रायपुर: छत्तीसगढ़ में ‘मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान‘ और विभिन्न योजनाओं के एकीकृत प्लान के तहत बच्चों में कुपोषण दूर करने में बड़ी सफलता मिली है. साल 2019 में आयोजित वजन त्योहार से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में 9 लाख 70 हजार बच्चे कुपोषित थे. इनमें से मार्च 2020 तक 67 हजार 889 बच्चे कुपोषण से मुक्त हो गए हैं.
इस तरह कुपोषित बच्चों की संख्या में लगभग 13.79 प्रतिशत की कमी आई है, जो कुपोषण के खिलाफ शुरू की गई जंग में एक बड़ी उपलब्धि है. बहुत ही कम समय में ही कुपोषण की दर में उल्लेखनीय कमी का श्रेय मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कुशल नेतृत्व सहित उनकी दूरदर्शी सोच को जाता है.
प्रदेश में 9 लाख 70 हजार बच्चे कुपोषित
छत्तीसगढ़ में नई सरकार के गठन के बाद मुख्यमंत्री बघेल ने राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 के आंकड़ों में महिलाओं और बच्चों में कुपोषण और एनीमिया की दर को देखते हुए प्रदेश में अभियान की शुरूआत की गई थी. राष्ट्रीय परिवार सर्वेक्षण-4 के अनुसार प्रदेश में 5 साल से कम उम्र के 37.7 प्रतिशत बच्चे कुपोषण और 15 से 49 साल की 47 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया से पीड़ित थे. इन आंकड़ों को देखे तो प्रदेश में 9 लाख 70 हजार बच्चे कुपोषित थे. इनमें से अधिकांश आदिवासी और दूरस्थ वनांचल इलाकों के बच्चे थे.
मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान की शुरूआत
इन आंकड़ों को भूपेश सरकार ने एक चुनौती के रूप में लिया और ‘कुपोषण मुक्त छत्तीसगढ़' की संकल्पना के साथ महात्मा गांधी की 150वीं जयंती 2 अक्टूबर 2019 से पूरे प्रदेश में मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान की शुरूआत की. अभियान की सफलता के लिए इसमें जन-समुदाय को भी शामिल किया गया है.
वनांचल क्षेत्रों में पायलट प्रोजेक्ट
प्रदेश के नक्सल प्रभावित बस्तर सहित वनांचल के कुछ ग्राम पंचायतों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में सुपोषण अभियान की शुरूआत की गई. दंतेवाड़ा जिले में पंचायतों के माध्यम से गर्म पौष्टिक भोजन और धमतरी जिले में ‘लइका जतन ठउर’ जैसे नवाचार कार्यक्रमों के जरिए इसे आगे बढ़ाया गया.
कुपोषित बच्चों को बांटा निशुल्क पौष्टिक आहार
जिला खनिज न्यास निधि का एक बेहतर उपयोग कर सुपोषण अभियान के तहत गरम भोजन देने की व्यवस्था की गई. इसकी सफलता को देखते हुए मुख्यमंत्री बघेल ने इस अभियान को 2 अक्टूबर से पूरे प्रदेश में लागू किया. इस अभियान के तहत चिन्हांकित बच्चों को आंगनवाड़ी केन्द्र में दिए जाने वाले पूरक पोषण आहार के अतिरिक्त स्थानीय स्तर पर निशुल्क पौष्टिक आहार और कुपोषित महिलाओं और बच्चों को गर्म पौष्टिक भोजन देने की व्यवस्था की गई है.