रायपुर: छत्तीसगढ़ में अब आरक्षण का मुद्दा गरमाता जा रहा है. कुछ दिनों पहले सर्व आदिवासी समाज आरक्षण के मुद्दे को लेकर सड़क पर उतरी थी. समाज ने प्रदर्शन करने के साथ ही 1 सप्ताह पहले पूरे प्रदेश में आर्थिक नाकेबंदी करके अपना विरोध जताया था. जिसके बाद अब 22 नवंबर से राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष नंद कुमार साय के नेतृत्व में अनिश्चितकालीन आंदोलन शुरू (Nandkumar sai targets CM Bhupesh baghel) कर दिया गया है. जिसमें आदिवासी समाज के वरिष्ठ और पूर्व जनप्रतिनिधि भी शामिल हुए हैं. आरक्षण के मुद्दे को लेकर प्रदर्शन कर रहे लोगों का कहना है कि जब तक आदिवासियों को 32% आरक्षण नहीं मिलेगा, तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा. इसके साथ ही कांग्रेस सरकार ने चुनाव पूर्व आदिवासी समाज के लिए कुछ घोषणा भी की थी, जो आज तक पूरी नहीं हो पाई है. tribal reservation
आदिवासी आरक्षण के मुद्दे पर नंद कुमार साय ने खोला मोर्चा, बघेल सरकार को बतााया आदिवासी विरोधी - आदिवासी समाज के आरक्षण
tribal reservation 22 नवंबर से बीजेपी ने राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष नंद कुमार साय के नेतृत्व में अनिश्चितकालीन आंदोलन शुरू कर दिया गया है. जिसमें आदिवासी समाज के वरिष्ठ और पूर्व जनप्रतिनिधि भी शामिल हुए हैं. आरक्षण के मुद्दे को लेकर प्रदर्शन कर रहे लोगों का कहना है कि जब तक आदिवासियों को 32% आरक्षण नहीं मिलेगा, तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा.
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आदिवासी समाज के आरक्षण को कम करना चाहती हैं सरकार: अनुसूचित जनजाति आयोग के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष नंदकुमार साय कहना है कि "सरकार षडयंत्रपूर्वक आदिवासी समाज के आरक्षण को कम करना चाहती हैं." नंदकुमार साय ने प्रदेश सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि "छत्तीसगढ़ के हाईकोर्ट में प्रदेश सरकार को जिस मुद्दे पर बात करनी थी, उस मुद्दे पर सरकार ने बात नहीं की. जिसके कारण आदिवासी समाज का आरक्षण 32% से घटकर 20% पर पहुंच गया है." उन्होंने कहा कि "सरकार की बेईमानी, नादानी और लापरवाही के कारण आदिवासियों के आरक्षण में कटौती हुई है. ऐसे में प्रदेश सरकार को सत्र बुलाकर अध्यादेश जारी कर आदिवासी आरक्षण को 32% करना चाहिए. अगर सरकार इस पर गंभीरता से विचार नहीं करती है, तो आने वाले समय में आंदोलन का उग्र रूप भी देखने को मिलेगा. इसके साथ ही आरक्षण के मुद्दे को लेकर प्रदेश सरकार को उखाड़कर फेंकने की तैयारी भी आदिवासी समाज के द्वारा की जा रही है."