रायपुर: बीते कुछ दिनों से इस तरह की खबरें आ रही है, जिसमें सुरक्षा बल के जवान दुश्मनों को मारने के बजाय अपने साथियों या खुद की जान लेने लगे हैं. इसी सोमवार को दंतेवाड़ा के गीदम बस स्टैंड पर बस में बैठे CRPF के एक जवान ने खुद को गोली मार ली. इससे पहले 4 दिसंबर को नायारणपुर के कडेनार कैंप में ITBP के एक जवान ने अपने साथियों पर फायरिंग कर दी. जिसमें 5 जवानों की मौत हो गई है. साथियों को मारने के बाद आरोपी जवान ने खुद को भी गोली मार ली. इसी सोमवार को ही छत्तीसगढ़ से चुनाव ड्यूटी पर झारखंड गए CAF के एक जवान ने अपने कमांडर को गोली मारकर खुदकुशी कर ली. देश के लिए जान की बाजी लगाने को तैयार जवान आखिर क्यों ऐसे कदम उठा रहे हैं, उनकी मनोदशा को समझने के लिए ETV भारत ने सुरक्षा मामलों के जानकार और मनोवैज्ञानिक से इसकी चर्चा की.
मामले में जब ETV भारत ने विभागीय अधिकारियों से जानना चाहा तो, वे इसपर फिलहाल कुछ भी बोलने से इंकार कर रहे हैं, लेकिन मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि जवानों के लिए ग्राउंड जीरो के हालात काफी कठिन होते हैं. महीनों तक जवानों को घर-परिवार से दूर रहना पड़ता है. इसके कारण कई बार जवान अवसाद में चले जाते हैं. मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि लंबे समय से छुट्टी पर न जाना और होमसिकनेस की वजह से कई बार जवान ऐसे कदम उठा लेते हैं.