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संगीत कथा से सनातन धर्म की शिक्षा, निषाद परिवार चार पीढ़ियों से निभा रहे परंपरा - छत्तीसगढ़ में लोगों को संगीत कथा

समय के साथ चीजों में बदलाव हो रहा है Education of Sanatan Dharma from Sangeet Katha. आज के मॉडर्न युग में युवा जिंदगी की चकाचौंध के प्रति बेहद आकर्षित है. लेकिन इस युग में एक परिवार आज भी हमारी संस्कृति को जिंदा रखे हुए है. वह है कर्नाटक का निषाद राज परिवार जो रायपुर सहित पूरे छत्तीसगढ़ में लोगों को संगीत कथा के माध्यम से सनातन धर्म की शिक्षा दे रहे हैं.

nishadraj family following tradition of music story
संगीत कथा की परम्परा

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Published : Jan 7, 2023, 9:41 PM IST

Updated : Jan 7, 2023, 11:05 PM IST

निषाद परिवार चार पीढ़ियों से निभा रहे परंपरा

रायपुर:कर्नाटक के गोविंद प्रसाद निषादराज का परिवार Family of Govind Prasad Nishadraj of Karnataka चार पीढ़ियों से अपनी परंपराओं को निभाते आ रहे हैं. संगीत कथा के जरिए सनातन धर्म का ये प्रचार करते हैं और फिर लोगों के बीच संगीत कथा को पहुंचाने का काम कर रहे हैं. ये भगवान के अलग अलग अवतार धारण कर बाजारों में घूम घूम कर महाभारत, रामायण, शिवपुराण से जुड़े प्रसंग बतलाते हैं. निषादराज अपने तीनों बेटे के साथ संगीत कथा लोगों को सुनाते रहे हैं.

कई धार्मिक कथाओं को लोगों तक पहुंचाते हैं:गोंविद प्रसाद ने बताया कि " वे कर्नाटक के देवीहाल गांव के रहने वाले हैं. वह केवट समाज से आते हैं और राम भक्त है. हमारी यह पारम्परिक कला है. छत्तीसगढ़ में रामलीला, रासलीला और पंडवानी कहा जाता है. हम प्रभारफेरी भी निकलते हैं. सुबह वेशभूषा पहन कर हम कृष्ण, राम, परशुराम भगवान के अवतार में उनसे जुड़ी कथाओं का प्रसंग गीत के माध्यम से लोगों को सुनाते हैं. आज हमने अर्जुन और भगवान कृष्ण की लीला का पाठ किया है."

छत्तीसगढ़ में कई अरसे से सुना रहे संगीत कथा: गोविंद प्रसाद निषाद राज ने बताया कि "जब छत्तीसगढ़ राज्य अलग नहीं हुआ था. उस समय से हम रायपुर आ रहे हैं. हम साल में एक बार आते हैं और बाजार में घूम कर लोगों को को कथाएं सुनाते हैं. वर्तमान में हमारा परिवार कुम्हारी के नजदीक जंजीगिरी गांव में रहता है और साल में एक बार रायपुर के अलग-अलग इलाकों में संगीत के माध्यम से कथा सुनाते हैं."

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छत्तीसगढ़ में हमारी कला को मिली सराहना:गोविंद प्रसाद ने बताया कि "हमारी कथा को छत्तीसगढ़ में सम्मान मिल रहा है. छत्तीसगढ़ कलाकारों का प्रदेश है. ऐसे में हम लोगों के घरों में भी भजन गाते हैं. इसके साथ ही मेरे परिवार में सभी बच्चे संगीत सीख रहे हैं. मेरे बड़े बेटे ने इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ से पढ़ाई की है. मैंने कर्णाटकी में पंचाक्षरी में अभ्यास किया है, मुझे भी शास्त्रीय संगीत का अनुभव है, इनसे हमारा जीवन चलता है."

बच्चे परिवार की परंपरा निभा रहे इसलिए मुझे खुशी है:गोविंद प्रसाद ने बताया कि "उन्हें इस बात की खुशी है कि संगीत में ग्रेजुएशन होने के बाद भी मेरा बेटा परिवार की परंपरा को निभा रहा है. मेरे दादाजी, पिताजी और मैं इस परंपरा को निभाते आए हैं. अब मेरे परिवार की आने वाली पीढ़ी भी इस परंपरा को निभा रही है. यह देख कर मुझे बहुत खुशी मिलती है."

परिवार की परंपरा निभाना मेरा सौभाग्य:गोविंद प्रसाद के बेटे चंद्रशेखर निषाद ने बताया कि " संगीत कथा के माध्यम से देवी देवताओं के प्रसंग लोगों तक पहुंचा रहे हैं. उसका प्रचार प्रसार कर रहे हैं. इस परंपरा को निभाने के लिए संगीत आना बहुत जरूरी है. बिना संगीत की पढ़ाई की है. यह परंपरा हम नहीं निभा सकते. मैं बचपन से खैरागढ़ में संगीत सीख रहा हूं. तबला वादन में मैंने विशारद किया है. अभी भी मैं सीखने जाता हूं. घर में छोटे बच्चों को भी अभ्यास करवाता हूं. भागवत कथा और रामायण होता हैं तो हम भाग लेते है. सुबह शाम रियाज करते हैं. मैं भी भविष्य में इसे लगातार जारी रखूंगा और यह परंपरा को आने वाली पीढ़ियों तक लेकर जाऊंगा."

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कई बड़ी हस्तियों के घर कर चुके हैं कार्यक्रम :चंद्रशेखर निषाद ने बताया कि "वे कई बड़ी हस्तियों के यहां कार्यक्रम कर चुके हैं, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के घर से लेकर बृजमोहन अग्रवाल और कई बड़े राजनीतिक लोगों के घरों में उन्होंने कार्यक्रम किया है."

पिता की सेवा और परम्परा निभाएंगे:गोविंद प्रसाद निषाद राज के बेटे शंकर प्रसाद ने कहा कि "अपने परिवार की परंपरा को निभाने में उन्हें बहुत अच्छा लगता है. कई बार वे अलग अलग भगवान का रूप धारण करते हैं और संगीत भी सीखते हैं. हम अपने पिताजी की सेवा भी कर रहे हैं और हमारे पिताजी जैसा कहते हैं. हम उनके कहे अनुसार चलते हैं और हमारे पूर्वजों की यह परंपरा को आगे हम सभी जारी रखेंगे."

Last Updated : Jan 7, 2023, 11:05 PM IST

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