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किस वजह से बीजेपी में साइड लाइन हैं बृजमोहन अग्रवाल ?

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Published : Mar 26, 2019, 4:44 PM IST

भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव के लिए जहां सभी सिटिंग सांसदों का टिकट काट दिया है, वहीं पूर्व मंत्रियों में भी किसी को तवज्जो नहीं दी.

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रायपुर: भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव के लिए जहां सभी सिटिंग सांसदों का टिकट काट दिया है, वहीं पूर्व मंत्रियों में भी किसी को तवज्जो नहीं दी. इसें पार्टी के कद्दावर नेता बृजमोहन अग्रवाल का भी नाम शामिल है. माना जा रहा था कि रमेश बैस की जगह रायपुर से अग्रवाल को टिकट मिल सकता है.


विधानसभा चुनाव में रायपुर शहर की 4 सीटों में से महज एक सीट भारतीय जनता पार्टी बचा सकी थी. इसमें बृजमोहन अग्रवाल रायपुर दक्षिण से विधायक चुने गए थे. जब नेता प्रतिपक्ष के चयन का मौका आया, तो उस समय बृजमोहन का नाम सबसे आगे होने के बावजूद भी उन्हें पीछे करते हुए धरमलाल कौशिक को नेता प्रतिपक्ष बना दिया गया.

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बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भी नहीं बने
इसके बाद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बदलने का इस दौड़ में भी बृजमोहन अग्रवाल सबसे आगे थे लेकिन यहां पर भी एक बार फिर उन्हें पीछे करते हुए विक्रम उसेंडी को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया.


लोकसभा का टिकट भी नहीं मिला
उम्मीद जताई जा रही थी कि कहीं ना कहीं भाजपा लोकसभा चुनाव में बृजमोहन को उम्मीदवार बनाना है और यही वजह है कि इन जवाबदारीयों से बृजमोहन को मुक्त रखा गया था. लेकिन एक बार फिर बृजमोहन को दरकिनार करते हुए पार्टी ने रायपुर से पूर्व महापौर सुनील सोनी को टिकट दे दिया.


क्या कहा बृजमोहन ने
इस तरह से एक के बाद एक बृजमोहन की की जा रही उपेक्षा से साफ लग रहा था कि पार्टी उन्हें कोई बड़ी जवाबदारी नहीं देना चाहत. बार-बार इस तरह से उपेक्षा को लेकर जब पत्रकारों ने बृजमोहन अग्रवाल से सवाल किया, तो उन्होंने अपना सीना चौड़ा करते हुए कहा कि मैं विधायक हूं और जो पार्टी ने निर्णय लिया है वह शिरोधार्य है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भाजपा प्रदेश के सभी सीटों पर जीत दर्ज करेगी.


रमन की वजह से दरकिनार बृजमोहन !
वहीं राजनीतिक जानकार कहते हैं कि इसके पीछे पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह वजह हो सकते हैं. बृजमोहन कद में रमन से ऊंचे न हों जाए इसलिए पार्टी ने उन्हें दरकिनार किया है. वरिष्ठ पत्रकार रमेश नैयर की मानें तो जिस समय प्रदेश में अजीत जोगी की सरकार थी, उस दौरान रमन सिंह की राजनीति मात्र प्रदेश कार्यालय तक ही सीमित थी.


'बृजमोहन की मेहनत का फायद रमन को'
वे कहते हैं कि उस वक्त बृजमोहन अग्रवाल ने न सिर्फ जोगी सरकार के खिलाफ रायपुर में ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में मोर्चाबंदी की थी और आरोप पत्र भी तैयार किया था. इसका फायदा साल 2003 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिला और उसके बाद डॉक्टर रमन सिंह की किस्मत अच्छी रही कि वह एक के बाद एक दो और चुनाव भी जीत गए.


रमेश नैयर का कहना है कि बृजमोहन अग्रवाल जनाधार वाले नेता हैं और उनकी एक अलग लोगों के बीच में पकड़ है और यही वजह है कि उनका कद ज्यादा ऊंचा ना हो जाए पार्टी ने उन्हें साइड लाइन में रखा है. हो सकता है इसकी कसक बृजमोहन के मन में हो लेकिन वे जाहिर न कर रहे हों.

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