रायपुर: चैत्र नवरात्र नूतन संवत्सर का प्रारंभ गुड़ी पड़वा, चेटीचंड, सृष्टि स्थापना पर्व और नव हिंदू वर्ष के रूप में 22 मार्च 2023 से शुरू हो रहा है. उत्तराभाद्र नक्षत्र शुक्ल योग और लुम्बक योग में नवरात्रि प्रारंभ होगी. बवकरण बुधवार प्रतिपदा तिथि से यह पर्व शोभायमान रहेगा. अभिजीत मुहूर्त में जो कि 11:36 सुबह से लेकर दोपहर 12:24 तक घटस्थापन का समय रहेगा. इस समय अभिजीत मुहूर्त के प्रभाव में घट स्थापन करना शुभ माना गया है. चैत्र नवरात्र से ही शुभ संवत 2080, शक संवत 1945 का प्रारंभ हो जाएगा. इस नवरात्र में पूजा पाठ की विभिन्न विधियां हैं.
नौ दिनों तक करें मां की आराधना:ज्योतिष एवं वास्तुविद पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "9 दिनों में देवी के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है. 9 दिनों में अलग-अलग और प्रेरित करने वाले देवी के नौ रूपों की पूजा होगी. प्रत्येक रूप से हमें नई प्रेरणा, ऊर्जा और सकारात्मकता की प्राप्ति होती है. प्रथम दिवस प्रातः काल में स्नान ध्यान और योग से निवृत्त होकर नवीन कपड़े पहनकर माता की पूजा करनी चाहिए. अथवा लाल कपड़े पहन कर पूजन प्रारंभ करना चाहिए.
इस दिन जनेऊ को भी बदला जा सकता है. नवीन कुर्ते नवीन धोती और नवीन साड़ी पहनकर लोग इस पर्व का स्वागत और वंदन करते हैं. आज के दिन पूरे घर को विशेषकर पूजा स्थल को साफ सुथरा और शुद्ध रखना चाहिए. पूरे घर का नवरात्रि के पूर्व पूजन करना चाहिए. घरों में लिपाई, पुताई, रंगाई से घर को शुद्ध रखना चाहिए. सभी जाले, कूड़ा, करकट, गंदगी और पुराने सामानों को घर से बाहर कर देना चाहिए."
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ऐसे करें कलश स्थापना:ज्योतिष एवं वास्तुविद पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "इसके साथ ही शुद्ध कलश में पवित्र मिट्टी के माध्यम से बीज लगाना चाहिए. यह जवारा उचित रीति से होना चाहिए. अभिजीत मुहूर्त में माता की स्थापना की जानी चाहिए. चौकी को बिल्कुल साफ सुथरा लाल अथवा पीले कपड़े से सुसज्जित करना चाहिए. भगवती को नवीन कपड़ों में प्रति स्थापित करना चाहिए. शुद्ध फूलों की माला, नए चंदन, अबीर, गुलाल, रोली, कुमकुम, परिमल सिंदूर बंदन आदि से भगवती का शुद्ध अंतःकरण से श्रृंगार करना चाहिए."
पंडित जी ने बताया कि" प्रत्येक दिन शुद्ध मन से स्नान करना चाहिए. स्नान के बाद ही माता के दर्शन लाभ कर पूजा करना चाहिए. माता की चौकी स्थापित करते समय केले आदि के पत्ते का श्रृंगार करना चाहिए. इसके साथ ही प्रतिदिन चौकी की सफाई शुद्ध मन से करनी चाहिए. नवरात्रि काल में मंत्रों के पाठ का विशेष महत्व है. नवरात्रि काल में दुर्गा चालीसा, दुर्गा सप्तशती, दुर्गा सहस्त्रनाम, सरस्वती सहस्रनाम का जाप भी शुद्ध अंतःकरण से करना चाहिए. मंत्रों के पाठ के समय यह ध्यान रखना चाहिए कि उच्चारण दोष किसी भी रूप में ना लगे इसके साथ ही सुबह और शाम घर में आरती होनी चाहिए. आरती करते समय भी उच्चारण शुद्ध होना चाहिए. पूजा करते समय पूजा करने वाले का मुख उत्तर की ओर होना चाहिए."
इस विधि से होगी हर मनोकामना पूरी:ज्योतिष एवं वास्तुविद पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "इसके साथ ही नवरात्रि काल में सहवास से बचना चाहिए. ब्रह्मचर्य व्रत का पालन श्रेष्ठ माना गया है. इस समय सात्विकता और सादगी का विशेष महत्व है. भोजन करते समय पूर्ण सात्विक और शुद्ध भोजन करना चाहिए. फलाहार करने वाले इस बात का ध्यान रखें बार-बार मुख झूठा नहीं होना चाहिए."
फलाहार को लेकर पंडित जी ने बताया कि" फलाहार का उपयोग नियत समय में अनुशासन के साथ सिर्फ दो बार करना चाहिए. मुख को बार-बार चाय कॉफी दूध आदि से जूठन नहीं करना चाहिए. जब पूजन करें तब हाथ पैर धोकर मां दुर्गा की आराधना करनी चाहिए. पूरा समय भक्ति भाव योग प्राणायाम आसन और विभिन्न योगों की क्रियाओं को करने का है. प्रतिदिन ध्यान करने से शक्तियां जागृत होती है. मनोकामनाएं पूर्ण होती है. प्रतिदिन सुबह उठकर भगवती का ध्यान करते हुए ओम मंत्र का उच्चारण पूरी श्रद्धा के साथ जातक को करना चाहिए."