रायपुर:21 नंबर 2009 को कमल विहार लॉच किया गया. 900 करोड़ का यह प्रोजेक्ट आज पूरी तरह से डूब चुका है. न सड़क है, न बिजली, न सुरक्षा के कोई इंतजाम लोग अंधकार में जीने को मजबूर है. कमल विहार प्रोजेक्ट से कई लोगों के आशियाने जुड़े हैं. सैकड़ों की तादाद में लोगों ने रायपुर डेवलपमेंट अथॉरिटी के कमल विहार की जमीन खरीदी थी. इन लुभावने वादों से आकर्षित होकर काफी लोगों ने यहां अपना आशियाना बनाने को सपना देखा और मकान भी खरीदे, लेकिन आज यहीं लोग खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. कई लोगों के लिए मकान बनाने का सपना बस सपना रहा गया. 1600 एकड़ में फैला ये प्रोजेक्ट बदहाली की मार झेल रहा है. जो लोग अपने खून पसीने की गाढ़ी कमाई लगा इस प्रोजेक्ट का हिस्सा बने थे, आज उन्हें बिजली पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरसना पड़ रहा है.
कमल विहार निवासी गौरव मिश्रा बताते हैं, वे 3 साल से यहां रह रहे हैं, यहां सबसे बड़ी समस्या बिजली की है. यहां बहुत से लोग टेंपरेरी बिजली कनेक्शन लेकर किसी तरह काम चला रहे हैं. वहीं सुरक्षा के लिहाज से कमल विहार बिल्कुल असुरक्षित है. किसी वक्त भी वारदात यहां दस्तक दे सकती है. यहां शराबियों का जमावड़ा लगा रहता है. लोगों की लगातार शिकायत के बाद भी स्थिति जस की तस की बनी है. साफ-सफाई के भी पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए हैं.
तार खींचकर टेंपरेरी कनेक्शन से घर हो रहा रोशन
सेंट्रल बिजनेस डिस्टिक में रहने वाले अनिल गुप्ता ने बताया कि उन्होंने 4 साल पहले कमर्शियल सेक्टर में प्लॉट खरीदा था और पिछले डेढ़ साल से वह दुकान खोल चुके हैं, लेकिन आरडीए के द्वारा परमानेंट बिजली मीटर का कनेक्शन की सुविधा भी उन्हें नहीं मिल पाई है. उन्होंने अपने दुकान के लिए 420 मीटर स्वयं के खर्च से तार खींचकर टेंपरेरी कनेक्शन लिया है, जो आंधी तूफान के आते ही बिजली के तार टूट जाते हैं.
सोनल भट्टाचार्य ने बताया कि जिन स्थानों पर घर बन चुके हैं, वहां स्ट्रीट लाइट नहीं पहुंच पाई है और सड़कों की बात की जाए तो सड़कें भी कच्ची है. रात के बाद यह स्ट्रीट लाइट भी बंद कर दी जाती है. इस कारण महिलाएं घर से बाहर नहीं निकल सकती हैं, वो खुद को हर वक्त असुरक्षित महसूस करती हैं. वे ये भी बताती हैं कि बिजली का बिल हर महीने 10 से 15 हजार रुपए तक आता है. उन्होंने कहा कि आरडीए द्वारा किसी तरह की सुविधाएं नहीं दी की जा रही है, जिसके कारण वे अब खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं.
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आरडीए में शिकायत के बाद भी सुनवाई नहीं
कमल विहार निवासी पूर्ति सिंह ने बताया कि साफ-सफाई सीवरेज के नाम पर यहां कुछ नहीं हुआ है, कभी बिजली नहीं रहती है, तो कभी साफ-सफाई का हाल बेहाल रहता है. इसके कारण बच्चों को भी तकलीफ हो रही है. आए दिन घरों में जहरीले सांप, बिच्छू भी घुस जाते हैं. आरडीए में शिकायत के बाद भी जिम्मेदार ध्यान नहीं देते हैं. मीना अग्रवाल बताती हैं कि जिस तरह से इस प्रोजेक्ट का गुणगान किया गया था आज किसी तरह की भी सुविधाएं नहीं है. पानी, बिजली, साफ-सफाई जैसी सुविधा को देने का वादा किया गया था, लेकिन सुविधाओं के नाम पर यहां कुछ नहीं है. लोगों का कहना है कि लोन लेकर जमीन ली, घर बनाया लेकिन आज तक बिजली कनेक्शन भी नहीं मिला.