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पहले पड़ी कुदरत की मार, फिर मिली इंसानों की दुत्कार, इन मजबूरों की सुध कब लेगी सरकार

दर-दर की ठोकरे खाने को मजबूर ये मानसिक रोगी इलाज के लिए भटक रहे हैं. छत्तीसगढ़ में विकास और स्मार्ट सिटी की दौड़ में ये विछिप्त पीछे छूट गए जिनके इलाज के लिए प्रदेश में एक भी अस्पताल नहीं खोले गए है.

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Published : Jul 19, 2019, 9:45 PM IST

मानसिक रोगियों के लिए हॉस्पीटल नहीं

रायपुर : छत्तीसगढ़ में मानसिक रोगियों के इलाज के लिए कोई इंतजाम नहीं होने की वजह से एक तरफ जहां पीड़ितों की संख्या में इजाफा हो रहा है, वहीं दूसरी तरफ उनके प्रति अपराधों में भी बढ़ोतरी हो रही है. खासतौर पर महिला मानसिक रोगियों के साथ दुष्कर्म की खबरें दिल दहलाने वाली होती हैं.

मानसिक रोगियों के लिए हॉस्पीटल नहीं

इन मानसिक रोगियों की देखरेख और उपचार करने के लिए कोई आगे नहीं आता है. हालांकि कुछ स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा ऐसे लोगों की मदद के लिए पहल की जाती है लेकिन उनकी यह मदद मानसिक रोगियों को अस्पताल पहुंचाने तक ही सीमित होती है. छत्तीसगढ़ में तो ऐसे अस्पताल भी नहीं है, जहां इनका इलाज कराया जा सके.

उसके आगे का काम स्वास्थ्य विभाग का होता है लेकिन कभी संसाधनों के अभाव और कभी सिस्टम की बेरुखी के कारण इन मानसिक रोगियों को उचित मदद नहीं मिल पाती है. कुछ दिन अस्पताल में उपचार के बाद ऐसे मरीजों को फिर से सड़कों पर घूमने के लिए छोड़ दिया जाता है जिसके कारण उन्हें जानवरों से बदतर जिंदगी जीने को मजबूर होते हैं.

मानसिक रोग विशेषज्ञों डॉक्टर नितिन मलिक क्या कहते हैं सुनिए.

  • मानसिक रोग विशेषज्ञों डॉक्टर नितिन मलिक की मानें तो मानसिक रोग भी अन्य बीमारियों की तरह ही है, जिसकी समय पर पहचान कर उचित उपचार किया जाए तो वह ठीक हो सकती है. वे कहते हैं कि लोगों द्वारा मानसिक रोग ग्रस्त मरीजों का उपचार नहीं कराया जाता है और धीरे-धीरे यह बीमारी बढ़ती जाती है.
  • डॉक्टर कहते हैं कि उसकी मुख्य वजह यह भी है कि मानसिक रोगी के साथ हमेशा एक व्यक्ति का होना जरूरी होता है, जो उसके दिन भर के क्रियाकलापों का ध्यान रख सके. वे कहते हैं कि ऐसा हर केस में संभव नहीं होता है. यही वजह है कि कुछ वक्त बाद लोग मानसिक रोगियों का इलाज नहीं कराते हैं और बाद में उन्हें सड़क पर छोड़ दिया जाता है.

ऐसे ही कुछ मानसिक रोगियों की मदद समाजसेविका ममता शर्मा ने की है. एक को मनचलों से बचाया, तो दूसरे को अस्पताल पहुंचाया, जिसे पैर में गंभीर चोट आई थी. ऐसे कई पीड़ित हर दिन जिंदगी की जंग लड़ते हैं, जिनपर हमारी नजर ही नहीं जाती है.

  • ममता शर्मा ने बताया कि उन्होंने हाईकोर्ट में साल 2010 एक जनहित याचिका लगाई थी, जिसके बाद कोर्ट ने मानसिक रूप से कमजोर लोगों के उपचार रहने खाने-पीने और कपड़े सहित समस्त व्यवस्था करने के राज्य सरकार को निर्देश दिए थे लेकिन इस निर्देश के बावजूद अब तक सरकार की ओर से मानसिक रोगियों के लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं की गई है. हालांकि व्यवस्था के नाम पर बिलासपुर में एक अस्पताल जरूर मानसिक रोगियों के लिए बनाया गया है लेकिन यहां भी व्यवस्था व संसाधनों के अभाव के चलते मानसिक रोगियों का उपचार नहीं हो पा रहा है.
  • शासन-प्रशासन से मांग की है कि तत्काल में हाईकोर्ट के आदेश का पालन करते हुए सरकार मानसिक रोगियों के उपचार और उनके रहने की उचित व्यवस्था बनाएं और यदि जल्द से जल्द सरकार की ओर से ऐसे कदम नहीं उठाए जाते हैं तो वह एक बार फिर न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगी.

अब तक प्रदेश में सड़कों पर घूम रहे हैं मानसिक रोगियों के उचित उपचार और रहने की व्यवस्था शासन प्रशासन की ओर से नहीं की गई है अब देखने वाली बात है कि इस तरह के मामलों के लिए आने वाले समय में सरकार क्या ठोस कदम उठाती है या फिर सड़कों पर घूम रहे इन मानसिक रोगियों को इस तरह ही उनके हाल पर छोड़ देती है.

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