कर्ज लेकर धान खरीदी का भुगतान करती है छत्तीसगढ़ सरकार, केंद्र से नहीं मिलता सहयोग : मंत्री मोहम्मद अकबर - छत्तीसगढ़ सरकार
छत्तीसगढ़ में धान खरीदी को लेकर एक बार फिर राजनीतिक पारा चढ़ गया है. वन एवं परिवहन मंत्री मोहम्मद अकबर ने सोमवार को पत्रकारों से चर्चा के दौरान धान खरीदी को लेकर केंद्र सरकार पर तंज कसा है. मंत्री ने केंद्र सरकार पर धान खरीदी में किसी भी तरह का सहयोग ना करने का आरोप लगाया है.
मंत्री मोहम्मद अकबर ने केंद्र सरकार को घेरा
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Published : Jun 12, 2023, 7:38 PM IST
रायपुर:वन एवं परिवहन मंत्री मोहम्मद अकबर ने धान खरीदी को लेकर केंद्र सरकार को घेरा है. मंत्री ने धान खरीदी को प्रदेश सरकार की सबसे बड़ी योजना बताया है. इसके साथ ही उन्होंने धान खरीदी में केंद्र सरकार की तरफ से किसी भी तरह के अनुदान या सहयोग ना देने की बात भी कही.
धान खरीदी राज्य सरकार के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण योजना है. राज्य सरकार प्रदेश के पंजीकृत किसानों से धान खरीदी करती है और बैंको से ऋण लेकर भुगतान करती है. केन्द्र सरकार धान खरीदी के लिए कोई अनुदान, सहायता या ऋण नहीं देती. राज्य सरकार किसानों से धान खरीदी करती है. फिर कस्टम मिलिंग के बाद सेन्ट्रल पूल में चावल जमा किया जाता है. उसके बाद केन्द्र सरकार जमा चावल के एवज में निर्धारित दर का भुगतान करती है."-मोहम्मद अकबर, वन एवं परिवहन मंत्री
केंद्र नहीं करती कोई मदद:अकबर ने कहा कि पूरे देश में छत्तीसगढ़ एक ऐसा राज्य है, जहां हमारी सरकार बनने के बाद से किसानों से समर्थन मूल्य पर धान खरीद जाता है. इसके साथ ही प्रतिपूर्ति के रूप में राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत अतिरिक्त राशि दी जाती है. इस तरह किसानों को धान की कीमत 2500 रुपये प्रति क्विंटल मिल रहा है. साल 2023-24 में 125 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी का अनुमान है. अब तक 15 क्विंटल प्रति एकड़ की दर से धान खरीदी की जा रही थी, जिसे राज्य सरकार ने बढ़ाकर 20 क्विंटल प्रति एकड़ धान खरीदने का निर्णय लिया है.
अकबर ने कहा कि धान खरीदी के लिए राज्य सरकार हर साल 20 से 25 हजार करोड़ रुपये का कर्ज लेती है. धान खरीदी के लिए केन्द्र सरकार छत्तीसगढ़ सरकार को कोई सहायता नहीं देती और ना ही कोई अनुदान या ऋण देती है. बैंकों और नाबार्ड से ऋण राज्य सरकार की गारंटी पर दिया जाता है.-मोहम्मद अकबर, वन एवं परिवहन मंत्री
छत्तीसगढ़ में अब विधानसभा चुनाव को कुछ ही महीने बचे हुए हैं. ऐसे में प्रदेश का राजनीतिक पारा हाई हो गया है. लगातार भाजपा और कांग्रेस एक दूसरे पर हमलावर हैं और राजनीतिक बयानबाजी कर रहे हैं.