रायपुर:कर्नाटक के गोविंद प्रसाद निषादराज का परिवार Family of Govind Prasad Nishadraj of Karnataka चार पीढ़ियों से अपनी परंपराओं को निभाते आ रहे हैं. संगीत कथा के जरिए सनातन धर्म का ये प्रचार करते हैं और फिर लोगों के बीच संगीत कथा को पहुंचाने का काम कर रहे हैं. ये भगवान के अलग अलग अवतार धारण कर बाजारों में घूम घूम कर महाभारत, रामायण, शिवपुराण से जुड़े प्रसंग बतलाते हैं. निषादराज अपने तीनों बेटे के साथ संगीत कथा लोगों को सुनाते रहे हैं.
कई धार्मिक कथाओं को लोगों तक पहुंचाते हैं:गोंविद प्रसाद ने बताया कि " वे कर्नाटक के देवीहाल गांव के रहने वाले हैं. वह केवट समाज से आते हैं और राम भक्त है. हमारी यह पारम्परिक कला है. छत्तीसगढ़ में रामलीला, रासलीला और पंडवानी कहा जाता है. हम प्रभारफेरी भी निकलते हैं. सुबह वेशभूषा पहन कर हम कृष्ण, राम, परशुराम भगवान के अवतार में उनसे जुड़ी कथाओं का प्रसंग गीत के माध्यम से लोगों को सुनाते हैं. आज हमने अर्जुन और भगवान कृष्ण की लीला का पाठ किया है."
छत्तीसगढ़ में कई अरसे से सुना रहे संगीत कथा: गोविंद प्रसाद निषाद राज ने बताया कि "जब छत्तीसगढ़ राज्य अलग नहीं हुआ था. उस समय से हम रायपुर आ रहे हैं. हम साल में एक बार आते हैं और बाजार में घूम कर लोगों को को कथाएं सुनाते हैं. वर्तमान में हमारा परिवार कुम्हारी के नजदीक जंजीगिरी गांव में रहता है और साल में एक बार रायपुर के अलग-अलग इलाकों में संगीत के माध्यम से कथा सुनाते हैं."
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छत्तीसगढ़ में हमारी कला को मिली सराहना:गोविंद प्रसाद ने बताया कि "हमारी कथा को छत्तीसगढ़ में सम्मान मिल रहा है. छत्तीसगढ़ कलाकारों का प्रदेश है. ऐसे में हम लोगों के घरों में भी भजन गाते हैं. इसके साथ ही मेरे परिवार में सभी बच्चे संगीत सीख रहे हैं. मेरे बड़े बेटे ने इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ से पढ़ाई की है. मैंने कर्णाटकी में पंचाक्षरी में अभ्यास किया है, मुझे भी शास्त्रीय संगीत का अनुभव है, इनसे हमारा जीवन चलता है."