रायपुर: नक्सलियों के शहरी नेटवर्क मामले में पिछले कुछ दिनों से बस्तर पुलिस को बड़ी कामयाबी हाथ लग रही है. शनिवार को ही सुकमा पुलिस ने नक्सलियों के शहरी नेटवर्क का खुलासा करते हुए 700 जिंदा कारतूस के साथ चार सप्लायर्स को गिरफ्तार किया था. वहीं इस पूरे मामले में एएसआई और प्रधान आरक्षक को भी हिरासत में लिया गया है. नक्सल एक्सपर्ट और समाजसेवी वर्णिका शर्मा ने बताया है कि 'आखिर ये नक्सलियों का शहरी नेटवर्क कैसे काम करता है'.
नक्सली सिर्फ जंगलों में मौजूद नहीं हैं. इनका नेटवर्क दूर-दूर तक फैला है. इसमें कई बुद्धिजीवी भी शामिल हैं, लेकिन सुकमा में दो पुलिस जवानों के नक्सली नेटवर्क में शामिल होने की खबर के बाद ये कहना वाकई गलत नहीं होगा कि इनकी पहुंच ऊपर तक है. जंगल में रह रहे नक्सलियों के लिए शहरी कनेक्शन इनकी मदद करते हैं.
नक्सल एक्सपर्ट और समाजसेवी वर्णिका शर्मा ने विस्तार से बताया कि किस तरह नक्सलियों का शहरी नेटवर्क काम करता है. उन्होंने बताया कि नक्सलियों का शहरी नेटवर्क संपूर्ण क्रियाविधि के साथ काम कर रहा है. इस नेटवर्क का एक आधारभूत ढ़ाचा स्थापित है, जिसके तहत ये काम करता है. केंद्रीय संगठन से इनका फंड आता है.
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कुछ इस प्रकार है ढ़ांचा:-
- टॉप वर्ग- ये पहला वर्ग है जिसे बुद्धिजीवी वर्ग भी कहा जाता है. ये वर्ग नक्सलियों के लिए योजनाएं और रणनीति बनाता है. यहीं से सारे फैसले लिए जाते हैं.
- दूसरा वर्ग- दूसरा वर्ग सप्लायर होता है. यह वर्ग बुद्धिजीवी वर्ग की बनाए गए रणनीति का क्रियान्वयन करता है.
- तीसरा वर्ग- ये वर्ग ऐसा है जिन्हें मालूम ही नहीं होता कि ये ऊपर वर्ग के द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे हैं.