रायपुर:प्रदेश में आदर्श सोसायटी चिटफंड कंपनी फर्जीवाड़ा मामला सामने आने के बाद चिटफंड मामले को लेकर प्रदेश में चर्चा शुरू हो गई है. जिसके बाद विपक्ष भी हमलावर होते हुए प्रदेश की कांग्रेस सरकार से चिटफंड प्रभावितों को पैसे जल्द वापस दिलाने की मांग कर रहा है.
चिटफंड फर्जीवाड़ा के प्रभावितों को जल्द मिलेगा पैसा वापस छत्तीसगढ़ में हुए चिटफंड फर्जीवाड़ा मामले को ETV भारत लगातार उठाता रहा है, ETV भारत ने नगरी निकाय मंत्री शिव कुमार डहरिया से चिटफंड प्रभावितों को डूबा पैसा वापस मिलने को लेकर सवाल किया, जिसपर जवाब देते हुए मंत्री डहरिया ने कहा है कि 'कोशिश रहेगी कि हमारे कार्यकाल में ही इन प्रभावितों को पैसा मिल सके.' डहरिया ने कहा कि राज्य सरकार चिटफंड प्रभावितों को पैसा दिलाने का पूरा प्रयास कर रही है, कई कमेटियां बनाई गई है और गृहमंत्री के समन्वय में यह काम किया जा रहा है, मंत्री शिव कुमार ने कहा कि कई फर्जी कंपनियों के खिलाफ सरकार ने कार्रवाई भी की है.
घोषणापत्र में कांग्रेस ने किया था वादा
बता दें, विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने अपने जन घोषणा पत्र में कहा था कि यदि उनकी सरकार बनती है तो वह चिटफंड कंपनी में डूबी रकम लोगों को वापस दिलाएगी. जिसके बाद कांग्रेस की सरकार बने अब लगभग डेढ़ साल बीत चुके हैं, बावजूद इसके चिटफंड कंपनी में डूबी रकम लोगों को वापस नहीं मिल सकी है. हालांकि कांग्रेस सरकार बनने के बाद इस रकम को लोगों को वापस दिलाने के लिए बड़े स्तर पर कमेटियां गठित की गई है, FIR भी दर्ज किए गए हैं. कुछ जगहों पर चिटफंड कंपनियों की संपत्ति कुर्क करने की कार्रवाई भी की गई है. बावजूद इसके अब तक चिटफंड कंपनी में डूबी हुई रकम लोगों को वापस नहीं मिल सकी है.
इसी बीच आदर्श सोसायटी का मामला प्रकाश में आने के बाद एक बार फिर लोगों ने चिटफंड कंपनी में डूबी रकम वापस दिए जाने की मांग सरकार से की है. साथ ही विपक्ष ने भी इस मामले को लेकर सरकार को घेरना शुरू कर दिया है अब देखने वाली बात है कि कांग्रेस सरकार कब तक लोगों को रकम वापस दिलाती है.
आदर्श सोसायटी चिटफंड मामला
आदर्श सोसाइटी छत्तीसगढ़ में 2012 से काम कर रही है. 8 साल में एजेंट्स के जरिए लोगों से रकम जमा कराई गई. इसमें ज्यादातर ऐसे लोग शामिल हैं, जो छोटा कारोबार करते हैं. सोसाइटी के एजेंट्स ने ज्यादा ब्याज का लालच देकर लोगों से रकम जमा कराई. लोगों को विश्वास में लेने के लिए रोजाना 50 रुपये से लेकर 1 हजार रुपये तक जमा कराए गए. ज्यादा ब्याज के लालच में लोगों ने पैसे जमा भी किए, लेकिन सोसाइटी के बंद होते ही सभी की रकम डूबने का खतरा मंडरा रहा है.