रायपुर: छत्तीसगढ़ औपचारिकेत्तर शिक्षक संघ के प्रांतीय संयोजक यसवंत बघेल गुरुवार को रायपुर में चल रहे संघ के प्रदर्शन को समर्थन देने पहुंचे. यसवंत बघेल ने बताया कि "पिछले 23 सालों से जब से छत्तीसगढ़ का गठन हुआ है, उस समय से विभिन्न विभागों में समायोजन या संविलियन की मांग को लेकर औपचारिकेत्तर शिक्षक संघ प्रदर्शन कर रहा है. बावजूद इसके अब तक सरकार ने इस दिशा में कोई ठोस पहल नहीं की है. औपचारिकेत्तर शिक्षक संघ की एक ही मांग है कि इन्हें विभिन्न विभागों में समायोजित या संविलियन कर दिया जाए."
"कांग्रेस सरकार को इनके साथ न्याय करना चाहिए": गुरुवार को राजधानी के बूढ़ा तालाब धरना स्थल पर औपचारिकेत्तर शिक्षक संघ के इस प्रदर्शन को समर्थन देने के लिए भाजपा नेता गौरीशंकर श्रीवास भी पहुंचे थे. इस दौरान गौरीशंकर श्रीवास ने कहा कि "औपचारिकेत्तर शिक्षकों की केवल एक ही मांग है कि उन्हें विभिन्न विभागों में समायोजित या संविलियन किया जाए. लेकिन सरकार ने अब तक इन्हें किसी भी विभाग में समायोजित या संविलियन नहीं किया है. इसके कारण औपचारिकेत्तर शिक्षक संघ को प्रदर्शन करना पड़ रहा है. जब 15 साल भाजपा की सरकार थी, उस समय हमारी सरकार से भी कहीं ना कहीं चूक और त्रुटि हुई है. ऐसे में प्रदेश की कांग्रेस सरकार को इनके साथ न्याय करना चाहिए."
Raipur: औपचारिकेत्तर शिक्षक संघ ने किया प्रदर्शन, संविलियन की कर रहे मांग - प्रांतीय संयोजक यसवंत बघेल
राजधानी में गुरुवार को छत्तीसगढ़ औपचारिकेत्तर शिक्षक संघ के बैनर तले अपनी 1 सूत्रीय मांग को लेकर औपचारिकेत्तर शिक्षकों ने विभिन्न विभागों में समायोजन या संविलियन की मांग को लेकर प्रदर्शन किया. छत्तीसगढ़ औपचारिकेत्तर शिक्षक संघ इसके पहले भी कई बार प्रदर्शन कर चुका है. गुरुवार के इस प्रदर्शन में भाजपा नेता गौरीशंकर श्रीवास भी इस प्रदर्शन को समर्थन देने पहुंचे थे.nonformal teacher association
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अपनी मांगों को लेकर कानूनी लड़ाई भी लड़ी: औपचारिकेत्तर शिक्षक संघ ने अपनी मांगों को लेकर कानून का दरवाजा भी खटखटाया. औपचारिकेत्तर शिक्षक संघ की मानें तो साल 2005 में जबलपुर हाईकोर्ट से केस जीत गए थे. उसके बाद साल 2010 में बिलासपुर हाईकोर्ट से केस जीतने के बाद भी उन्हें बेरोजगार रहना पड़ रहा है. ऐसे में उनके सामने अब उम्मीद की कोई किरण भी नहीं बची है. पूरे प्रदेश में औपचारिकेत्तर शिक्षकों की संख्या लगभग 4500 है, जो पिछले 23 सालों से बेरोजगार हो गए हैं. अविभाजित मध्य प्रदेश के समय साल 1975 में औपचारिकेत्तर शिक्षक के रूप में इन शिक्षकों की नियुक्ति हुई थी, लेकिन सन 1999 में औपचारिकेत्तर शिक्षक का पद समाप्त कर दिया गया.