रायपुर :छत्तीसगढ़ की संस्कृति देश के अलावा अब विदेशों तक भी पहुंच गई है. लगातार छत्तीसगढ़ की संस्कृति को उन लोगों तक पहुंचाने के लिए के लोग सहयोग कर रहे हैं. वहीं अमेरिका में भी छत्तीसगढ़ की संस्कृति को जन-जन तक पहुंचाने के लिए नाचा संस्था काम कर रही है. नॉर्थ अमेरिका छत्तीसगढ़ एसोसिएशन एक ऐसी संस्था है, जो छत्तीसगढ़ के लोगों द्वारा बनाई गई है. इस संस्था का संचालन अमेरिका में रहने वाले छत्तीसगढ़ के लोग कर रहे हैं. अमेरिका से रायपुर पहुंचे "नाचा" की संस्थापक दीपाली सरावगी से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की. आइये जानते हैं उन्होंने क्या कहा...
सवाल-नॉर्थ अमेरिका छत्तीसगढ़ एसोसिएशन की शुरुआत कैसे हुई? कैसे यह संस्था बनी ?
जवाब-नाचा एक सोच है. जब अपने देश से विदेश जाते हैं और भाषा भी कमी महसूस करते हैं. हमारे भारत देश में हमारा कल्चर इस तरह का है कि हम आस-पड़ोस में बातचीत करते हैं. बहुत से लोगों से सीधे मिलते हैं. लेकिन विदेशों में कल्चर अलग है. वहां हर किसी से बात नहीं कर सकते. आप वहां हिंदी भाषा बोलने वालों को ढूंढते हैं. यह कमी हम महसूस करते थे. शुरुआत में हम हिंदी भाषी लोगों को ढूंढते थे. फिर बाद में हमने छत्तीसगढ़ी लोगों और छत्तीसगढ़ के एसोसिएशन के बारे में सोचा. जब हम विदेशों में जाते हैं तो वहां पर अलग-अलग स्टेट का एसोसिएशन होता है, लेकिन छत्तीसगढ़ ही एक ऐसा राज्य था, जिसका कोई एसोसिएशन नहीं था. यह वहीं से उत्पन्न हुई. हमने छत्तीसगढ़ की नॉर्थ अमेरिका छत्तीसगढ़ एसोसिएशन शुरू किया. इसे प्यार से हम नाचा कहते हैं.
सवाल-नई जगह पर आपने लोगों को कैसे जोड़ा ?
जवाब-किसी ने बहुत ही सही कहा है कि जहां चाह है, वहां राह है. जहां आपकी सकारात्मक सोच होती है, वहां मंजिल जरूर मिल जाती. जब हमने एसोसिएशन बनाने की सोची, उस दौरान हमने सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया. अलग-अलग प्लेटफॉर्म के सहारे अमेरिका में रहने वाले छत्तीसगढ़ के लोगों को ढूंढना शुरू किया. धीरे-धीरे लोग जुड़ते गए. आज 3500 छत्तीसगढ़ी एनआरआई का स्ट्रांग समूह बन गया है.