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Mysterious Kali Temple of Chhattisgarh छत्तीसगढ़ का रहस्यमयी काली मंदिर जहां मरने के बाद भी अघोरी कर रहा सेवा

Aghori is serving even after death छत्तीसगढ़ के कई मंदिर रहस्यों से भरे हुए हैं. इन मंदिरों से जुड़ी सच्चाई को अब तक तलाशा जा रहा है. आज हम आपको ऐसे ही एक मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं. यहां की देवी को लोग जागृत मानते हैं. इस मंदिर में कई चमत्कारिक घटनाएं भी हो चुकी हैं. आज भी इस मंदिर में एक अघोरी माता की सेवा कर रहा है.

Mysterious Temple of Maa Kali
रायपुर में मां काली का रहस्यमयी मंदिर

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Published : Feb 7, 2023, 6:41 PM IST

Updated : Feb 8, 2023, 8:00 AM IST

छत्तीसगढ़ का रहस्यमयी काली मंदिर

रायपुर : धार्मिक ग्रंथों में माता काली को श्मशान की देवी माना गया है. इसलिए इनकी पूजा भी नहीं होती है. इनकी पूजा अधिकतर तांत्रिक और अघोर पंथ के लोग करते हैं. ऐसा ही एक काली मंदिर रायपुर के राजेंद्र नगर के मुख्य मार्ग में भी स्थित है. मंदिर के बाजू में श्मशान घाट है. श्मशान घाट के अंदर बाबा भैरव का भी मंदिर है. इसके पास ही मां काली का मंदिर है. लोग बताते हैं कि यह मंदिर जागृत काली मां का मंदिर है. मंदिर के प्रांगण में साईं, हनुमान जी, शनिदेव, शिव जी के भी छोटे छोटे मंदिर बनाए गए हैं.


बाबा के कपाल में जलती है ज्योति : करीब 60 साल से मंदिर के सामने कांच के बॉक्स के अंदर एक कपाल रखा हुआ है. जिसके ऊपर अखंड ज्योत जल रही है. इस ज्योत का रखरखाव मंदिर के पंडित और यहां काम करने वाले श्रद्धालु हैं. ये कपाल एक अघोरी आशागिर महाराज का है, जिन्होंने अपनी पूरी जिंदगी मां काली की पूजा अर्चना में बिताई.


क्या है कपाल से जुड़ी कहानी : मंदिर के पुजारी ने बताया कि " बाबा आशा गिरी महाराज यहां के प्रमुख थे. लगभग 10 से 15 साल तक उन्होंने मंदिर में सेवा की. औघड़ बाबा की इच्छा थी कि उनकी मृत्यु के बाद उनके कपाल को निकालकर उसके ऊपर माता की ज्योति जलाई जाए. यह ज्योति लगभग 60 सालों से जल रही है. बाबा की मृत्यु के 1 साल बाद ही उनके कपाल को निकाल कर उसके ऊपर जोत जलाई गई."


संतान देने वाली माता के नाम से विख्यात :मंदिर के पुजारी ने बताया कि "जिनको औलाद नहीं होती, वो यहां पर मन्नत मांगते हैं. उनकी मन्नत पूरी भी होती है. भैरव बाबा को बड़ा और जलेबी चढ़ाकर भी अपनी मन्नत पूरी करते हैं. मन्नत पूरी होने के बाद अपने बच्चे का मुंडन मंदिर में ही करवाते हैं. हर दशहरा को यहां बच्चों का मुंडन किया जाता है."

मंदिर में रोज होता है हवन :रहस्यों से भरे इस मंदिर में एक और रोचक चीज होती है. यहां रोजाना हवन होता है. रोज शाम 8 बजे हवन किया जाता है. मंदिर के पुजारी ने बताया कि "तंत्र विद्या में 10 महाविद्याओं की एक साधना है. इस वजह से इस साधना में रोजाना हवन किया जाता है.'' हवन से जुड़ी एक घटना भी पंडित जी ने बताई. पंडित ने कहा कि '' पास में एक अस्पताल है. अस्पताल से एक छोटे बच्चे को दफनाने के लिए श्मशान लाया गया. इसी बीच हवन चल रहा था और बच्चे को जैसे ही जमीन के अंदर रखा गया तो वह बच्चा रोने लगा. उसे उठाकर वापस अस्पताल ले जाया गया."

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मां काली को क्यों कहा जाता है तंत्र की देवी :तंत्र विद्या सिद्धियों का ज्ञान पाने के लिए भक्तों को मां काली की पूजा करना जरूरी होता है. अघोरी वो लोग होते हैं, जो तंत्र और सिद्धियों का अभ्यास करते हैं. दुर्गा मां को ही काली का रूप माना जाता है. दो अलग अलग रूप में पूजा जरूर की जाती है. लेकिन दुर्गा और काली दोनों एक ही स्त्री शक्ति का प्रतिनिधित्व करते हैं. हिंदू शास्त्रों के अनुसार देवी शक्तियां स्त्री शक्ति का निर्माण सभी देवताओं की ऊर्जा से हुआ है.

Last Updated : Feb 8, 2023, 8:00 AM IST

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