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पुण्यतिथि विशेष: मीनाक्षी देवी बनीं छत्तीसगढ़ की मिनीमाता, घर-घर गूंजती है इनके बलिदान की कहानी

छत्तीसगढ़ की प्रथम महिला सांसद मिनीमाता की आज 48वीं पुण्यतिथि है. मिनीमाता छत्तीसगढ़ की पहली महिला सांसद थीं. समाज की कुरीतियों को दूर करने के लिए उन्होंने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया. छुआछूत मिटाने के लिए उन्होंने इतना काम किया कि लोग उन्हें मसीहा मानने लगे और मीनाक्षी देवी छत्तीसगढ़ की मिनीमाता बन गईं.

mini mata
मिनीमाता

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Published : Aug 11, 2020, 10:40 AM IST

Updated : Aug 11, 2020, 2:56 PM IST

रायपुर : शांत, सरल स्वाभाव और शालीनता की मूर्ति छत्तीसगढ़ की पहली महिला सांसद मिनीमाता की आज 48वीं पुण्यतिथि है. आज वे भले ही हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन पूरा छत्तीसगढ़ आज भी उनके बलिदान को भूला नहीं है. वो लोगों के दिलों में आज भी जिंदा है. नारी के लिए आवाज उठाने वाली, स्वतंत्रता की लड़ाई में अहम भूमिका निभाने वाली, अंधविश्वास और छुआछूत के खिलाफ लोगों को जागरूक करने वाली मिनी माता छत्तीसगढ़ की हर नारी के लिए मिसाल है. इनकी कहानी हर घर में गूंजती है. मिनी माता का असली नाम मीनाक्षी देवी है, लेकिन छत्तीसगढ़ में उन्हें मिनी माता के नाम से जाना जाता है. आज मिनीमाता की 48वीं पुण्यतिथि पर सभी प्रदेशवासियों ने उन्हें श्रध्दांजलि दी है.

मीनाक्षी देवी की पुण्यतिथि पर सीएम भूपेश बघेल
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ की प्रथम महिला सांसद मिनीमाता की पुण्यतिथि पर उन्हें नमन किया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि सरल और सहज व्यक्तित्व की धनी मिनीमाता ने अपना पूरा जीवन मानव सेवा के लिए समर्पित कर दिया. असम के नौगांव में जन्मी मिनीमाता विवाह के बाद छत्तीसगढ़ के जनजीवन में रच-बस गईं. दीन-दुखियों की सेवा के लिए वे आजीवन समर्पण के साथ लगी रहीं. दलितों के नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिए अस्पृश्यता निवारण अधिनियम को संसद में पारित कराने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई. उन्होंने मजदूरों को एकजुट करने के लिए छत्तीसगढ़ मजदूर संघ का गठन किया. बघेल ने कहा कि मिनीमाता को दलितों और महिलाओं के उत्थान के लिए किए गए कार्यों के लिए सदा याद किया जाएगा.
मिनीमाता

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मिनीमाता ने पूरा जीवन समर्पित कर दिया- राज्यपाल

राज्यपाल अनुसुइया उइके ने छत्तीसगढ़ की प्रथम महिला सांसद मिनीमाता की पुण्यतिथि पर उन्हें नमन किया है. राज्यपाल ने कहा कि मिनीमाता ने समाज के निचले तबके के कल्याण और पिछड़ेपन को दूर करने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया. उन्होंने नारी शिक्षा के लिए उल्लेखनीय कार्य किए. उनका जीवन हम सबके लिए अनुकरणीय है.

मिनीमाता

मिनीमाता की प्रतिमा पर माल्यार्पण और पुष्पांजलि कार्यक्रम

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल मिनीमाता की 48वीं पुण्यतिथि पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल होंगे. सीएम बघेल मिनी माता की पुण्यतिथि पर न्यू राजेन्द्र नगर के सांस्कृतिक भवन स्थित नवनर्मित वातानुकूलित भवन का लोकार्पण करेंगे. बघेल इस अवसर पर सामाजिक क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए महिलाओं और प्रतिभावान छात्र-छात्राओं को सम्मानित भी करेंगे. कार्यक्रम की अध्यक्षता नगरीय प्रशासन और श्रम मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया करेंगे. विशिष्ट अतिथि के रूप में नगर निगम रायपुर के महापौर एजाज ढेबर उपस्थित होंगे. निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार सवेरे 9 बजे न्यू बस स्टैंड स्थित स्वर्गीय मिनीमाता की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि कार्यक्रम किया गया. दोपहर 12 बजे राजेन्द्र नगर स्थित सांस्कृतिक भवन में नवनिर्मित वातानुकूलित भवन का लोकार्पण होगा.

कैसे बनीं मिनीमाता

  • मिनीमाता का नाम मीनाक्षी देवी था. वह असम में अपनी मां देवमती के साथ रहती थीं. उनके पिता सगोना नाम के गांव में मालगुजार थे.
  • मीनाक्षी ने असम में मिडिल स्कूल तक की पढ़ाई की. साल था 1920. उस वक्त स्वदेशी आंदोलन चल रहा था और उसी वक्त मिनी स्वदेशी पहनने लगी थीं.
  • विदेशी सामान की होली भी जलाई गई थी. उस वक्त गद्दीआसीन गुरु अगमदास जी गुरु गोंसाई (सतनामी पथ) प्रचार के लिए असम पहुंचे थे.
  • मिनी की माता के सामने शादी का प्रस्ताव रखा. इस तरह मीनाक्षी देवी मिनीमाता बन गईं और वापस छत्तीसगढ़ आ गईं.

राष्ट्रीय आंदोलन में भागीदार रहीं

  • अगमदास गुरु राष्ट्रीय आंदोलन में भाग ले रहे थे. उनका रायपुर का घर सत्याग्रहियों का ठिकाना बन गया.
  • पंडित सुंदरलाल शर्मा, डॉक्टर राधाबाई, ठाकुर प्यारेलाल सिंह सभी उनके घर आते थे. अगमदास गुरु के कारण ही सतनामी समाज ने राष्ट्रीय आंदोलन में भाग लिया.

अंधविश्वास के खिलाफ किया जागरूक

  • मिनीमाता ने छुआछूत मिटाने से लेकर अंधविश्वास के खिलाफ लोगों को जागरूक किया है.
  • उन्हें जानने वाले कहते हैं कि सादगी उनके दिल में थी और व्यक्तित्व में झलकती थी.
  • मिनीमाता का घर हर समाज और तबके के लिए खुला रहता था.

काम के प्रति थीं समर्पित

  • साल 1951 में गुरु अगमदास के देहांत के बाद मिनीमाता पर पूरी जिम्मेदारी आ गई.
  • घर संभालने के साथ-साथ वे समाज के काम भी करती रहीं. उनके बेटे विजय कुमार की उम्र उस वक्त बहुत कम थी.
  • 1952 में वे प्रदेश की पहली महिला सांसद बनीं. कहते हैं कि जब तक वो अपना काम पूरा नहीं कर लेती थीं, परेशान रहती थीं.

नारी शिक्षा के लिए अग्रसर

  • नारी शिक्षा के लिए उन्होंने विशेष काम किया. बहुत सी लड़कियां उनके पास रहकर पढ़ाई करती थीं.
  • वे जिन लड़कियों में पढ़ाई के प्रति रुचि देखतीं, उनके लिए उच्च शिक्षा का बंदोबस्त करतीं. उनकी पढ़ाई हुई लड़कियों में कुछ डॉक्टर, कुछ प्रोफेसर और कुछ जज तक बनीं.

विमान दुर्घटना में निधन

  • मिनीमाता सांस्कृतिक मंडल की अध्यक्ष रहीं. भिलाई में छत्तीसगढ़ कल्याण मजदूर संगठन की संस्थापक रहीं. कहा जाता है कि बांगो बांध का निर्माण भी उन्हीं की वजह से संभव हुआ.
  • ठंड में वे इस बात का ख्याल रखती थीं कि सबके पास उचित उपाय हो.
  • साल 1972 में एक विमान दुर्घटना में मिनीमाता का निधन हो गया.
Last Updated : Aug 11, 2020, 2:56 PM IST

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