना दिया गया.

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इसलिए कम हुई तालाबों की संख्या:आज के समय में औद्योगिकीकरण के लिए तालाबों को पाट दिया जाता है. इस विषय में अधिक जानकारी के लिए ईटीवी भारत ने इतिहासकार किशोर कुमार अग्रवाल से बातचीत की. इतिहासकार किशोर कुमार अग्रवाल ने बताया "रायपुर एक ऐसा शहर है, जो नदी से बहुत दूर है. नदी से बहुत दूर रहने वाले शहर अक्सर बारिश के पानी पर निर्भर करते हैं. नदी से बहुत दूर होना धार्मिक दृष्टि से अशुभ होता था. ब्रिटिश शासन काल में जब-जब अकाल की स्थिति बनती थी तो क्षेत्र के जमीदारों को आदेश दिया जाता था कि वह अपने इलाकों में तालाब बनवाएं. साल 1892 में तीन हजार भी अधिक तालाब खुदवाए गए. लेकिन अब महज 200 तालाब ही बचे हैं. साल 1995 में अपनी यात्रा के विवरण में कैप्टन ब्लंट ने यहां हजारों तालाबों के होने का जिक्र किया था."

तालाब की खुदाई पुण्य का काम:धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जल दान करना या किसी को पानी पिलाना पुण्य का काम होता है. अक्सर लोग राहगीरों ने लिए तालाब खुदवाया करते थे.ताकि लोग प्यासे न रहे. किसी को पानी पिलाने से पितर प्रसन्न होते हैं. रायपुर में कुछ तलाब ऐसे भी हैं, जो कलचुरी वंश के समय खुदाई करके बनाई गई थी. इन तालाबों में खो-खो तालाब, बूढ़ा तालाब, महाराजाबंध तालाब, नरैया तालाब शामिल है.

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