रायपुर: देश के साथ ही प्रदेश में भी कोरोना के मामले तेजी से बढ़ने लगे हैं. इसके साथ ही कोरोना से होने वाली मौतों का आंकड़ा भी लगातार बढ़ रहा है. इसी बीच राजधानी रायपुर में पोस्टमॉर्टम को लेकर पिछले हफ्ते काफी दबाव बना हुआ था. प्रदेश में 77 मौतें कोरोना से हो चुकी हैं, ऐसे में कई शवों का पोस्टमॉर्टम होना था.
जानकारी के मुताबिक स्टाफ की कमी और कोविड-19 संक्रमण के मद्देनजर कई शवों का पोस्टमॉर्टम नहीं हो पा रहा था, जिसकी वजह से पुलिस महकमे की चिंता भी बढ़ती जा रही थी. वहीं स्थिति की गंभीरता को देखते हुए पुलिस विभाग ने स्वास्थ्य विभाग से पोस्टमॉर्टम की प्रक्रिया को जल्द संपन्न करने के लिए आग्रह भी किया गया था. हालांकि अब स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि पिछले हफ्ते बने दबाव को दूर कर लिया गया है और अब उनके पास एक भी शव पोस्टमॉर्टम के लिए नहीं बचा है.
पोस्टमॉर्टम में देरी से क्यों बढ़ती हैं मुश्किलें
पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट कई बार न्यायालयीन मामलों में अहम सबूत का काम करती है. ऐसे में पुलिस विभाग को अक्सर चिंता होती है कि किसी भी शव का जल्द से जल्द पोस्टमॉर्टम कर लिया जाए, ताकि सबूत को सुरक्षित रखा जा सके. इसके अलावा भी मर्चुरी में ज्यादा दिनों तक शव रखने से कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. शव की स्थिति खराब होने लगती है. ऐसे में पोस्टमॉर्टम को लेकर होने वाली देरी कई तरह की मुश्किलें पैदा कर सकती है.
सामान्य दिनों में रोज होता है 10 से 12 पोस्टमॉर्टम
मेकाहारा प्रबंधन के मुताबिक सामान्य दिनों में रोजाना 10 से 12 शवों का पोस्टमॉर्टम किया जाता है. कोरोना की वजह से पिछले हफ्ते आउटसोर्सिंग के माध्यम से भर्ती हुए सफाई कर्मचारियों की नाराजगी की वजह से पोस्टमॉर्टम करने में कुछ समय के लिए दिक्कत आई थी, जिसे जल्द ही दूर कर लिया गया है. हालांकि प्रबंधन ने ये साफ नहीं किया है कि इन दिनों हर रोज कितने शवों का पोस्टमॉर्टम हो रहा है. वहीं पिछले हफ्ते तक चिंता में नजर आ रही पुलिस फिलहाल संतुष्ट नजर आ रही है.
स्वास्थ्य विभाग ने पोस्टमॉर्टम के मामले में खत्म की पेंडिंग
देश के कई शहरों में पोस्टमॉर्टम को लेकर कई तरह की समस्याओं की खबरों के बीच जिस तरह छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य विभाग ने बिगड़ते हालात को संभाला है और पोस्टमॉर्टम के मामले में पेंडिंग को खत्म किया है वह काबिलेतारीफ है.