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रायुपर: मंत्री रविन्द्र चौबे ने की 'गोधन न्याय योजना' की समीक्षा

कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे की अध्यक्षता में गोधन न्याय योजना की समीक्षा बैठक की गई. बैठक में जैविक खाद निर्माण की स्थिति, पैकेजिंग और मार्केटिंग पर विस्तार से चर्चा की गई.

Minister Ravindra Chaubey Minister Ravindra Chaubey
गोधन न्याय योजना की समीक्षा

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Published : Oct 14, 2020, 3:36 PM IST

रायपुर:कृषि और पशुपालन मंत्री रविन्द्र चौबे की अध्यक्षता में गोधन न्याय योजना की बहुउपयोगिता पर मंथन किया गया. बैठक में जैविक खाद निर्माण की स्थिति, पैकेजिंग और मार्केटिंग पर विस्तार से चर्चा की गई. गोबर और बायोमास से बायो सीएनजी तैयार करने पर विचार-विमर्श किया गया. चौबे ने छोटी-छोटी परियोजना तैयार कर गोबर को लाभकारी बनाने पर जोर दिया.

मंत्री चौबे ने बताया कि 20 जुलाई हरेली पर्व से शुरू हुई गोधन न्याय योजना के अंतर्गत अब तक गौपालकों और गोबर विक्रेताओं से छत्तीसगढ़ के 3247 से ज्यादा गौठानों में लगभग 30 करोड़ रुपए का गोबर खरीदा जा चुका है. मंत्री चौबे ने कहा कि गोधन न्याय योजना से जिस प्रकार पशुपालकों और गरीब ग्रामीण गोबर विक्रेताओं को लाभ मिल रहा है, इसे और व्यापक बनाते हुए खरीदे गए गोबर से जैविक खाद निर्माण सहित मल्टी उत्पाद और बहुउपयोगी बनाकर ग्रामीणों और महिलाओं को स्वरोजगार उपलब्ध कराया जाए. उन्होंने सहकारिता विभाग के जरिए किसानों को आसानी से जैविक खाद उपलब्ध कराने पर भी जोर दिया.

पढ़ें-गोधन न्याय योजना: 5 बार MA की डिग्री ले चुके शख्स ने गोबर को बनाया आय का जरिया

बैठक में मंत्री चौबे ने बताया कि गौठानों में तैयार की गई वर्मी कम्पोस्ट 'गोधन वर्मी कम्पोस्ट' के नाम से लॉन्च किया गया है. इसका प्रचार-प्रसार किया जाए. उन्होंने योजना से अधिक से अधिक महिलाओं को रोजगार मुहैया कराने के लिए वर्मी कम्पोस्ट के पैकेजिंग का कार्य महिला स्व-सहायता समूहों को सौंपे जाने के निर्देश अधिकारियों को दिए. गोबर से मल्टी उत्पाद तैयार करने के लिए शहरी महिलाओं की तरह ग्रामीण क्षेत्रों की महिला समूहों को भी आवश्यक उपकरण उपलब्ध कराने पर बल दिया गया.

ग्रामीणों को मिलेगा रोजगार

उन्होंने कहा कि इस योजना को और अधिक लाभकारी कैसे बनाए जाए इस दिशा में क्या-क्या किया जा सकता है, इस पर भी विचार किया जाए. इस योजना के जरिए राज्य में 700 से 800 करोड़ रुपए की वर्मी कम्पोस्ट खाद का कारोबार महिला समूहों और सोसायटियों के माध्यम से होगा. इससे ग्रामीणों को रोजगार और सोसायटियों को संबल मिलेगा.

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