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Roop chaudas 2022 रूप चौदस के दिन पूजा विधि और पौराणिक मान्यता

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Published : Oct 21, 2022, 9:35 AM IST

Roop chaudas 2022 रुप चौदस या नरक चतुर्दशी का पर्व दिवाली के एक दिन पहले मनाया जाता हैं. इसमें भी दीप दान किये जाते हैं. द्वार पर दीपक लगाये जाते हैं. धूमधाम और खुशियों के साथ घर के सभी सदस्यों के साथ त्यौहार मनाया जाता हैं.लेकिन इस दिन से जुड़ी कुछ पौराणिक मान्यताएं और महत्व भी हैं जो हमें जानना जरुरी है.

रूप चौदस के दिन पूजा विधि और पौराणिक मान्यता
रूप चौदस के दिन पूजा विधि और पौराणिक मान्यता

Roop chaudas 2022 : नरक चतुर्दशी दीपावली के पांच दिनों में से दूसरे दिन मनाया जाता है, यह त्यौहार महापर्व दिवाली के एक दिन पहले मनाया जाता हैं. इसे नरक से मुक्ति पाने वाला त्यौहार कहते हैं. इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था, इसी कारण इसे नरक चतुर्दशी कहा जाता हैं. इसे रूप चौदस एवम छोटी दिवाली भी कहते हैं.

नरक चतुर्दशी या रुप चौदस की पूजन विधि(Puja and samagri required for Roop chaudas )

  • इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान का महत्व होता हैं. इस दिन स्नान करते वक्त तिल एवम तेल से नहाया जाता है, इसके साथ नहाने के बाद सूर्य देव को अर्ध्य अर्पित करते हैं.
  • इस शरीर पर चंदन लेप लगाकर स्नान किया जाता हैं एवम भगवान कृष्ण की उपासना की जाती हैं.
  • रात्रि के समय घर की दरवाजे पर दीप लगाये जाते हैं. यमराज की पूजा भी की जाती हैं.
  • इस दिन हनुमान जी की अर्चना भी की जाती हैं.

नरक चतुर्दशी हनुमान जयंती : एक मान्यता हैं कि इस दिन कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की चौदस के दिन हनुमान जी ने माता अंजना के गर्भ से जन्म लिया था. इस प्रकार इस दिन दुखों एवम कष्टों से मुक्ति पाने के लिए हनुमान जी की भक्ति की जाती हैं, जिसमे कई लोग हनुमान चालीसा, हनुमान अष्टक जैसे पाठ करते हैं. कहते हैं कि आज के दिन हनुमान जयंती होती हैं. यह उल्लेख वाल्मीकि रामायण में मिलता हैं. इस प्रकार देश में दो बार हनुमान जयंती का अवसर मनाया जाता हैं. एक बार चैत्र की पूर्णिमा और दूसरी बार कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की चौदस के दिन.

रूप चौदस को लेकर पौराणिक मान्यता :एक हिरण्यगभ नामक एक राजा थे. उन्होंने राज पाठ छोड़कर तप में अपना जीवन व्यतीत करने का निर्णय किया. उन्होंने कई वर्षो तक तपस्या की, लेकिन उनके शरीर पर कीड़े लग गए. उनका शरीर मानों सड़ गया. हिरण्यगभ को इस बात से बहुत दुःख तब उन्होंने नारद मुनि से अपनी व्यथा कही. तब नारद मुनि ने उनसे कहा कि आप योग साधना के दौरान शरीर की स्थिती सही नहीं रखते, इसलिए ऐसा परिणाम सामने आया. तब हिरण्यगभ ने इसका निवारण पूछा. तब नारद मुनि ने उनसे कहा कि कार्तिक मास कृष्ण पक्ष चतुर्दशी के दिन शरीर पर लेप लगा कर सूर्योदय से पूर्व स्नान करे, साथ ही रूप के देवता श्री कृष्ण की पूजा कर उनकी आरती करें. इससे आपको पुन : अपना सौन्दर्य प्राप्त होगा. इन्होने वही किया अपने शरीर को स्वस्थ किया. इस प्रकार इस दिन को रूप चतुर्दशी भी कहते हैं.Narak chaturdashi 2022

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