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विश्व हाथी दिवस: छत्तीसगढ़ में 2.5 करोड़ की इंसानी आबादी के बीच बचे सिर्फ 290 हाथी - raipur news

छत्तीसगढ़ में लंबे समय से मानव-हाथी का संघर्ष जारी है. लगातार घटते जंगलों और औद्योगिक गतिविधियों के बढ़ने के चलते मानव और हाथी द्वंद्व की घटनाएं सामने आती रहती है. बीते 5 साल में हाथियों के हमले में करीब 300 लोगों की जान गई है और कई एकड़ की फसल भी चौपट हुई है. इस हमले में कई हाथियों ने भी जान गंवाई है.

Elephant in chhattisgarh
विश्व हाथी दिवस

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Published : Aug 12, 2020, 9:43 PM IST

Updated : Aug 12, 2020, 10:55 PM IST

रायपुर:छत्तीसगढ़ में लंबे समय से मानव-हाथी द्वंद चल रहा है. खासकर सरगुजा और रायगढ़ जैसे क्षेत्र हाथियों का कॉरीडोर माना जाता है. हर साल बड़ी संख्या में हाथियों का मूवमेंट इन इलाकों में होता है. अब इन इलाकों से लगातार हाथियों की मौत की खबरें भी आती रहती है. 12 अगस्त यानी वर्ल्ड एलीफैंट-डे के रूप में पूरे विश्व में मनाया जाता है. ऐसे में तेजी से घटते जंगलों और हाथियों की लगातार मौत होना मानव समुदाय के लिए भी चिंता का विषय है. लगातार घटते जंगलों और औद्योगिक गतिविधियों के बढ़ने के चलते मानव और हाथी द्वंद्व की घटनाएं लगातार सामने आ रही है. मानव गतिविधियां और लोग अब जंगल तक पहुंच गए हैं, वहीं हाथी अब शहरों की ओर रूख करने लगे हैं.

विश्व हाथी दिवस विशेष

छत्तीसगढ़ देश के सर्वाधिक हाथी प्रभावित क्षेत्रों में शुमार राज्यों में से एक है. छत्तीसगढ़ की बात करें तो प्रदेश में लगभग 35 साल पहले हाथियों का आगमन राज्य में हुआ था. उत्तरी और उत्तरी पूर्वी सीमा से तत्कालीन बिहार और वर्तमान झारखंड और ओडिशा राज्यों से हाथियों ने छत्तीसगढ़ में प्रवेश किया. तब से लेकर आज तक राज्य के सूरजपुर, बलरामपुर, सरगुजा, कोरिया, जशपुर, कोरबा, रायगढ़, महासमुंद, धमतरी, बलौदा बाजार और गरियाबंद जिलों में हाथियों का विचरण होता रहा है.

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वर्तमान में राज्य में हाथियों की संख्या 290 के आसपास है. छत्तीसगढ़ में पिछले कुछ सालों से मानव हाथी द्वंद एक बड़ी समस्या बनकर उभरी है. पिछले 5 साल में करीब 300 लोगों की जान गई है और कई एकड़ की फसल भी चौपट हुई है. नुकसान के एवज में शासन ने पिछले 5 साल में 80 करोड़ का मुआवजा भी दिया है. मानव हाथी द्वंद्व को रोकने के लिए शासन की तरफ से कई प्रयास भी किए जा रहे हैं, लेकिन अभी तक इसमें सफलता नहीं मिल पाई है. वन विभाग इसलिए अब उत्तराखंड की तर्ज राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा है.

पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर लिखा गया था पत्र

साल 2018 के अंत में जब कांग्रेस की सरकार बनी तो हाथी प्रभावित सरगुजा संभाग में लेमरू एलिफेंट रिजर्व बनाने की प्रक्रिया शुरू की गई. प्रारंभिक सर्वे में 4 वन मंडल के क्षेत्र को शामिल किया गया था, लेकिन इस प्रोजेक्ट के बीच में कोल ब्लॉक आने की वजह से समस्या हो रही थी. इस विवाद को लेकर वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने प्रस्तावित रिजर्व से कोल ब्लॉक की नीलामी सूची से हटाने के लिए पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को पत्र भी लिखा था.

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2 महीने में ही 8 से ज्यादा हाथियों की मौत

इसके बाद कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी ने भी प्रदेश के 5 कोल ब्लॉक को नीलामी सूची से हटाने का आश्वासन दिया है. यह क्षेत्र इसमें आ रहे थे, इन सब के बावजूद छत्तीसगढ़ सरकार का मानना है कि रक्षा सुरक्षा के और भी कई तरह के प्रयास करने पड़ेंगे. तो वहीं जनहानि को ध्यान में रखते हुए इसे राष्ट्रीय प्राकृतिक आपदा के तौर पर स्थान दिलाने के प्रयास जरूरी हैं. इधर, छत्तीसगढ़ में बीते 2 महीने में ही 8 से ज्यादा हाथियों की मौत हो चुकी है. इसे लेकर विपक्ष भी राज्य सरकार पर जमकर हमलावर रहा है.

हाथियों और मनुष्य के बीच संघर्ष जारी

पिछले 5 सालों में हाथियों के संरक्षण के लिए कई तरह की गतिविधियां शुरू की गई है. कई हाथी कॉरिडोर की पहचान की गई है, इसके लिए बजट को 30 फीसदी बढ़ाया गया है और कई समितियों का गठन भी किया गया है, लेकिन अभी भी हाथियों और मनुष्य के बीच संघर्ष जारी है. यहीं वजह है कि छत्तीसगढ़ में ही लगातार हाथियों की मौत की खबरें आए दिन आते रहती है.

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जानवर को नुकसान पहुंचाना अपराध

एक सर्वे के मुताबिक देश में 2017 में आखिरी बार हाथियों की गिनती की गई थी. 2017 में हुई हाथियों के गिनती के अनुसार भारत में करीब 30 हजार हाथी है, लेकिन धीरे-धीरे इनकी संख्या कम होती जा रही है. हाथियों की मौत के मामले में केरल भारत का सबसे बदनाम राज्य माना जाता है. जहां हर 3 दिन में एक हाथी मारा जाता है. किसी जानवर को नुकसान पहुंचाना या उसे मार डालना अपराध की श्रेणी में आता है, लेकिन ऐसा करने वाले बहुत कम लोगों को सजा मिल पाती है. वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 1972 के तहत जानवरों को मारने पर 3 साल तक की सजा और 25 हजार रुपए तक का जुर्माना हो सकता है. दोबारा ऐसा करने पर 7 साल तक की सजा का भी प्रावधान है.

Last Updated : Aug 12, 2020, 10:55 PM IST

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