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Narak Chaturdashi 2022 क्यों मनाई जाती है नरक चतुर्दशी, पौराणिक मान्यता और महत्व

Narak Chaturdashi 2022 हिन्दू धर्म में दीपावली का पर्व बहुत ही महत्वपूर्ण है. यह त्यौहार पूरे पांच दिन चलता है. दीपावली से दो दिन पहले धनतेरस का त्यौहार, फिर नरक चतुर्दशी या छोटी दीपावली, फिर दीपावली, गोवर्धन पूजा और भाईदूज का त्यौहार आता है. नरक चतुर्थी के दिन को लेकर ऐसी मान्यता है कि इस दिन प्रातः काल तेल लगाकर अपामार्ग (चिचड़ी) की पत्तियां जल में डालकर स्नान करने से नरक से मुक्ति मिलती है. विधि विधान के साथ पूजा करने वाले सभी व्यक्ति को उनके सभी पापों से मुक्ति मिलकर वह लोग स्वर्ग को प्राप्त करते हैं.

क्यों मनाई जाती है नरक चतुर्दशी
क्यों मनाई जाती है नरक चतुर्दशी

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Published : Oct 21, 2022, 6:13 AM IST

Narak Chaturdashi 2022भारत देश में हर साल कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन को नरक चौदस के रूप में मनाया जाता है . यह चतुर्दशी दीपावली के एक दिन पहले आती है. इस त्यौहार को रूप चौदस और छोटी दीवाली के नाम से भी जानते है.इस दिन भगवान यमराज की पूजा अर्चना करने का विधान है. नरक चतुर्थी के दिन भगवान यमराज को दीप-दान किया जाता है. दीप-दान करने से व्यक्ति को सुख और अच्छे स्वास्थ्य की मनोकामना का फल मिलता है.इस दिन जो भी इंसान भगवान यमराज की पूजा करता है, उस इंसान की अकाल मृत्यु नहीं होती (why narak chaturdashi celebrated ) है.

क्यों मनाई जाती है नरक चतुर्दशी : हिन्दू धर्म के शास्त्रों में कहा गया है कि इस दिन भगवान विष्णु ने नरकासुर का वध किया था, इसलिए इस दिन को नरक चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है. इस दिन भगवान यम को दीपदान या फिर उनको यम तर्पण किया जाता है. व्रत रत्नाकर के अनुसार कार्तिक माह की कृष्णा पक्ष की चतुर्दशी की मध्य रात में भगवान हनुमानजी का जन्म हुआ था. इसलिए इस दिन को हनुमान जयंती के रूप में विशेष पूजा अर्चना करके मनाते है और इस दिन हनुमत दीपदान भी किया जाता है.

क्या है यम और नरक चतुर्दशी का नाता : हिन्दू धर्म के श्राद्ध विधान में बताया गया है कि कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी की शाम को भगवान यम को यम तर्पण करने का विधान है. इस दिन चतुर्दश यम (यमराज, धर्मराज, मृत्यु, अनंत, वैवत्वत, काल, सर्वभूत शयर, औडूम्बर, दध्नाय, नीलाय, परमेष्ठि, व्रकोदर, पितृ, चित्रगुप्त) इन यमों का तर्पण दक्षिण दिशा में मुहं करके जल, तिल और कुशा लेकर देवतीर्थ में किया जाता है.

नरक चतुर्दशी की पौराणिक कहानी :हिन्दू धर्म में इस त्यौहार से जुडी हुई एक कहानी (narak chaturdashi katha) है. प्राचीन काल में नरकासुर नाम का राजा था. इस राजा ने देवताओं की माता अदिति के सारे आभूषण छीन लिए थे. नरकासुर ने भगवान वरुण को छत्र से वंचित कर किया था. नरकासुर ने मंदराचल के मणिपर्वत शिखर पर कब्ज़ा कर लिया था.सभी देवी देवताओं, सिद्ध पुरुषों और राजाओं की 16100 कन्याओं का अपहरण कर उन सभी को बंदी बना लिया था. ऐसा कहा जाता हैं कि दुष्ट नरकासुर के अत्याचारों और पापों का नाश करने के लिए भगवान श्री कृष्ण जी ने नरक चतुर्दशी के दिन ही नरकासुर का वध किया था और उसके बंदी ग्रह से सभी को छुड़ा लिया था. कृष्ण जी ने कन्याओं को नरकासुर के बंधन से तो मुक्त कर दिया था लेकिन सभी देवी देवताओं का कहना था कि समाज इन सभी लड़कियों को स्वीकार नहीं करेगा. इसलिए हे भगवान आप ही इस समस्या का कुछ हल बताए.इन सब बात को सुनकर भगवान श्री कृष्ण ने सभी कन्याओं को समाज में सम्मान दिलाने के लिए सत्यभामा की मदद से उन सभी कन्याओं से विवाह कर लिया (narak chaturdashi story ) था.

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