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रायपुर: कागजों तक सिमटी व्यवस्था, पैदल घर जाने को मजबूर हैं प्रवासी मजदूर

एक ओर सरकारें जहां प्रवासी मजदूरों को सुविधाएं मिलने की बात कर रही हैं. तो वहीं दूसरी ओर जमीनी हकीकत कुछ और ही है. शनिवार को मुंबई से ओडिशा जा रहे कुछ मजदूर रायपुर पहुंचे, इन मजदूरों को बस से उनके गंतव्य के लिए रवाना कर दिया.

labours going from mumbai to odisha
प्रवासी मजदूर

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Published : May 16, 2020, 7:34 PM IST

रायपुर:लॉकडाउन के दौरान मजदूरों की मदद के लिए केंद्र और राज्य सरकार ने बड़ी-बड़ी योजनाएं शुरू की गई हैं, जिसका दोनों ही सरकार जोर-शोर से प्रचार-प्रसार कर रही हैं. सरकार का दावा है कि मजदूर घर बैठे ऑनलाइन अपने घरों पर जाने के लिए आवेदन कर सकते हैं. जिसके बाद सरकार उन्हें ट्रेन और बसों के माध्यम से उनके गंतव्य तक पहुंचाएगी. मजदूरों के खाने-पीने और रहने की व्यवस्था भी सरकारी खर्च से की जाएगी, लेकिन इन योजनाओं के शुरू करने के बाद सरकार शायद यह देखना भूल गई कि इसका क्रियान्वयन हो भी रहा है या नहीं.

मुंबई से ओडिशा जा रहे मजदूर

तमाम योजनाओं के बाद भी मजदूर बिना बस, ट्रेन के एक राज्य से दूसरे राज्य पैदल सफर करने को मजबूर हैं. मुंबई से ओडिशा के लिए रवाना हुए यह 12 मजदूर अपनी तकलीफ बयां कर रहे हैं. ये मजदूर मुंबई से ओडिशा के लिए पैदल ही रवाना हुए. इस दौरान उन्होंने बीच में कभी बस तो कभी ट्रक वालों से मदद ली. जहां इन्हें मदद नहीं मिली, वहां ये सभी पैदल ही पीठ पर बड़े-बड़े बैग लाद कर अपने घर की ओर चल पड़े. ऐसा नहीं है कि, सड़कों पर चल रहे इन मजदूरों पर शासन और प्रशासन के नुमाइंदों की नजर नहीं पड़ी हो. उनकी नजरों के सामने यह श्रमिक कदम ताल करते हुए एक के पीछे एक लाइन से सड़कों पर कई किलोमीटर तक पैदल चलते रहे.

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न बस मिली और न ट्रेन

रास्ते में कुछ लोगों ने मजदूरों को नाश्ता, भोजन और पानी मुहैया कराया. ये मजदूर कई किलोमीटर तक पैदल चलने के बाद तेलीबांधा थाना के पास पहुंचे. जानकारी मिलते ही ETV भारत की टीम मौके पर पहुंची और इन मजदूरों की पूछ परख की. पूछताछ के बाद पता चला कि ये सभी मजदूरों ने मुंबई से ओडिशा जाने के लिए ऑनलाइन अप्लाई किया था. कई बार ट्रेन से घर जाने के लिए अप्लाई करने के बाद भी, इन्हें घर जाने के लिए ना तो बस मिली और ना ही ट्रेन. लगभग महीने भर इंतजार करने के बाद यह सभी लोग पैदल ही ओडिशा के लिए निकल गए.

घर जाते मजदूर

ठेकेदार ने दिया खाना

सभी मजदूर मुंबई में ठेकेदार के अंडर में बिल्डिंग बनाने का काम करते थे. इसमें ड्राइवर भी शामिल हैं. लॉकडाउन के बाद पहले महीने में ठेकेदार ने खाना-पीना और वेतन दिया था. लेकिन उसके बाद उसने खाना-पीना और रुपया देना बंद कर दिया. इसके बाद ये लोग अपने जमा किए हुए पैसों से अपना जीवन यापन कर रहे थे. लेकिन जब उन्हें वापस जाने कोई उम्मीद नजर नहीं आई तो वे फिर पैदल ही अपने घर के लिए रवाना हो गए.

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