रायपुरःशारदीय नवरात्र (Sharadiya Navratri 2021) शुरू हो चुका है. वहीं, माता के भक्त मां (Maa) के मंदिर (Temple) जाकर माथा टेक कर मां का आशिर्वाद लेते हैं. देश के कई हिस्सों में मां की ऐतिहासिक मंदिर है. जिनमें लोगों की आस्था है. वहीं, नवरात्र के मौके पर इन मंदिरों में खासकर माता के शक्तिपीठों (Shaktipith) में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. आज हम आपकों मां के कुछ खास मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनका अपना अलग ही महत्व है.
दंतेश्वरी मंदिर, छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के दन्तेवाड़ा में स्थित प्रसिद्ध मां दंतेश्वरी मंदिर (Danteshwari Temple) काफी पुराना है. ऐसी मान्यता है कि यहां सती का दांत गिरा था, जिसके कारण जगह का नाम दंतेश्वरी पड़ा.
नैना देवी मंदिर, नैनीताल
नैनीताल में नैनी झील के उत्त्तरी किनारे पर नैना देवी मंदिर (Naina Devi Temple) स्थित है. 1880 में भूस्खलन से यह मंदिर नष्ट हो गया था. बाद में इसे दोबारा बनाया गया. यहां सती के शक्ति रूप की पूजा की जाती है. मंदिर के दो नेत्र, नैना देवी को दर्शाते हैं.
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ज्वाला देवी मंदिर, हिमाचल प्रदेश
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में कालीधार पहाड़ी के बीच बसा ज्वाला देवी का मंदिर (Jwala Devi Temple) है. मां ज्वाला देवी तीर्थ स्थल को देवी के 51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ माना जाता है.
कामाख्या शक्तिपीठ, गुवाहाटी
असम के पश्चिम में 8 कि.मी. दूर नीलांचल पर्वत पर है. माता के सभी शक्तिपीठों में से कामाख्या शक्तिपीठ (Kamakhya Shaktipeeth) को सर्वोत्तम कहा जाता है. कहा जाता है कि यहां पर माता सती का गुह्वा मतलब योनि भाग गिरा था, उसी से कामाख्या महापीठ की उत्पत्ति हुई. ऐसी मान्यता है कि यहां देवी का योनि भाग होने की वजह से यहां माता रजस्वला होती हैं.
करणी माता मंदिर, राजस्थान
राजस्थान के बीकानेर से लगभग 30 किलोमीटर दूर जोधपुर रोड पर गांव देशनोक की सीमा में करणी माता मंदिर (Karni Mata Temple) स्थित है. यह एक तीरथ धाम है. इसे चूहे वाले मंदिर के नाम से भी देश और दुनिया के लोग जानते हैं.
दक्षिणेश्वर काली मंदिर, कोलकाता
कोलकाता का मां दक्षिणेश्वर काली मंदिर (Dakshineswar Kali Temple) यहां के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है. इसका निर्माण सन 1847 में शुरू हुआ था. कहते हैं जान बाजार की महारानी रासमणि ने स्वप्न देखा था, जिसके अनुसार मां काली ने उन्हें निर्देश दिया कि मंदिर का निर्माण किया जाए. उसके बाद इस भव्य मंदिर में मां की मूर्ति श्रद्धापूर्वक स्थापित की गई. सन् 1855 में मंदिर का निर्माण पूरा हुआ. यह मंदिर 25 एकड़ क्षेत्र में स्थित है.
अम्बाजी मंदिर, गुजरात
अम्बाजी मंदिर (Ambaji temple) यह मंदिर गुजरात-राजस्थान सीमा पर स्थित है. माना जाता है कि यह मंदिर लगभग बारह सौ साल पुराना है. इस मंदिर के जीर्णोद्धार का काम 1975 से शुरू हुआ था और तब से अब तक जारी है. श्वेत संगमरमर से निर्मित यह मंदिर बेहद भव्य है. नवरात्र में यहां का पूरा वातावरण शक्तिमय रहता है.
दुर्गा मंदिर (Durga Mandir), वाराणसी
माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण एक बंगाली महारानी ने 18 वीं सदी में करवाया था. यह मंदिर, भारतीय वास्तुकला की उत्तर भारतीय शैली की नागारा शैली में बनी हुई है. इस मंदिर में एक वर्गाकार आकृति का तालाब बना हुआ है जो दुर्गा कुंड के नाम से जाना जाता है. यह इमारत लाल रंग से रंगी हुई है जिसमें गेरू रंग का अर्क भी है. मंदिर में देवी के वस्त्र भी गेरू रंग के है. एक मान्यता के अनुसार, इस मंदिर में स्थापित मूर्ति को मनुष्यों द्वारा नहीं बनाया गया है बल्कि यह मूर्ति स्वयं प्रकट हुई थी, जो लोगों की बुरी ताकतों से रक्षा करने आई थी.
श्री महालक्ष्मी मंदिर, कोल्हापुर
श्री महालक्ष्मी मंदिर (Shree Mahalakshmi Temple) विभिन्न शक्ति पीठों में से एक है और महाराष्ट्र के कोल्हापुर में स्थित है. यहां जो भी भक्त अपनी मनोकामना लेकर आता है, मां के आशीर्वाद से वह मुराद पूरी हो जाती है. भगवान विष्णु की पत्नी होने के नाते इस मंदिर का नाम माता महालक्ष्मी पड़ा.
श्रीसंगी कलिका मंदिर, कर्नाटक
श्रीसंगी कलिका मंदिर (Shreesangi Kalika Temple) काली मां को समर्पित है. यह कर्नाटक के बेलगाम में स्थित है. यह कर्नाटक का सबसे प्रसिद्ध मंदिर है.यहां पर मां दुर्गा के काली रूप की पूजा करने का विधान है.
कालीघाट, कोलकाता
कालीघाट (Kalighat) काली मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है. यहां सती के दाएं पांव की 4 अंगुलियों (अंगूठा छोड़कर) का पतन हुआ था. यहां की शक्ति ‘कालिका’ व भैरव ‘नकुलेश’ हैं. इस पीठ में काली की भव्य प्रतिमा मौजूद है, जिनकी लंबी लाल जिह्वा मुख से बाहर निकली है. इस मंदिर की भक्तों के बीच काफी मान्यता है और यहां भक्तों की मनोकामना पूरी होती है.