रायपुर: छत्तीसगढ़ जितना 'धान के कटोरे' के नाम से फेमस है, राज्य के दामन पर उतना ही नक्सलवाद का दाग भी है. प्रदेश के 14 जिले नक्सल प्रभावित हैं. बस्तर, सुकमा, बीजापुर, कोंडागांव, कांकेर, दंतेवाड़ा, नारायणपुर, बालोद, गरियाबंद, धमतरी, महासमुंद, कवर्धा, राजनांदगांव और बलरामपुर जिले नक्सलवाद झेल रहे हैं. 60 हजार से अधिक जवान यहां सुरक्षा में लगे हैं. ऐसे में कोरोना वैक्सीन अंदरूनी और धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में कैसे पहुंचेगी, सबके लिए ये चुनौती और जिज्ञासा दोनों का विषय है. यहां जिंदगी दांव पर लगाकर 'जिंदगी का टीका' लगाना होगा.
40 हजार स्क्वॉयर किलोमीटर में फैले बस्तर रीजन का करीब 25 हजार स्क्वॉयर किलोमीटर हिस्सा 'रेड कॉरीडोर' कहा जाता है. इस क्षेत्र की 30 से ज्यादा तहसीलों के 4 हजार से अधिक गांवों में रहने वाले लाखों लोग वैक्सीन का इंतजार कर रहे हैं. अब ये सवाल भी दिमाग में आता है कि क्या जो प्रक्रिया चुनाव के वक्त शासन-प्रशासन अपनाता है, क्या वही टीकाकरण के दौरान भी दोहराई जाएगी ? स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने भी कहा कि ऐसे क्षेत्रों में चुनाव के दौरान भी एयर एम्बुलेंस की व्यवस्था रखी जाती है. हमें वैक्सीनेशन के दौरान भी इसे उपलब्ध करवाना चाहिए.
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500 सुरक्षाकर्मी रहेंगे तैनात
16 जनवरी से देशभर में कोरोना टीकाकरण की प्रक्रिया शुरू की जाएगी. बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने बताया कि संभाग में 500 सुरक्षाकर्मी सुरक्षा में तैनात रहेंगे. स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा कि आदिवासी और दूरस्थ इलाकों में कोराना वैक्सीनेशन बड़ी चुनौती होगी. सिंहदेव ने कहा था कि सुदूर आदिवासी क्षेत्र में आवागमन की असुविधा है, उन पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है.
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ड्राई रन के वक्त हुई दिक्कत
स्वास्थ्य मंत्री ने ये भी माना कि ड्राई रन के समय सुकमा और कोंटा में कनेक्टिविटी को लेकर असुविधा हुई है. सिंहदेव ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को भी इस संबंध में जानकारी दी है. सिंहदेव ने कहा कि नक्सल प्रभावित इलाकों में वैक्सीन पहुंचाना, उसे फ्रीजर में रखने की तैयारियां की गई हैं. जहां बिजली, पुल-पुलिया नहीं हैं और जहां पैदल जाते हैं, वहां की व्यवस्थाएं कठिन हैं.