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Monsoon in Chhattisgarh: जानिए छत्तीसगढ़ में पिछले 4 सालों में कहां कितनी हुई बारिश! - छत्तीसगढ़ में मानसून

जल्द ही छत्तीसगढ़ में मानसून का प्रवेश होगा. किसानों को मानसून का बेसब्री से इंतजार है. आइए जानते हैं पिछले 4 सालों में सबसे अधिक और सबसे कम कहां-कहां बारिश हुई है.

Monsoon in Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ में मानसून

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Published : Jun 11, 2023, 12:09 PM IST

Updated : Jun 11, 2023, 3:13 PM IST

मौसम वैज्ञानिक संजय बैरागी

रायपुर:दक्षिण पश्चिम मानसून ने 8 जून को केरल में दस्तक दे दी है. छत्तीसगढ़ में 22 जून तक मानसून के पहुंचने की संभावना है. जून से सितंबर तक का माह बारिश का रहता है. बारिश के इन 4 महीनों में प्रदेश के कई जिलों में सामान्य वर्षा कुछ जगहों पर औसत से कम तो कहीं औसत से ज्यादा बारिश होती है. मानसूनी बारिश के बाद ही प्रदेश में किसान खेती शुरू करते हैं. किसानों को भी मानसूनी बारिश का बेसब्री से इंतजार रहता है.

परिस्थिति पर निर्भर करता है बारिश का होना:मानसूनी बारिश का कम या अधिक होना परिस्थिति पर निर्भर करता है. अनुकूल परिस्थिति होने से बारिश अच्छी होती है. परिस्थितियां अनुकूल न हो तो बारिश भी कम ही होती है. जिसमें द्रोणिका चक्रवात के साथ ही और दूसरे कारक अनुकूल होने पर ही अच्छी बारिश की संभावना रहती है. इसके उलट परिस्थिति होने पर बारिश कम होती है.

छत्तीसगढ़ में मानसून

जानिए कब, कहां कितनी हुई बारिश:साल 2019 में सबसे अधिक बारिश बीजापुर में हुई. जिले में 2229 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई. जबकि सबसे कम बारिश मुंगेली जिले में 776 मिलीमीटर दर्ज की गई. साल 2020 में सबसे अधिक बारिश बीजापुर में हुई. जिले में 2271 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई. जबकि सबसे कम बारिश सरगुजा जिले में 822 मिलीमीटर दर्ज की गई. इसके अलावा साल 2021 में सबसे अधिक बारिश सुकमा में हुई. जिले में 1564 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई. जबकि सबसे कम बारिश रायपुर जिले में 879 मिलीमीटर दर्ज की गई. वहीं, साल 2022 में सबसे अधिक बारिश बीजापुर जिले में 2515 मिलीमीटर हुई. जबकि सबसे कम बारिश सरगुजा में 642 मिलीमीटर दर्ज की गई.

क्या कहते हैं मौसम वैज्ञानिक:मौसम वैज्ञानिक संजय बैरागी का कहना है कि "मानसूनी बारिश के लिए मानसून की इंटेंसिटी के लिए पहला इंडिकेशन रहता है. मेडागास्कर के पास इंटेंसिटी देखी जाती है. साथ ही पाकिस्तान और राजस्थान के आस पास हीट लो बनता है.उसकी इंटेंसिटी देखने के साथ ही एक मानसून ट्रफ बनता है. बंगाल की खाड़ी में कूल लो भी मानसूनी बारिश के लिए देखा जाता है. यदि यह सारी चीजें फेयरवेल कंडीशन में रहती है, तो मानसून अच्छीहोने की संभावना रहती है."

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एलनीनो एक बड़ा सिस्टम: इसके अलावा दूसरी चीज आउट लांग रेंज रेडिएशन यूनिट भी होती है. कम बारिश उस समय होती है, जब ये सभी चीजें डिस्टर्ब हो जाती है. इसके साथ ही कम बारिश के लिए जिम्मेदार एलनीनो भी होता है. यह हवा की दिशा को डायवर्ट कर देता है, जिसके कारण पूरे भारत देश में मानसून नहीं पहुंच पाता. दक्षिण के क्षेत्र को छोड़कर ज्यादातर क्षेत्र सूखाग्रस्त या फिर मानसून सीजन में वर्षा कम होती है. एलनीनो एक बहुत बड़ा सिस्टम है, जो चार पांच साल में एक बार आता है. जो कि साउथ अमेरिका के पेरू नामक जगह के आसपास क्षेत्र के समुद्र में गर्म जलधारा बनने के कारण वहां पर लो प्रेशर बनता है. उसी लो प्रेशर के कारण भारत में दक्षिण पश्चिम मानसून की दिशा को डायवर्ट कर देता है, जिसके कारण मानसूनी बारिश के समय पानी कम बरसता है.

Last Updated : Jun 11, 2023, 3:13 PM IST

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