रायपुर: भारत में हर साल 13 फरवरी को स्वतंत्रता आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाने वाली स्वतंत्रता सेनानी सरोजिनी नायडू की जयंती को राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है. वे हमारे की देश की महिलाओं के लिए एक प्रेरणा हैं. इस दिन महिलाओं के सम्मान में कई कार्यक्रम किए जाते हैं और देश की मातृशक्ति को नमन किया जाता है.
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सरोजिनी नायडू स्वतंत्रता आंदोलन की एक राजनीतिक कार्यकर्ता होने के साथ-साथ कवियत्री भी थीं. उन्हें भारत कोकिला (नाइटिंगेल ऑफ इंडिया) कहा जाता है. वे देश की पहली महिला राज्यपाल भी रहीं. ब्रिटिश सरकार के खिलाफ भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी सक्रिय भूमिका और दूसरे कार्यों के लिए सम्मानित करने के लिए उनकी जयंती को देश में राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है.
2014 में राष्ट्रीय महिला दिवस की हुई शुरुआत:देश की आजादी के बाद 1947 में उन्हें तत्कालीन उत्तरप्रदेश का राज्यपाल के बनाया गया और वे देश की पहली पहली महिला राज्यपाल बनीं. 13 फरवरी 2014 से उनकी जंयती को राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत की गई.
सरोजिनी नायडू के बारे में जानिए: हैदराबाद में जन्मी और कैम्ब्रिज में शिक्षित सरोजिनी नायडू भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं का शक्तिशाली चेहरा थीं. साम्राज्यवाद-विरोधी, सार्वभौमिक मताधिकार, महिला अधिकार कार्यकर्ता नायडू ने भारत में महिला आंदोलनों का मार्ग प्रशस्त किया. इंडियन नाइटिंगेल सरोजिनी नायडू ने एक कार्यकर्ता और कवि दोनों के रूप में समाज और देश पर विशेष छाप छोड़ा
1947 में जब वह संयुक्त प्रांत में राज्यपाल के रूप में शामिल हुईं, तो उन्होंने भारत के डोमिनियन में राज्यपाल का पद संभालने वाली पहली महिला बनकर इतिहास को फिर से लिखा. महिलाओं के अधिकारों, मताधिकार और संगठनों और विधानसभाओं में प्रतिनिधित्व के लिए उन्हें जाना जाता है.